दुनिया की मदद करने वाले अनूठे व्यक्तित्व के स्वामी इंद्रजीत शर्मा -हेमलता म्हस्के

दुनिया की मदद करने वाले अनूठे व्यक्तित्व के स्वामी इंद्रजीत शर्मा -हेमलता म्हस्के

 


जे टी न्यूज़, मुंबई : कोई व्यक्ति भयंकर बीमारी से ग्रस्त हो, कोई किसी गंभीर दुर्घटना का शिकार हो, कोई बच्चा प्रतिभाशाली हो और स्कूल कॉलेजों में दाखिले के लिए उनके अभिभावकों के पास पैसे नहीं हों, कोई असहाय महिला हो, बुजुर्ग हो, बच्चे हों, युवा हों और यह सब भले किसी जाति से हों या धर्म से हो, सबकी केवल एक पुकार पर तन मन और धन से आनन फानन में मदद करने के लिए पहुंच जाए तो मेरी नजर में वह कोई और इंसान नहीं, बल्कि वे दिल्ली और अमेरिका के निवासी इंद्रजीत शर्मा हैं। वे न सिर्फ इंसानों के प्रति बल्कि पशुओं और पक्षियों के प्रति भी संवेदनशील हैं। वे अंध विश्वासी भी नहीं हैं वे रूढ़िग्रस्त भी नही हैं। तार्किक हैं और विज्ञानसम्मत प्रयास करने के भी हिमायती हैं। लोभ लालच में नही पड़ते हैं। तारीफ के भी भूखे नहीं है। प्रचार से हमेशा दूर रहते हैं। जुगाड़बाजी में भी उनको कोई दिलचस्पी नहीं है। देश और विदेश में समाज सेवा के लिए विख्यात इंद्रजीत शर्मा के बारे में जो कुछ लिख रही हूं वह केवल इधर उधर से जुटाई जानकारियों और उनके अनेक मित्रों के जरिए से सुनी सुनाई बातों के आधार पर नही लिख रही हूं बल्कि बहुत कुछ अपने अनुभव से लिख रही हूं। उनसे कभी कभार फोन पर और कभी मैसेंजर पर जरुर बात करने का मौका मिला है । दिल्ली के कन्हैया नगर स्थित उनके घर पर जाने का और उनकी पत्नी से मिलने का मौका जरूर मिला। मुझे उनके परिवार के लोगों से जो प्यार मिला। इज्जत मिली, वह समय मेरे लिए यादगार हो गया। पहली बार की बातचीत के दौरान ही मुझे लगा कि वे एक ऐसे इंसान हैं जिनके विराट स्वरूप के सामने कोई भी व्यक्ति खुद को कभी छोटा महसूस नही करता बल्कि उनकी ही तरह सामने वाला साधारण से साधारण व्यक्ति भी बड़ा दिल वाला हो जाता है । ऐसा भी लगता है कि उनका जन्म लोगों की खिदमत करने के लिए ही हुआ हो। कोई भी दीन, हीन और पद विहीन व्यक्ति क्यों न हो, हरेक व्यक्ति को समान भाव से देखने समझने और उनकी मदद करने वाले इंद्रजीत शर्मा जैसे लोग समाज में बहुत कम होते हैं। मैं ऐसे परोपकारी व्यक्ति के संपर्क में आकर खुद को धन्य समझती हूं । मेरा ऐसा सौभाग्य कहां कि मुझ जैसी साधारण जीवन जीने वाली लेखिका को कोई इतना सम्मान,सहयोग और साहस दे। लिखने पढ़ने में मेरी शुरू से रुचि रही है लेकिन समाजसेवा करने के क्षेत्र में मुझे आधार देने वाले वे मेरे जीवन के पहले व्यक्ति हैं।

पुणे में जरूरतमंद महिलाओं की मदद करने के मकसद से महिलाओं की एक सभा करना चाहती थी। मेरे एक मित्र प्रसून लतांत ने उनके बारे में बताया था लेकिन मुझे इतना भरोसा नहीं हो रहा था कि ऐसा भी कोई व्यक्ति हो सकता है जो मेरे बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होते हुए भी इस तरह से मेरा हौसला बुलंद करेंगे और आयोजन के लिए मदद करने को तैयार हो जायेंगे । बहुत संकोच के साथ फोन पर मैं अपनी समस्या पूरी तरह रख ही रही थी कि उन्होंने सबसे पहले अपनी बातों से मेरे संकोच को तोड़ा और आश्वस्त करते हुए हुए मुझे इतनी जल्दी सहज बना दिया कि क्या कहूं। उन्होंने जल्द ही सहयोग राशि भिजवा दी। इस तरह किसी को ठीक से समझने वाला और जरूरतमंदों को तत्काल मदद करने वाला इंसान मैंने अपनी जिंदगी में पहली बार जाना। वे इतने संवेदनशील , अनुभवी और अहंकार शून्य व्यक्ति हैं कि वे सच्चे लोगों को सहज पहचान लेते है और उनकी जिंदगी में सबसे बड़े सहायक के रूप में खड़े हो जाते है। वे न सिर्फ स्वयं से जरूरतमंदों की मदद करते है बल्कि बहुत से मित्रों और अन्य लोगों को भी समाज की सेवा के लिए प्रेरित करते रहते हैं। इस तरह इंद्रजीत शर्मा अकेले ही समाजसेवा नही करते बल्कि अपनी इन प्रवृत्तियों का विस्तार भी करते रहते हैं। उनको जानकर ऐसा लगता है कि समाजसेवा के लिए पैसे, अनुभव और अवसरों से ज्यादा एक संवेदनशील मन का होना ज्यादा जरूरी होता है और हमारे इंद्रजीत शर्मा ऐसे ही संवेदनशील मन के स्वामी हैं। हालांकि उनके पास विख्यात दिवंगत पिता पंडित तिलकराज शर्मा की अपने समय में की गई समाज सेवा की विरासत भी है लेकिन कोई जरूरी नहीं कि सभी अपनी विरासत से प्रेरित ही होता हो। इंद्रजीत शर्मा प्रेरित होते है और उसका विस्तार भी करते रहते हैं। उनके पास अपनी मौलिक चेतना है,उन्हें साहित्य,कला और संस्कृति में भी गहरी रुचि है जिसके कारण वे समाजसेवा के क्षेत्र में बिल्कुल अलग ही व्यक्तित्व की तरह नजर आते हैं। अंतरराष्ट्रीय ख्याति के इंद्रजीत शर्मा ने मुझे महिला सम्मेलन के आयोजन के लिए सहयोग राशि इस आश्वासन के साथ भिजवाई कि और भी कभी कोई जरूरत हो तो मुझे बताने में कभी कोई संकोच नहीं करें। ऐसे विरले व्यक्ति के घर पर जाकर मैंने देखा कि इनके बैठकखाने के बगल वाला कमरा उन्होंने अपने दिवंगत पिता पंडित तिलकराज शर्मा को समर्पित कर रखा है। इस कमरे में उनके पिता की याद दिलाने वाली वस्तुएं बहुत श्रद्धा के साथ रखी हुई हैं। कोई अपने पूर्वज को इतना सम्मान देता है ऐसा मैने इंद्रजीत शर्मा के अलावा किसी और को नहीं देखा। लोग अपने पूर्वजों को मात्र एक तस्वीर तक सीमित करके रखते हैं लेकिन इंद्रजीत शर्मा की अपने पूर्वज के प्रति यह श्रद्धा नमन के काबिल है। उनका बैठकखाना ढेर सारी संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित होने वाली तस्वीरों और प्रदत्त स्मृति चिन्हों से सजा हुआ है। उनकी इसी विलक्षण विशेषता को देखते हुए सविता चड्डा जन सेवा समिति ने उनको हीरों में हीरा सम्मान से सम्मानित किया है। इसके अलावा इंद्रजीत शर्मा अपने उल्लेखनीय कार्यों के लिए देश और विदेश में अनेक सम्मानों और पुरुस्कारों से सम्मानित होते रहे हैं। इसकी सूची बहुत लंबी है जिनका उल्लेख करना यहां संभव नहीं है। इंद्रजीत शर्मा एक कामयाब व्यवसाई भी हैं लेकिन वे हमेशा समाजसेवा को ही प्राथमिकता देते आए हैं। वे दिखावटी जीवन नही जीते। जैसे वे भीतर है वैसे ही बाहर भी हैं। वे संत की तरह हैं उनकी सादगी लोगों को सुकून देती है। वे अपने संपर्क में आने वाले व्यक्ति को असहाय नहीं रहने देते। उन्होंने कोरोना विपदा के दौरान लोगों की जिस तरह से मदद की , वह सराहना के काबिल है और कभी भूलने लायक भी नही है। कोरोना के दौरान जब अनेक व्यवसाई लोग लाभ कमाने में जुटे हुए थे तब इंद्रजीत शर्मा अपनी संपदा को लोगों की मदद करने में न्यौछावर कर रहे थे। इंद्रजीत शर्मा की क्षमताओं का कोई अंदाज नही लगा सकता।
वे इंसानों की सेवा करते ही रहते हैं पर गौ सेवा के के साथ-साथ वे अन्य जीवों से भी बहुत प्रेम करते हैं। वे सन्त समाज की भी सेवा मे निरंतर लगे रहते है। हरिद्वार जब भी जाते है। वे जब भी हरकी पौड़ी हरिद्वार जाते हैं तो वहाँ की सफाई करने में अपना योगदान देते है।अपनी मुस्कुराहटों से सभी का दिल जीतने वाले इंद्रजीत जी कभी थकते नहीं । जब आवाज दो हाजिर, उनके परिवार का भरपूर योगदान रहता है।
वे मुफ्त फिजियोथेरेपी, मुफ्त दवाइयों का वितरण, भोजन, कपड़े आदि वितरण करते हैं और आपात सेवाओं के रूप में कई (एम्बुलेन्स) मरीजों को हास्पिटल ले जाने के लिये लगाई हुई हैं। वे विद्यार्थियों के लिए पुस्तकालय का भी संचालन करते हैं। यह तो मैं तब लिख रही हूं जब उनसे मुलाकात भी नहीं हुई है। मुझे उम्मीद है कि अब जब कभी भी उनसे मुलाकात होगी तो मैं उनके व्यक्तित्व की और अन्य विशेषताओं को भी जान सकूंगी। इंद्रजीत शर्मा एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में तब्दील होते जा रहे है जो सभी के लिए अनुकरणीय हैं । दुनिया में दो ही तरह के लोग महान होते है जिन्हें लोग कभी नहीं भूलते। एक वह जो नए नए आविष्कार कर लोगों की जिंदगी को आसान बनाते हैं और दूसरे वे जो मानवता की खिदमत करते हैं। इंद्रजीत शर्मा लोगों की खिदमत करने वाले इंसान के रूप में लोगों के दिलों में हमेशा अपनी जगह बनाए रखेंगे। मनुष्य जीवन का प्रमुख रूप से दो ही लक्ष्य होते हैं एक सत्य को जानना और दूसरा मानवता की सेवा करना। इंद्रजीत शर्मा सत्य को जानने की कोशिश करते रहते हैं और मानवता की सेवा के लिए अपना जीवन उन्होंने अर्पित ही कर रखा है।

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