भाकपा-माले की दो दिवसीय केंद्रीय कमिटी की बैठक कुमारधुबी में शुरू

विकासमान अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय परिस्थिति पर जारी है चर्चा

भाकपा-माले की दो दिवसीय केंद्रीय कमिटी की बैठक कुमारधुबी में शुरू

विकासमान अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय परिस्थिति पर जारी है चर्च

 

जे टी न्यूज, धनबाद: भाकपा-माले की केंद्रीय कमिटी की दो दिवसीय बैठक आज से धनबाद के कुमारधुबी में शुरू हुई. बैठक में सबसे पहले मासस के भाकपा-माले में विलय का स्वागत किया गया. केंद्रीय कमिटी ने कहा कि विलय की इस प्रक्रिया से न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश में वाम कतारों में नया उत्साह पैदा हुआ है. केंद्रीय कमिटी ने कल संपन्न हुई एकता रैली के संदेश को झारखंड के मूलवासियों तक ले जाने का आह्वान किया. आज की बैठक में मासस नेता रहे का. आनंद महतो, पूर्व विधायक अरूप चटर्जी और का. हलधर महतो भी शामिल हुए.

बैठक की अध्यक्षता पार्टी के वरिष्ठ नेता का. स्वदेश भट्टाचार्य, बिहार राज्य सचिव का. कुणाल, स्कीम वर्करों की नेता का. शशि यादव. UP से कृष्णा अधिकारी, आंध्रप्रदेश से एन मूर्ति, झारखंड के पूर्व राज्य सचिव का. जनार्दन प्रसाद आदि कर रहे हैं. देश के विभिन्न राज्यों से केंद्रीय कमिटी के सदस्य बैठक में शामिल हो रहे हैं. पार्टी के दोनों सांसद का. राजाराम सिंह, का. सुदामा प्रसाद सहित कई विधायक भी बैठक में शामिल हैं.

पार्टी महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने देश की विकासमान राजनीतिक परिस्थिति पर चर्चा की शुरुआत की. मुख्य रूप यूरोप में धुर दक्षिणपंथ की बढ़त के दौर में फ्रांस में संयुक्त वामपंथ का उभार, बांग्लादेश के घटनाक्रम का उपयोग भारत में बांग्लादेश विरोधी- अप्रवासी विरोधी मुस्लिम विरोधी घृणा अभियान के रूप में करने, दलित-आदिवासी समाज मे उप-वर्गीकरण, वक़्फ बोर्ड का सवाल, उच्चतम न्यायालय द्वारा बुलडोजर न्याय पर की गई टिप्पणी, गौ रक्षा के नाम पर मुस्लिमों- दलितों पर हमले, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा और उसके बाद महाराष्ट्र व झारखंड में आगामी चुनावों; आरजी कर मेडिकल कॉलेज में भयावह बलात्कार और हत्या के बाद उभरे जन प्रतिरोध आदि विषयों पर चर्चा की गई.

भाकपा-माले का मानना है कि भाजपा उप-वर्गीकरण की आड़ में दलित समुदाय को आपस में उलझाने की साजिश कर रही है. इससे कोई इंकार नहीं कर सकता कि दलित समुदाय का एक हिस्सा अभी भी बहुत कमजोर और अभिवंचित है. उनके आर्थिक-शैक्षिक सशक्तीकरण के एजेंडे पर बात करने की बजाय उलझाने की राजनीति हो रही है. इसलिए SC-ST सबप्लान को लेकर पार्लियामेंट का विशेष सत्र बुलाना चाहिए. हम देश के स्तर पर अविलंब जाति गणना करवाने की मांग करते हैं.

वक़्फ बोर्ड के मसले पर राज्य का हस्तक्षेप उचित नहीं है. हमारी समझ है कि मुस्लिम नागरिक समाज को इस मसले को खुद देखना चाहिए और वक़्फ की संपति को पारदर्शी बनाने के लिए जरूरी हस्तक्षेप करना चाहिए.

भाकपा-माले झारखंड और अन्य राज्यों के लिए खनिज- संपदा की उचित रायल्टी उपलब्ध कराने की मांग करती है ताकि गरीबी-बेकारी दूर करने की पहलकदमी ली जा सके.

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