रौनक-ए-चमन
रौनक-ए-चमन

जे टी न्यूज़
न,हो पाई,
ना कभी हो पायेगी।
भूल कट्टी,
चौके-चूल्हे से ” छुट्टी “।
थे मरणासन्न,
सब कोरे आश्वासन।
भ्रम का जाल,
कहे ” जीवन ” जंजाल।
सोन चिरैया,
मत ढूंढ तू खिवैया?
रब की बंदी,
रहे सलामत तेरी बिंदी।
खुशबू भरे,
शोख़ अदाएं नखरे।
बाग,हवेली,
“सूने” बग़ैर नन्हीं कली।
न हो गबन,
सोच रौनक-ए-चमन।
कह कहानी,
“गिल” अपनी तू जुबानी।
नवनीत गिल
