सीयूएसबी में “अभिव्यक्ति: सांस्कृतिक संयोजन” चार दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ

सीयूएसबी में “अभिव्यक्ति: सांस्कृतिक संयोजन” चार दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ

जे टी न्यूज़, गया : कला एक बहुआयामी घटना है, जो हमारी आंतरिक भावनाओं और हमारे आस-पास की दुनिया के प्रतिबिंब के रूप में कार्य करती है। यह खुशी, शांति की भावना पैदा करता है और दुःख तथा दिन-प्रतिदिन के तनाव से राहत देती है। यह दूसरों के सामने मनुष्य की अमूर्त भावनाओं और विचारों को प्रभावी तरीके से चित्रित करती हैं इसके साथ ही धर्म, जाति, पंथ और नस्ल पर आधारित सभी सीमाओं को तोड़ती है। ये वक्तव्य सीयूएसबी के कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के शिक्षक शिक्षा विभाग (डीटीई) तथा इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल आईआईसी के सहयोग से आयोजित चार दिवसीय कार्यशाला “अभिव्यक्ति: सांस्कृतिक समन्वय” के उद्घाटन सत्र में साझा किये है।सीयूएसबी के जन सम्पर्क पदाधिकारी पीआरओ ने बताया कि कला एवं शिल्प पर आधारित चार दिवसीय कार्यशाला का समन्वयन डॉ. स्वाति गुप्ता, सहायक प्राध्यापक, डीटीई द्वारा किया जा रहा है। कार्यशाला का उद्देश्य भावी शिक्षकों बीए बीएड और बीएससी बीएड प्रथम सेमेस्टर के छात्र- छात्राओं को कलात्मक कौशल से समृद्ध करना, समझ और एकता की भावना का निर्माण करना है।उद्घाटन सत्र में कुलपति के साथ अतिथि एवं विशेषज्ञ के तौर पर डॉ. पूनम कुमारी व्याख्याता, कला और शिल्प, कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन, गया, स्कूल ऑफ एजुकेशन के डीन प्रो. रविकांत के साथ विभाग के अन्य संकाय सदस्य डॉ. रेनू, डॉ. किशोर कुमार, डॉ. मुज़म्मिल हसन, और डॉ. नृपेंद्र वीर सिंह आदि उपस्थित थे।

कुलपति के संबोधन बाद डॉ. पूनम कुमारी और डॉ. स्वाति गुप्ता के नेतृत्व में तकनीकी सत्र आयोजित किए गए हैं ।तकनिकी सत्र में विशेषज्ञों ने छात्रों को छायांकन द्वारा एक तस्वीर को यथार्थवादी कलाकृति में बदलने के विभिन्न तरीकों से अवगत कराया है। इससे पहले प्रथम दिन के कार्यक्रम की शुरुआत छात्रों द्वारा बनाए गए पोस्टरों के प्रदर्शन के साथ हुई, जहाँ कुलपति ने बच्चों से पोस्टर से संबंधित सवाल पूछे और उनका उत्साहवर्धन किया है। पहले दिन के समापन डॉ. स्वाति गुप्ता द्वारा विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया है |

Pallawi kumari

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