खाकर ठोकरें जिन्दगी की

खाकर ठोकरें जिन्दगी की
जे टी न्यूज़


अब तो संभलना सीखा है मैंने।
कुचले हुए पग से ही तो
चलना सीखा है मैंने ।
कौन कहता है के
जिन्दगी बहुत आसान है
हजारों ख्वाहिशों को
दफन कर के ही तो
धीमी धीमी आंच की तरह
जलना सीखा है मैंने।
खाकर ठोकरें जिन्दगी की
अब तो संभलना सीखा है मैंने।

दिव्यानी राज मंजु

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