स्वजातीय जमींदारों, और पूर्व में रहे सवर्ण मुख्यमंत्रियों के शासन पर पर्दा डाल रहे

स्वजातीय जमींदारों, और पूर्व में रहे सवर्ण मुख्यमंत्रियों के शासन पर पर्दा डाल रहे है –

 


जे टी न्यूज़

जब आप ये कहते हैं कि लालू यादव और नीतीश कुमार ने बिहार को मज़दूर सप्लाई करने वाला राज्य बना दिया, तभी आप अपने स्वजातीय जमींदारों, और पूर्व में रहे सवर्ण मुख्यमंत्रियों के शासन पर पर्दा डाल रहे होते है। तो पर्दा हटा के इतिहास देखिए। 1834 में पहली बार बिहार से पलायन हुआ। वो भी कैरिबियाई देशों में। इन्हें गिरमिटिया कहा गया। 1916-17 तक के आँकड़ो में लगभग 12 लाख लोग भारत से मॉरिसस, गुयाना, फ़िजी, ऑस्ट्रेलिया और कैरेबियाई देशों में भेजे गए। इसमें 80% बिहारी थे। भोजपुरी पट्टी में पुरबिया माटी में पलायन के दर्द को महेंद्र मिसिर साल 1900 से पहले अपने गीतों में लिख रहे थे। तो अब मुख्यतः पलायन पर बात कीजिए। आइये दोष दीजिए। किसे दोषी मान रहें हैं.? कर्पूरी ठाकुर या लालू यादव.? चलिए नीतीश कुमार। क्या पलायन 1990 के बाद शुरू हुआ या फिर 1990 से पहले ही गुजरात, मुंबई और कलकत्ता में बिहारी मज़दूर भर गए थे। ईमानदारी से इतिहास में देखिए। आज़ादी से पहले बंगाल के आसनसोल, सिल्लीगुड़ी और दुर्गापुर के इलाक़ों में बिहारी भर चुके थे। तो अब बगले मत झांकिए बिहार एक कृषि प्रधान स्टेट रहा। यहाँ की मिट्टी उपजाऊ थी। जब औद्योगीकरण नहीं हुआ तब दुनिया-जहाँ के लोग बिहार आए। यहाँ की उपजाऊ मिट्टी ने सोना उगला। तब यही सबसे बड़ा रोज़गार था।
बाद में रोज़गार के मायने बदले, लेकिन ज़मीनें तो थी.? रियासतें तो थी.? तो वो क़िस्सा कौन बताएगा जहां अंग्रेजों द्वारा पाले गए ज़मींदारों ने खेतिहर मजदूरो और छोटे किसानों से दो तिहाई लगान वसूला.? उन्हें खेती छोड़ने पर मजबूर किया। बिहार छोड़ने पर मजबूर किया।


इतिहास 30 साल का नहीं, 300 साल का है। 30 साल के इतिहास में भी इक्के-दुक्के चीनी मिल और उधोग मिलेंगे जो बंद हुए। लेकिन फिर भी एक व्यक्ति की एकाउंटिबिलिटी.? लालू यादव.? जवाब देगा तेजस्वी यादव। क्यों भाई? 1990 के बाद वीपी सिंह, नरसिंह राव, अटल बिहारी, मनमोहन सिंह और अब नरेंद्र मोदी के 9 वर्षों में बिहार को ऐसा क्या मिला कि किसी दूसरे राज्य टक्कर लिया जाए.? एक कोयला खदान था, जो अब पड़ोसी के पास है। बिहार को क्या मिला.? एक विशेष राज्य दर्जा ना दे पाए ये लोग क्या देंगे.? अब भी मौक़ा है। भाजपा 17 साल सत्ता में रही है। तो पाप धोने के लिए ही सही, क्या केंद्र सरकार बिहार में उद्योग स्थापित करने के लिए टैक्स में छूट देगी? फ्रेट कॉरिडोर का समाधान क्या है? जाइए, ट्रेनों में ठूँस-ठूँस के बिहार लौट रहे मज़दूरों से पूछिए, बिहार सरकार से मिलने वाले 2 लाख रुपयों से स्वरोज़गार करेंगे.? कोई ज़मीन का मालिक है जो हज़ारों एकड़ का उपजाऊ प्लॉट किसी आईटी कंपनी को बेचेगा? यक़ीन मानिए, नहीं मिलेंगे। कई लोगों की पुश्तें पलायन करती आई है।

परिवार में ये रिवाज बन चुका है, जिसे बदलने में समय लगता है। लाखों लोग दूसरे प्रदेश के स्थाई निवासी बन चुके हैं। उनके दिल्ली, मुंबई और गुजरात में घर है। ये सभी नब्बे से पहले के हैं। बिहार मज़दूर सप्लाई करता है। 1990 से नहीं। 1990 से 300 साल पहले से। जब इतिहास में झांकिये तो पूरी जानकारी लीजिए। वॉटसएप का छिछला ज्ञान बार-बार आपकी बेइज़्ज़ती कराएगा।
साभार प्रियांशु कुशवाहा

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