*झंझट टाइम्स के खबर का दिखा असर* शिक्षा विभाग के भवनों में स्ट्रांग रूम व मतगणना केंद्र अब नहीं बनेंगे,साथ ही चुनाव ड्यूटी में भी पहले अन्य विभाग के सभी कर्मी लगाए जाएं:के के पाठक,अपर मुख्य सचिव

*झंझट टाइम्स के खबर का दिखा असर*

शिक्षा विभाग के भवनों में स्ट्रांग रूम व मतगणना केंद्र अब नहीं बनेंगे,साथ ही चुनाव ड्यूटी में भी पहले अन्य विभाग के सभी कर्मी लगाए जाएं:के के पाठक,अपर मुख्य सचिव

 

*बीते कुछ दिन पूर्व इस मामले को झंझट टाइम्स अखबार ने प्रमुखता से किया था प्रकाशित*

जेटीन्यूज़

समस्तीपुर: ज्ञात हो कि बीते कुछ दिन पूर्व कॉलेज की बिल्डिंग सहित पठन-पाठन को सुचारू रूप से चलता रहे, इसी कड़ी में समस्तीपुर कॉलेज, समस्तीपुर ,भागलपुर के कॉलेजों सहित पूरे बिहार के कॉलेजों को चुनाव कार्य से मुक्त रखने का अनुरोध अप्पन पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव आरके राय ने चुनाव आयोग,बिहार सरकार से लेकर जिला प्रशासन तक को एक पत्र लिखा था । श्री राय ने अपने पत्र में अनुरोध करते हुए कहा है था कि समस्तीपुर व भागलपुर जिले के तमाम कॉलेजों सहित बिहार के अन्य कॉलेजों को चुनाव से संबंधित कार्य से मुक्त किया जाना चाहिए। साथ ही साथ समस्तीपुर कॉलेज के परीक्षा भवन में तत्काल मौजूद बीएमपी के जवानों को शीघ्र खाली करा देना चाहिए ताकि परीक्षा में छात्र और महाविद्यालय प्रशासन को दिक्कत नहीं हो सके। इस मामले को झंझट टाइम्स अखबार ने काफी प्रमुखता से उठाया था। इसी कड़ी में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने अब संज्ञान ले लिया है।


लोकसभा चुनाव को लेकर शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक ने अपने शिक्षकों और विद्यालय, कॉलेजों, डायट भवनों के इस्तेमाल को लेकर सभी जिलों को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने चुनाव कार्य में सिर्फ शिक्षकों की ड्यूटी लगाए जाने पर आपत्ती जाहिर की है। उन्होंने सभी डीएम को कहा है कि चुनाव से जुड़े कार्य में सिर्फ शिक्षकों की ड्यूटी लगाने की जगह दूसरे विभागों के कर्मियों को भी यह जिम्मेदारी सौंपे। इसी तरह शिक्षण संस्थानों से जुड़े भवनों में ही चुनाव सामग्री रखने और पुलिस बल की मौजूदगी कोलेकर भी केके पाठक ने अपनी नाराजगी जाहिर की है।
के के पाठक ने कहा हाल ही में यह देखा गया है कि शिक्षा विभाग के अन्य प्रखंड स्तरीय कर्मी (जो कि संविदा के माध्यम से रखे गए हैं) को भी चुनावी ड्यूटी में लगाया जा रहा है।
पहले आप अन्य विभागों के भवन की उपलब्धता को टटोलें। साथ ही, अन्य विभाग के सारे कर्मचारियों की उपलब्धता को टटोलें और आवश्यकतानुसार उन्हें ड्यूटी में लगाने के बाद, जो Shortfall हो तो उसे शिक्षा विभाग से पूरा करें।
पिछले सभी चुनावों में परंपरागत तरीके से जिला प्रशासन सबसे पहले शिक्षा विभाग के सारे भवन और सारे कर्मचारी (शिक्षक सहित) लेता है और उसके बाद कमी होने पर अन्य विभागों की ओर देखा जाता है। इस परम्परा पर रोक लगनी चाहिए।
इसी तरह केके पाठक ने अपने स्कूल, कॉलेज, डायट सेंटरों के भवनों के प्रयोग को लेकर आपत्ति जाहिर की है। उन्होंने लिखा है कि शिक्षा विभाग के भवन / विद्यालयों का चुनाव कार्य हेतु इस्तेमाल शिक्षा विभाग के विद्यालय पहले से ही बूथ के रूप में सूचित किए जा चुके हैं और वोटर लिस्ट भी छप चुकी है। अतः उस संबंध में अब कुछ नहीं किया जा सकता है।


पिछले कुछ वर्षों में अन्य विभाग के भी काफी प्रशासकीय / शैक्षणिक भवन बने हैं। प्रचुर मात्रा में विभिन्न विभागों के भवन, मेडिकल/इंजीनियरिंग कॉलेज, आई.टी.आई., निजी क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज इत्यादि भारी संख्या में खुल गए हैं। अतः आप इन भवनों को भी ई.वी. एम अथवा मतगणना केन्द्र के लिए लेने पर विचार कर सकते हैं।
यदि कुछ बदला जा सकता है तो वह यह है कि आप मतगणना केन्द्र / ई.वी.एम इत्यादि के लिए शिक्षा विभाग के अलावे किसी अन्य विभाग के भवनों का इस्तेमाल करें।

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