चायवाला राजा राम हो गया*

*चायवाला राजा राम हो गया*

आलेख प्रभुराज नारायण राव

वर्षों पहले मैंने एक फिल्म देखी थी । जिसमें दिलीप कुमार एक मजदूर का अभिनय कर रहा था। धीरे-धीरे मालिक वर्ग से जब दमन का दौर चला , तो मजदूर का एक यूनियन बना और उसका सर्वोच्च नेता दिलीप कुमार बनाया गया। उस पर सभी मजदूरों का विश्वास बना हुआ था ।

मजदूर वर्ग की अनदेखी को देख एक दिन मजदूरों ने फैक्ट्री में हड़ताल कर दिया । फैक्ट्री के गेट पर ताले जड़ दिए। फिर वार्ता का दौर आया और मजदूरों की तरफ से मजदूर नेता दिलीप कुमार फैक्ट्री के मालिक से मजदूरों की मांगों पर वार्ता करने के लिए गया ।

मालिक ने एक रणनीति चली और मजदूर नेता को फैक्ट्री की जवाबदेही अधिकृत रूप से दे दिया । अब क्या था मजदूर चले थे अपने नेता के माध्यम से अपनी समस्याओं का समाधान करने और नेता की पहली प्राथमिकता फैक्ट्री चलाने की हो गई और सेकेंडरी प्राथमिकता मजदूरों के मांग को पूरा कराने की । इस कूटनीति को मजदूर नेता दिलीप कुमार भी समझता था ।बाहर निकलने के बाद मजदूरों ने जश्न मनाया और मजदूर नेता दिलीप कुमार ने एक गीत गया *साला मैं तो साहब बन गया* ठीक वहीं स्थिति आज देखने को मिल रहा है ।

जब एक चाय वाला को लोगों ने अपना प्रतिनिधि बना दिया और प्रतिनिधि की हैसियत से लोगों के समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिनिधि ने वचनबद्धता दोहराई । फिर वह प्रधान बन गया और प्रधानी का नाम चौकीदार रखा। सेवक रखा और जनता की सेवा में लीन हो गया। देश की चौकीदारी करने वाला देखते देखते जितने देश के नामी ग्रामीण बड़े-बड़े लुटेरे थे। देश के पैसे या जनता की गाढ़ी कमाई जो बैंकों में रखी गई थी। सारे पैसे लेकर विदेश पहुंचाने में चौकीदार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी । क्योंकि वह तो पहले भी कहा था कि मैं विदेश में पड़े तमाम काले धन को अपने देश में ले आऊंगा और 15-15 लाख देश की सभी जनता के खाते में डाल दूंगा । इससे बड़ा लोभ और क्या हो सकता था । जिस जनता के पास 500 रुपए भी भारी संपत्ति होती थी ।उसके खाते में बिना किसी कमाई के 15 लाख रुपए जमा करने का कोई आश्वासन फिर एक मत उसे देने में क्या खराबी थी । लोगों ने उसे अपना मत दिया और चाय वाला प्रधान बन गया।

चौकीदार देश के सारी संपत्ति या यों कहें की जनता की गाड़ी कमाई का एक हिस्सा जो टैक्स के रूप में जनता ने सरकार को दी । उसे सरकार ने देश की विकास में खर्च कर दिए । जनता की सुविधाओं के लिए रेल ,बस ,मेट्रो ,हवाई जहाज ,बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां लगे ,बोकारो स्टील प्लांट ,हेवी इंजीनियरिंग ,बीएसएनल सभी तरह के संचार माध्यम ,सड़क ,परिवहन यह सारे जनता की गाड़ी कमाई के टैक्स से बने हुए चीजों को देश के और विदेश के कॉर्पोरेट के हाथों प्रधान सेवक ने बेचना शुरू कर दिया । वह सुख भोगने में भी कोई कमी नहीं की । दुनिया का कोई भी ऐसा देश नहीं जहां सेवक भ्रमण करने नहीं गया । अब तो स्थिति यह है कि रेल, हवाई जहाज, अस्पताल, सड़क यहां तक कि सुलभ शौचालयों का उद्घाटन भी शौख से करने लगा । देश के सारे मंत्रियों के कद को बावना कर दिया। सारी मंत्रिमंडल को अपने बाएं दाएं की जेब में रख लिया और जब भी जैसा चाहा वैसा किया। यह तो तब प्रमाणित हो गई ,जब लोकसभा में प्रधान सेवक ने यह कहा कि एक चौकीदार सारे विपक्ष पर भारी । विपक्ष की यह बड़ी लाचारी।

स्थिति में बड़ा बदलाव आया है ।बिल्ली के भरोसे शिकहर भी टूटा है । सुप्रीम कोर्ट ने आस्था के प्रतीक भगवान राम के मंदिर को बनाने का आदेश घोषित कर दिया और वह भी प्रधानमंत्री की निगरानी में। मंदिर जनता की पैसे से बनना प्रारंभ हुआ । मंदिर अभी पूरी तरीके से तैयार भी नहीं हुआ । तब तक लोकसभा चुनाव का आभास होने लगा । सेवक ने समझा की निर्माणधीन मंदिर बनने में अभी समय लगेंगे । तब तक चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव करने की घोषणा हो जाएगी । देश में आचार संहिता लग जाएगा और फिर मंदिर के उद्घाटन से मुझे चुनाव में जो लाभ मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पाएगा । इसलिए प्रधान सेवक ने आनन फानन में मंदिर के उद्घाटन की तिथि निर्धारित कर दी। जो मंदिर अभी बनने में महीनों लगेंगे। यह उद्घाटन साधारण उद्घाटन नहीं रहा । बल्कि उसने जनता की पैसे को पानी से भी ज्यादा तेज रफ्तार में बहाने का काम शुरू कर दिया है।अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट , हिंदुस्तान के किसी भी रेलवे स्टेशन से ज्यादा समृद्ध स्टेशन , सड़क , कभी सवा लाख दीपों को प्रज्वलित करना ,कभी उससे भी ज्यादा और उसमें बड़ी भागीदारी एक योगी की । जिसको दूर-दूर तक जनता या राजनीति से कोई मतलब नहीं होता ।

जो पारिवारिक या सामाजिक जीवन को त्याग कर ब्रह्मचर्य का धारण कर जंगलों की तरफ वास करता है। वह उनका भक्त हनुमान के रूप में दिखने लगा और दोनों ने किया अब एक चाय वाले से मैं तेरा भगवान राम और तुम हमारा हनुमान यह जुगल जोड़ी राम राज्य की कल्पना करने वाले लोगों या बापू द्वारा राम राज्य की कल्पना धरी की धरी रह गई और राजा राम का राज्याभिषेक एक चाय वाले ने कर दी । कितना लंबा सफर एक चाय वाले से राजाराम तक पहुंचने में करना पड़ा और विडंबना यह कि आज भी जनता का एक हिस्सा राजाराम के रूप में भी उस सेवक को देखने में किसी तरह की कोई कोताही देखना नहीं चाहता। 22 जनवरी को राज्याभिषेक होगा और देश के कोने कोने में उसकी गूंज होगी ।

एक बार फिर दीपों की मालाओं से देश जगमगाएगा ।ठीक उसी तरीके से जैसे 2020 में कोरोना के भय से लोगों ने तालियां बजाई थी । दीपे जलाई थी और यह सभी लोगों को एहसास कराया था कि इससे कोरोना भाग जाएगा । उसका एक केंद्रीय मंत्री अठावले सचमुच अपने कुछ अनुवाइयों को जमा कर नारा देने लगा कोरोना भाग भाग भाग।

 

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