30 जनवरी को गांधी के शहादत दिवस के दिन देश भर में कार्यक्रम किए जाएंगे

30 जनवरी को गांधी के शहादत दिवस के दिन देश भर में कार्यक्रम किए जाएंगे


जे टी न्यूज़
दिल्ली : 27 सितंबर को दिल्ली में भूमि अधिकार आंदोलन के दूसरे एवं अंतिम सत्र की अध्यक्षीय भाषण में अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक ढवले ने बताया कि आज भूमि अधिकार आंदोलन के चौथे सम्मेलन में देश के 20 राज्यों से जो प्रतिनिधि पहुंचे हैं । मैं उनका अभिनंदन करता हूं । साथ ही उन्होंने बताया कि जल जमीन और जंगल की जो लड़ाई है । यह ब्रिटिश हुकूमत के काल से ही होती आ रही है । जब अंग्रेज भारत में आए तो 1857 में पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में जमीन बचाने की लड़ाई लड़ी गई । 1946 से 1950 के बीच आजादी के दौर में देश में सबसे बड़ी जमीन की लड़ाई लड़ी गई । जिसमें 41 गांव को मुक्त करा लिया गया था और हैदराबाद के निजाम की हजारों एकड़ जमीन को भूमिहीनों में बांटा गया था । उस लड़ाई में 4000 से ज्यादा किसान शहीद हो गए । हम आज की वर्तमान परिस्थिति के लोग आज के वर्तमान परिस्थिति में इस लड़ाई को लड़ रहे हैं और इस लड़ाई को भी हमें जीतना है । इसलिए हमें संघर्ष के कार्यक्रम भी बनाने होंगे ।

भूमि अधिकार आंदोलन के मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए का. हन्नान मौला ने कहा कि आज चंद कारपोरेट के हाथों में गरीब आदिवासियों की जमीन को देने के लिए केंद्र और राज्यों के सभी भाजपा सरकार अमादा है । उनकी जमीने छीन कर कानून को ताक पर रखकर कारपोरेट को दिया जा रहा है । उन्होंने आगे बताया कि भूमि अधिकार आंदोलन की रिसर्च विंग कई जगहों पर भ्रमण करके बताया की 80 जगहों पर गरीबों और आदिवासियों की जमीन जबरदस्ती छीनी जा रही है । कानून की परवाह किए बिना खनिज संपदा भी कारपोरेट के हाथों में दिया जा रहा है । ऐसी स्थिति में उन्होंने बताया कि हमें संघर्ष को और मजबूत करना होगा । हमें संयुक्त किसान मोर्चा की 11 महीनों तक चली ऐतिहासिक संघर्ष से सबक लेना होगा । इसलिए संघर्ष करने के लिए हमें संगठन को भी मजबूत बनाना होगा । जो संगठन भूमि अधिकार आंदोलन में अब तक शामिल नहीं है ।वैसे संगठनों को शामिल करना होगा। 1

महीना के अंदर राज्य स्तरीय बैठकें करना है । 10 दिसंबर को मानव अधिकार दिवस के दिन भूमि अधिकार आंदोलन के रूप में मनाना है । 30 जनवरी को गांधी की शहादत दिवस के दिन हमें दिल्ली में पद यात्रा तथा देश के सभी राज्यों में उनके याद में कार्यक्रम करना है। साथ ही संविधान की रक्षा , लोकतंत्र की रक्षा , धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करते हुए सांप्रदायिकता के खिलाफ संघर्ष करने का शपथ भी लेना है। हमें अपनी लड़ाई को मजबूती से चलाने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर पर कार्यालय की जरूरत है । साथ ही कार्यों का बीच-बीच में संचालन के लिए एक सचिवमंडल भी बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिकार आन्दोलन का एक कानूनी प्रकोष्ठ बनाया जायेगा । कामरेड हनान मौला के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित करते हुए कन्वेंशन को समाप्त करने की घोषणा डॉक्टर अशोक ढवले में की और सभी को धन्यवाद दिया ।

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