बिहार-झारखंड राज्यस्तरीय शास्त्रीय स्पर्धा का उल्लास पूर्ण हुआ उद्घाटन 

बिहार-झारखंड राज्यस्तरीय शास्त्रीय स्पर्धा का उल्लास पूर्ण हुआ उद्घाटन 

जे टी न्यूज, मधुबनी : केंदीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के तत्वावधान व वित्त संपोषण में जगदीश नारायण ब्रह्मचर्याश्रम आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, लगमा, दरभंगा में आज मंगलवार को बिहार-झारखंड राज्यस्तरीय शास्त्रीय स्पर्धा का उद्घाटन सत्र उल्लासपूर्ण रहा। उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर डॉ. शशिनाथ, विशिष्टातिथि गोहाटी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कामेश्वर शुक्ल, मुख्य अतिथि नव नालंदा विश्वविद्यालय के डीन डॉ. विजय कुमार कर्ण, पातेपुर संस्कृत महाविद्यालय के वेद विभागाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र झा, मुजफ्फरपुर विश्वविद्यालय के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. इंद्रनाथ झा, डाॅ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के संस्कृत सहयकाचार्य डाॅ. बिपिन कुमार झा आदि विशिष्ट विद्वानों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से समारोह को भव्यता प्रदान की। अपने ज्ञानमयी संबोधन में डाॅ. विजय कुमार कर्ण ने कहा कि आधुनिक समय में शास्त्र के साथ शस्त्र की शिक्षा भी छात्रों के लिए अनिवार्य है, वर्ना बख्तियार खिलजी नालंदा विश्वविद्यालय को आग के हवाले न कर पाता। गोहाटी विश्वविद्यालय के डाॅ. कामेश्वर शुक्ल ने कहा कि आज घर-घर में सर्वत्र संस्कृत शिक्षा की अनिवार्यता है।

पातेपुर संस्कृत महाविद्यालय के वेद विभागाध्यक्ष डाॅ. राजेंद्र झा ने चारों वेद के अध्ययन की अनिवार्यता पर जोर दिया। विद्वान हृषीकेश झा ने कहा कि संस्कृत शिक्षा के बिना जीवन का विकास संभव नहीं है। मुजफ्फरपुर के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ.इंद्रनाथ झा ने कहा कि संस्कृत से ही संस्कृति का विकास संभव है। अपने अध्यक्षीय भाषण में मान्य कुलपति डाॅ. शशिनाथ झा ने कहा कि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा इस तरह के प्रतियोगिता का आयोजन करवाना अपने आप में एक उत्कृष्ट कार्य है, जो संस्कृत शिक्षा की चहुंमुखी विकास के लिए अत्यावश्यक है।

धन्यवाद ज्ञापन में महाविद्यालय के प्राचार्य विद्यावाचस्पति डाॅ. सदानंद झा ने कहा कि इस तरह के आयोजन से छात्रों में उत्साहवर्धन होता है और ज्ञानमयी वातावरण से छात्रों का आंतरिक और बाह्य विकास होता है। मंच संचालन साहित्याचार्य डाॅ.राघव कुमार झा ने किया। समारोह को सफल बनाने में डाॅ. रमेश कुमार झा, डाॅ. संगीत कुमार झा, सोनी झा, डाॅ. सुशील कुमार चौधरी, डाॅ. कृष्णमोहन झा, डाॅ. ब्रजेश कुमार मिश्र, डाॅ. रामसेवक झा, डाॅ. नागेंद्र झा, मणीष कुमार, अभय चौधरी, लाल चौधरी, कपिलेश्वर राय व छात्र-छात्राओं ने अपना विशिष्ट योगदान दिया।

Related Articles

Back to top button