*वाराणसी के जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी संदेह के घेरे में।*

 

 

आर. के. राय

झंझट टाइम्स डेस्क।

वाराणसी:- वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से रिटायर्ड फौजी तेज बहादुर सिंह यादव के नामांकन के बाद भारत सरकार के चुनाव आयुक्त के मानसिक संतुलन खोने की समाचार प्राप्त हो रहे हैं। जानकारी के मुताबिक पहली बार इतिहास के पन्ने में उम्मीदवारों को शॉर्ट नोटिस देकर नामांकन रद्द करने की चाल और चक्रव्यूह रहे जाने की समाचार प्राप्त हो रहे हैं। अगर मोदी के खिलाफ तेज बहादुर यादव का नामांकन मोदी और योगी के दबाव में रद्द किया जाता है। तो देश में लोकतंत्र की हत्या की शुरुआत होने से इंकार नहीं किया जा सकता। तेज बहादुर यादव का इतना ही दोष है की भूतपूर्व सैनिक है। सरहद पर लड़ने वाले जवानों के भोजन समेत अन्य सुविधा में भ्रष्टाचार होने की शिकायत नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री को ईमानदारी से सूचित करना प्रतीत होता है। श्री सिंह यादव ने पत्रकारों से कहा कि मैं जानता कि नरेंद्र मोदी भ्रष्ट लोगों के संरक्षक है तो मैं किसी भी हालात में भ्रष्टाचार के विरुद्ध हूं आवाज बुलंद नहीं करता। मुझे ऐसा लगा कि मेरे द्वारा भेजे गए पत्र शायद प्रधानमंत्री महोदय को नहीं मिला था। इस कारण ही मैंने खाना का वीडियो प्रधानमंत्री महोदय तक पहुंचाने की हिम्मत चुटाई थी। जिसका परिणाम हुआ कि मुझे नौकरी से हटा दिया गया। मुझे पूरा दावा है प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार की जननी है श्री सिंह यादव ने देशवासियों से निवेदन करते हुए कहा है कि मेरा नामांकन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी के दबाव में नही किए जाने का षड्यंत्र रची गई है। देशवासियों से निवेदन है इस लड़ाई में देश का बेटा को आप मदद करें।

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