बी.पी.एस.सी. अभ्यर्थी छात्रों के आंदोलन एवं मांगों की समर्थन में मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर प्रस्थान किया
बी.पी.एस.सी. अभ्यर्थी छात्रों के आंदोलन एवं मांगों की समर्थन में आज 3 जनवरी को
बी.पी.एस.सी. अभ्यर्थी छात्रों के आंदोलन एवं मांगों की समर्थन में मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर प्रस्थान किया

जे टी न्यूज़, पटना : बी.पी.एस.सी. अभ्यर्थी छात्रों के आंदोलन एवं मांगों की समर्थन में आज 3 जनवरी को एसएफआई, एआईएसएफ, आयसा, जनवादी नौजवान सभा तथा अन्य युवा संगठनों ने संयुक्त रूप से गाँधी मैदान के पास कारगील चौक पर जमा होकर मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर प्रस्थान किया। इन प्रदर्षनकारियों के साथ सीपीआई (एम) के विधायक सत्येन्द्र यादव, सीपीआई(एमएल) के विधायक दल के नेता महबूब आलम, सीपीआई के सूर्यकांत पासवान के अलावे सीपीआई(एमएल) के अन्य विधायक शामिल थे।
सैकड़ों की संख्या में मार्च कर रहे प्रदर्षनकारियों को जे.पी. गोलंबर के पास बैरीकेड खड़ा कर रोकने की कोषिष की गई। बैरीकेड को तोड़ते हुए प्रदर्शन कारी डाकबंगला चौराहा तक पहुँच गये। प्रदर्षन यहाँ आकर आमसभा में बदल गया। आमसभा को डीवाईएफआई के राज्य अध्यक्ष कॉ0 मनोज कुमार चंद्रवंशी, एस एफ आई के राज्य अध्यक्ष कांति कुमारी के अलावे अन्य वक्ताओं ने संबोधित करते हुए बिहार सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वर्तमान सरकार को बिहार में अतीत में हुए छात्र-युवा आंदोलन से सबक लेते हुए, बीपीएससी अभ्यर्थियों द्वारा उठाये गये एक सुत्री पुर्नपरीक्षा की मांग को तत्काल मानकर फिर से परीक्षा लेनी चाहिये। वक्ताओं ने कहा कि अगर सरकार अभ्यर्थियों की मांग नहीं मानती है, तो पूरे बिहार के छात्र-युवा लम्बे संघर्ष के जरिये वर्तमान भाजपा-जदयू सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिये प्राणपन से जुट जायेंगे। इन सत्ताधारियों को याद रखना चाहिये कि बिहार के छात्र-युवाओं ने इंदिरा गांधी की आपातकाल की सत्ता को उखाड़ फेकने में निर्णायक भूमिका निभाई थी। भाजपा-जदयू की सरकार को वही दिन देखना पड़ेगा। छात्र-युवा प्रदर्शन कारी को सीपीआई(एम) के विधान सभा सदस्य कॉ0 सत्येन्द्र यादव के अलावे अन्य विधान सभा सदस्यों ने संबोधित कर प्रदर्शन कारी की हौसला अफजाई करते हुए विधान सभा के अन्दर और बाहर जनपक्षी नीतियों एवं छात्र-युवाओं के सवालों को उठाने का भरोसा दिलाया। पार्टी की बिहार राज्य कमिटी छात्र-युवाओं द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन का पूरजोर समर्थन करते हुए सरकार से मांग करती है कि अविलम्ब उनके मांगों को गंभीरता से ली
जाय।

