नवनियुक्त कुलपति प्रो. बिमलेन्दु शेखर झा का योगदान आज:डॉ. सुधांशु शेखर

नवनियुक्त कुलपति प्रो. बिमलेन्दु शेखर झा का योगदान आज:डॉ. सुधांशु शेखर

 

नवनियुक्त कुलपति के विश्वविद्यालय प्रशासनिक परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत की तैयारी पूरी

जे टी न्यूज, मधेपुरा:

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में जंतु विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं विज्ञान संकाय के पूर्व संकायाध्यक्ष प्रो. बिमलेन्दु शेखर झा रविवार को बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति का पदभार ग्रहण करेंगे।

 

उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि मंगलवार को राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर के आदेशानुसार राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉ‌बर्ट एल. चोंग्थू ने प्रो. झा को बीएनएमयू का कुलपति बनने संबंधी अधिसूचना जारी की गई है। इससे यहां हर्ष का माहौल है। नवनियुक्त कुलपति के विश्वविद्यालय प्रशासनिक परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत की तैयारी की जा रही है। वे योगदानोपरांत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, महामना भूपेंद्र नारायण मंडल, जननायक कर्पूरी ठाकुर एवं पूर्व कुलपति प्रो. महावीर प्रसाद यादव की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित करेंगे।

*टीपी कालेज के प्रधानाचार्य बने थे प्रथम कुलपति*

डॉ. शेखर ने बताया कि भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालूनगर, मधेपुरा की स्थापना 10 जनवरी, 1992 को हुई। तदुपरांत टी. पी. कालेज, मधेपुरा के प्रधानाचार्य प्रो. रमेंद्र कुमार यादव ‘रवि’ को प्रथम (संस्थापक) कुलपति होने का गौरव प्राप्त हुआ। वे इस पद पर 15 जनवरी, 1992 से 15 जून, 1993 तक रहे। इतने कम समय में ही उन्होंने विश्वविद्यालय के लिए कोसी प्रोजेक्ट की जमीन का अधिग्रहण कराया और लालूनगर के रूप प्रशासनिक परिसर स्थापित करने में सफलता प्राप्त की। तदुपरांत प्रथम कुलसचिव मलय कुमार चटर्जी को कुलपति का प्रभार मिला (16.06.1992-17.10.1992 )। आगे डॉ. रामबदन यादव (17.10.1992-15.12.1994), ए. सी. विश्वास (16.12.1994-02.04.1995 ), डॉ. महावीर प्रसाद यादव (03. 04.1995-13.08.1997), डॉ. इंदुबाला सिंह (14.08.1997-02.01.1998 ), डॉ. जयकृष्ण प्रसाद यादव (03.01.1998-01.07.1999), प्रो. आर. के. चौधरी (02.07.1999-01.07.1999), मनोरंजन प्रसाद सिंह (26.09.2000-07.12.192000), सी. लालसोता (08.12.2000-01.08.2001) यहां कुलपति रहे। लेकिन इनमें से कोई भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।

*डॉ. अमरनाथ सिन्हा ने किया कार्यकाल पूरा*

डॉ. शेखर ने बताया कि डॉ. अमरनाथ सिन्हा (02.08.2001-01.08.2004) यहां तीन वर्षों का कार्यकाल पूरा करने वाले प्रथम कुलपति रहे और उन्होंने विश्वविद्यालय को एक सुव्यवस्थित आकार दिया।फिर केशव प्रसाद सिंह (02.08.2004-16.03.20004), तपन कुमार घोष (17.03.2006-14.11.2006), डॉ. नंदकिशोर सिंह (15.11.2006-19.11.2006), प्रो. कमर हसन (20.11.2006-24.01.2008) कुछ कुछ दिनों तक कुलपति रहे।

*डॉ. श्रीवास्तव ने किया विश्वविद्यालय में काफी विकास कार्य*

 

डॉ. शेखर ने बताया कि प्रो. आरपी श्रीवास्तव (25.01.2008-24.01.2011) ने अपना कार्यकाल पूरा किया और विश्वविद्यालय में काफी विकास कार्य भी किए।प्रो. अरुण कुमार (25.01.2011-24.01.2013), प्रो. राम विनोद सिंह (11.02.2013-18.03.2013), डॉ. अनंत कुमार (19.03.2013-26.04.2013), डॉ. आनंद मिश्रा (27.04.2013-16.05.2014), डॉ. रामशंकर दूबे (17.05.2014-28.05.2014) कुछ-कुछ दिनों के लिए कुलपति ने रहे।

 

*दस वर्ष से विकास को गति*

डॉ. शेखर ने बताया कि विगत दस वर्षों में विश्वविद्यालय का काफी विकास हुआ है। इस दौरान डॉ. विनोद कुमार (29.005.2014-28.05.2017) एवं डॉ. अवध किशोर राय (29.005.2017-28.05.2020) पूर्णकालीन कुलपति रहे। डॉ. अवध किशोर राय ने सबैला-जजहट में सभी स्नातकोत्तर विभागों को सुव्यवस्थित कर उसे शैक्षणिक परिसर के रूप में विकसित किया। इसके बाद प्रो. ज्ञानंजय द्विवेदी (26.09.2000-07.12.192000) कुलपति के प्रभार में रहे।

*कार्यालय पूरा करने वाले पहले स्थानीय कुलपति*

फिर 21 सितंबर, 2020 से 20 सितंबर, 2023 तक प्रो. आर. के. पी. रमण स्थायी कुलपति रहे। ये कार्यालय पूरा करने वाले पहले स्थानीय कुलपति हैं। इनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय में पहले से मान्यता प्राप्त 9 विषयों के अतिरिक्त अठारह नए विषयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम को मान्यता मिली और पद भी स्वीकृत हुआ। इनके बाद पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजनाथ यादव 21 सितंबर, 2023 से बीएनएमयू के प्रभारी कुलपति हैं। 25 जनवरी, 2024 से प्रो. बिमलेन्दु शेखर झा बीएनएमयू के 27वें कुलपति के रूप में कार्यारंभ करेंगे। इनका कार्यकाल तीन वर्षों का होगा।

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