*एनपीआर की सीढ़ी चढ़कर एनसीआर को लागू करने की फ़िराक में है सरकार: कविता कृष्णन*

*फिरऔन की है नमरूद की है,*
*फूलों से जंग बारूद की है!*
*इस बार तो डरना नामुमकिन,*
*इस बार तो बात वजूद की है!*
*-इमरान प्रतापगढ़ी*

*एनपीआर की सीढ़ी चढ़कर एनसीआर को लागू करने की फ़िराक में है सरकार: कविता कृष्णन

*सरकार कानून वापस ले वरना आंदोलन और उग्र रूप लेगा: उरूसा अर्शी*

दरभंगा: लहेरिया सराय स्थित पोलो मैदान के निकट धरना स्थल मैदान में संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ अभियान के बैनर तले एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया। जनसभा में मुख्य वक्ता के रूप में देश की चर्चित महिला नेत्री सह भाकपा माले पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, देश के मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी, कोलकाता की उरूसा अर्शी ने संबोधित किया। मंच संचालन संविधान बचाओ लोकतंत्र बचाओ देश बचाओ अभियान के सक्रिय सदस्य रियाज खान कादरी ने किया।
सभा को संबोधित करते हुए चर्चित महिला नेत्री कविता कृष्णन ने कहा कि आज देश में एनआरसी, सीएए, एनपीआर आदि को लाकर देश के वाजिब मुद्दों को दबाने का काम सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को देश की जनता चुनती है लेकिन एनआरसी, सीएए, एनपीआर आदि के तहत सरकार देश की जनता को चुनेगी। यह देश की जनता को कतई बर्दाश्त नहीं है, इस तरह के कानून से संविधान की हत्या की गई है, लोकतंत्र की हत्या हुई है और यह साफ-साफ मोदी-शाह के तानाशाही और लोकतंत्र विरोधी रवैया को दर्शाता है। श्रीमती कृष्णन ने आगे कहा कि आज देश के अंदर यह कानून सिर्फ अल्पसंख्यकों को नहीं बल्कि करोड़ों करोड दलित और गरीब गुरबों को भी एनआरसी के दायरे में लासकता है। उन्होंने कहा कि इस काले कानून के खिलाफ सिर्फ मुस्लिम समुदाय ही नहीं देश के सभी समुदाय के लोग एक साथ मिलजुल कर संघर्ष कर रहे हैं और जब यह कानून वापस नहीं लिया जाता है तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।

श्रीमती कृष्णा ने कहा कि बिहार के नीतीश सरकार चलाकर के साथ बिहार में एनपीआर को लागू करवाने का काम कर रही है जिसे बिहार की जनता कतई बर्दाश्त नहीं करेगी उन्होंने बताया कि एनपीआर ही एनआरसी का पहली सीढ़ी है। बिहार में एनपीआर करवाने से एनआरसी की पहली सूची बन सकती है, इसीलिए नीतीश कुमार को चाहिए कि बिहार में एनआरसी, एनपीआर, सीएए आदि जैसे कानून का विरोध करें।

श्रीमती कृष्णा ने कहा कि आज देश के अंदर अल्पसंख्यकों को आतंकवादी कहकर बदनाम किया जा रहा है लेकिन जेएनयू, जामिया, एएमयू आदि के अंदर जो नकाबपोश अपराधी घुसकर छात्रों व शिक्षकों पर हमला कर रहे हैं उन पर क्यों नहीं आज तक कार्रवाई की गई, यह भी मोदी-शाह की सरकार को बताना चाहिए।
विशाल जानसभा को संबोधित करते हुए देश के मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि आज देश के अंदर लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। उन्होंने कहा कि देश की हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब मिलकर एक साथ मोदी और शाह के मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे।
इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ लगातार आंदोलन जारी है, मैं देश में चल रहे तमाम आंदोलन को सलाम करता हूँ, देश मोदी शाह के खिलाफ जाग उठा है।
उन्होंने अपने शायरी वाले अंदाज़ से सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि
” फिरऔन की है नमरूद की है,
फूलों से जंग बारूद की है!
इस बार तो डरना नामुमकिन,
इस बार तो बात वजूद की है !

मत समझो कि डर जायेंगे,
मिट जायेंगे मर जायेंगे !

हम चीखेंगे चिल्लायेंगे
पर काग़ज़ नहीं दिखायेंगे ,

मुखबिरों पर सुराग़ भारी है,
ज़ुल्मतों पर चराग़ भारी है !
मोदी जी आपकी हुकूमत पर,
एक शाहीन बाग़ भारी है !

उन्होंने अपनी शायरी के माध्यम से देश के हालात, सीएए और एनआरसी और दिल्ली के शाहीन बाग के नॉन स्टॉप आंदोलन को केंद्र में रखकर कई नजम पढ़ें।
उन्होंने अंत में अपील किया कि आप सब इस आंदोलन को जारी रखें जब तक ये तानाशाह सरकार झुक न जाए।

सभा को संबोधित करते हुए कोलकाता के उरूसा अर्शी ने कहा कि आज एनआरसी, सीएए और एनपीआर के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन चल रहा है। जगह-जगह सभाएं आयोजित की जा रही है, मोदी-शाह एक बार फिर देश को आंदोलन की आग में झोंकने का काम किया है। उन्होंने कहा कि देश में सिर्फ अल्पसंख्यक ही नहीं तमाम समुदाय ने एक साथ एक स्वर में कहा है कि हम एनआरसी, सीएए और एनपीआर जैसे काले कानून को नहीं मानते हैं और मोदी सरकार को इस काले कानून को वापस ले वरना यह आंदोलन और उग्र होगा।

जनसभा को संबोधित करने वालों में अभियान के नफीसुल हक़ रिंकू, रुस्तम कुरैशी,,जहांगीर कुरैशी, विधायक अख्तर इस्लाम शाहीन, अब्दुस्सलाम खान उर्फ़ मुन्ना खान, अधिवक्ता मुमताज़ आलम, डॉ अजित चौधरी, अमानुल्लाह खान उर्फ़ अल्लन खान, पुट्टू खान, मक़सूद आलम पप्पू खान,, मोहम्मद मार्शल,अमन नवाज़ खान, फरहत फातिमा, सबा परवीन व सहयोगी संस्थाओं की ओर से इमारत-ए-शरिया के काज़ी शहर मुफ़्ती अरशद रहमानी, अदारा-ए-शरिया के काज़ी-ए-कमिश्नरी मुफ़्ती गफ्फार शाकिब, जमीयत अहले हदीस के मौलाना इरफ़ान सल्फी, अंजुमन खुद्दाम-ए- मिल्लत के अल्हाज अजीमुद्दीन उर्फ़ मोईन कुरैशी, ज़िला मुहर्रम कमिटी के अध्यक्ष सिबगतुल्लाह खान उर्फ़ डब्बू खान, अंजुमन कारवां ए मिल्लत के रेयाज खान क़ादरी, इंसाफ मंच के नेयाज अहमद, भीम आर्मी के भोला पासवान, जमात ए इस्लामी के मास्टर नज़ीर अहमद, सीपीआईएल के धीरेंद्र झा व अभिषेक कुमार, सीपीआई के अहमद अली तमन्ने, मिथिला समाजवादी शक्ति के डॉ. इमामुल हक, ऑल इंडिया जमीयतुल कुरैश के रुस्तम कुरैशी, एसडीपीआई के अधिवक्ता नूरुद्दीन जंगी, अंसारी महापंचायत के अर्शी अंसारी, राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के वसी अहमद अंसारी, सीपीएम अविनाश कुमार ठाकुर, आइसा के संदीप कुमार चौधरी के नाम शामिल हैं।

जनसभा को कामयाब बनाने में जिनकी भूमिका अतिसराहनीय रही उनमें पूर्व पार्षद नफिसुल हक रिंकू , रुस्तम कुरैशी, मो. उमर, डॉ. इमामुल हक इमाम, मकसूद आलम खां पप्पू, ख्वाजा फरिद्दुदीन रुस्तम, डॉ. अब्दुस्सलाम खान ( मुन्ना खान), डॉ. राहत अली, संदीप भारती, शम्स तबरेज, प्रिंस राज, प्रो. शाकिर खलीक, पार्षद शिगवतुल्ला खान( डब्बू खान), अधिवक्ता मुमताज आलम, गुलाम मोहम्मद, जहांगीर कुरैशी , आसिफ खान, हाफिज लाइक, मंजर वाजदी, कारी नसीम अख्तर, मो. दुलारे दीप, पप्पू खान, डॉ. तस्कीन आदमी, बदरे आलम, पूर्व पार्षद, अकबर खान, साजिद कैसर, मौलाना अरशद रहमानी, मो. कलिमुउल्लाह रहमानी, आफताब आलम, मो. जमाल, सैयद आफताब अशरफ, जावेद खान, सैयद खालिकुजमा पप्पू, अकरम कुरेशी, मो. अंसार अहमद, मो. फिरोज मोहम्मद इरफान अंसारी, मो. शाहबाज अली, राजा अंसारी, निसार अहमद बंडीवाले, हारून रशीद, मो. मुर्तुजा राइन, मो. अमीरूल हक, सादिक अली खान, मो. आरजू, शाहिद अली खान, गुलाम रसूल, मो. नौशाद, एयाज अहमद, मो. रिजवान, रजा करीम आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।

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