सीयूएसबी में मातृशक्ति के सशक्तिकरण में बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान पर व्याख्यान
सीयूएसबी में मातृशक्ति के सशक्तिकरण में बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान पर व्याख्यान
जे टी न्यूज, गया:आधुनिक भारत के निर्माता एवं भारतीय संविधान के प्रणेता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के पूर्व संध्या पर दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय सीयूएसबी में मंगलवार 05 दिसंबर को विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया है | जन सम्पर्क पदाधिकारी पीआरओ ने बताया कि विवेकानंद सभागार में विश्वविद्यालय के एससी,एसटी सेल के तत्वावधान में “मातृशक्ति के सशक्तिकरण में बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया है | कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में मगध महिला कॉलेज की प्राध्यापक डॉ. शिप्रा प्रभा योगदान शामिल हुई और अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने की है। कार्यक्रम का शुभारंभ उपस्थित गणमान्य अतिथियों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के तैलचित्र पर पुष्प अर्पण करके किया है । कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए एससी,एसटी सेल के सचिव डॉ. जगन्नाथ राय ने अतिथियों को स्वागत करते हुए महापरिनिर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में व्याख्यान आयोजित करने के दिशा – निर्देश एवं संरक्षण देने के लिए कुलपति प्रो. के. एन. सिंह के प्रति आभार प्रकट किया है ।
मुख्य वक्ता डॉ. शिप्रा प्रभा, विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग, मगध महिला कॉलेज पटना ने व्याख्यान के विषय “मातृशक्ति के सशक्तिकरण में बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान” पर अपने विचार व्यक्त किए हैं ।अपने संबोधन में कहा कि बाबा साहब ने हिंदू कोड बिल को एक नया रूप दिया उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के लिए विशेष रूप से चर्चा की है ।डॉ. प्रभा ने कहा कि नारी को एक स्वतंत्र पहचान देने में बाबा साहब की विचार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अपने वक्तव्य में डॉ. प्रभा ने कहा कि “स्त्री की सुरक्षा की आवश्यकता नहीं उसे सम्मान की आवश्यकता है और स्त्री प्रत्येक रूप में सम्मान पाने के हक़दार हैं”।अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि ” बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर किसी जाति विशेष के नहीं बल्कि एक राष्ट्र नेता हैं । उन्होंने अपने जीवन काल में जो सामाजिकता एवं समरसता के भाव को प्रतिष्ठित किया वह सारे विश्व के लिए प्रेरणादायक है। उन्हें किसी एक जाति विशेष से जोड़ कर उनके कद को छोटा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने सभागार में मौजूद छात्रों एवं दर्शकों को विशेष ज़ोर देकर कहा कि अंबेडकर के चिंतन और दर्शन को सिर्फ एक कमरे या एक दिन में सीमित न रख कर इसे समाज में ले जाकर एक विकसित रूप देना होगा तब जाकर समाज का मंगल हो सकता है। इस कार्यक्रम के अंत में डॉ. अंजु हेलेन बारा, नोडल ऑफिसर, एससी,एसटी सेल ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्राध्यापकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया है। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग के शोधार्थी नचिकेता वत्स ने किया है।
Pallawi kumari