12 फरवरी को नीतीश कुमार की बचेगी कुर्सी या लगेगा राष्ट्रपति शासन ?

12 फरवरी को नीतीश कुमार की बचेगी कुर्सी या लगेगा राष्ट्रपति शासन ?

जे टी न्यूज, पटना(डा. रूद्र किंकर वर्मा):
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं कोई बेवफा नहीं होता।’ मशहूर शायर बशीर बद्र का यह शेर देश की राजनीति में हुए हालिया बदलाव पर एकदम सही बैठता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर पाला बदल कर यह बात सिद्ध कर दी है कि या तो ‘इंडिया’ गठबंधन ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया या ‘एनडीए’ गठबंधन ने उन्हें कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया।
बहरहाल जो हो ताजा घटना चक्र पर बिहार की राजनीति पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। इस संशय का आलम यह है कि लगभग दल अपने अपने विधायकों को संदेह की नजर से देखने लगे हैं। हालत यह हो गई कि बिहार की राजनीति पर पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का वह बयान हावी हो गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “खेला तो होगा”। बिहार के विधायकों की चर्चा दिल्ली से तेलंगाना तक हो रही है। हर पार्टियां अपने अपने हिसाब से विधायकों को एकजुट रखने की कोशिश में है।

बिहार विधान सभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के तेवर से सत्ता दल की बौखलाहट बढ़ गई है। ऐसा नहीं कि अविश्वास प्रस्ताव झेलने वाले अवध बिहारी चौधरी कोई पहले विधान सभा अध्यक्ष हैं। इसके पहले, विधान सभा अध्यक्ष शिवचंद्र झा, विंदेश्वरी वर्मा और 2022 में बीजेपी के विजय सिन्हा पर भी अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। पर अवध बिहारी चौधरी इस मामले में उन सब विधान सभा अध्यक्ष से अलग हैं। अवध बिहारी चौधरी पहले विधान सभा अध्यक्ष होंगे जो अपने ऊपर लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे। पत्रकारों से बात करते हुए बिहार विधान सभा अध्यक्ष अवध
बिहारी चौधरी ने साफ तौर से कहा- ‘मैं इस्तीफा नहीं दूंगा’। अविश्वास प्रस्ताव का सदन में सामना करूंगा। शेष विधानसभा अध्यक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से पहले इस्तीफा दे दिया था। अवध बिहारी चौधरी की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद सत्ता दल में भी विधायकों के टूटने का खौफ कायम कर दिया है।


सीमांचल के कद्दावर युवा राजद नेता मंजर खान की मानें तो नीतीश कुमार फ्लोर टेस्ट में अपना बहुमत सिद्ध नहीं कर पाएंगे। इस बार भाजपा वाले हीं सीखा देंगे कि पलटी मारने का क्या होता है हश्र और सम्राट चौधरी के अभी तक मुरेठा का क्या है रहस्य!
जदयू के मंत्री श्रवण कुमार ने यह कह कर चौंका डाला कि जदयू विधायकों के पास फोन आ रहे हैं। विधायकों को प्रलोभन दिया जा रहा है। साथ ही यह कहा जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी सदस्यता नहीं जाने देंगे। लेकिन जदयू के विधायक मजबूती से उनके प्रलोभन को ठुकरा रहे हैं। इनका मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पूरा विश्वास है। जदयू के विधायक कहीं नहीं जायेंगे और एनडीए की सरकार को मजबूत करेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की माने तो एनडीए की सरकार पूर्ण बहुमत में है। एनडीए के पास सरकार बनाए रखने के मैजिक नंबर से ज्यादा विधायकों का साथ है। ऐसे में एनडीए की सरकार अपनी गति से आगे बढ़ेगी और अगर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के दावे में दम होगा तो अविश्वास प्रस्ताव गिर भी सकता है। यह तभी संभव होगा जब सत्ता पक्ष के विधायक अविश्वास प्रस्ताव के विरुद्ध क्रॉस वोटिंग करें या सरकार बनाने के मैजिक को ध्वस्त करते सत्ता पक्ष के विधायक सदन की कार्यवाही से खुद को अलग रखें यानी सदन से ही अनुपस्थित हो जाएं। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास दो विकल्प हैं। पहला विकल्प राज्यपाल के हाथ अपना इस्तीफा दे देंगे। दूसरा विकल्प यह है कि नीतीश कुमार मंत्रिमंडल की बैठक में सदन को भंग कर देने का निर्णय लें और राज्यपाल को इस निर्णय की जानकारी दें। अब राज्यपाल पर निर्भर करता है कि सबसे बड़ी पार्टी राजद को सरकार बनाने का न्योता दें या फिर विधायकों के खरीद फरोख्त को रोकने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू कर दें।

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