किसान मजदूर विरोधी केन्द्रीय बजट को वापस लेना होगा
किसान मजदूर विरोधी केन्द्रीय बजट को वापस लेना होगा

जे टी न्यूज, बेतिया: आज संयुक्त किसान मोर्चा तथा ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा बेतिया में राज देवड़ी स्थित टांगा स्टैंड से एक विशाल जुलूस निकाला गया। जो केन्द्रीय बजट को समाहरणालय के गेट पर जलाया गया।
केंद्रीय बजट 2025 को कॉरपोरेट जगत तथा पूंजीपतियों के लिए बजट बताया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया केंद्रीय बजट पूरी तरह से गरीब विरोधी बजट तथा कॉरपोरेट जगत का बजट बताते हुए कहा कि भले ही सकल घरेलू उत्पाद में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों का योगदान बढ़कर 16 प्रतिशत हो गया है, लेकिन कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए बजट आवंटन 2024-25 के संशोधित अनुमानों से कम है। जहां 2024-25 का संशोधित अनुमान 376720.41 करोड़ रुपये था, वहां 2025-26 के लिए आवंटन केवल 371687.35 करोड़ रुपये है। अगर मुद्रास्फीति को ध्यान में रखा जाए, तो यह आवंटन में बहुत बड़ी कटौती है। सही मायने में किसान मोदी सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं।

यही कारण है कि एमएसपी को कानूनी दर्जा देने , कृषि बाजार का विस्तार करने या किसानों को कर्ज मुक्त करने के लिए बजट में कुछ भी नहीं है। यहां तक कि लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए संसदीय स्थायी समिति की सिफारिश को भी अनदेखा कर दिया गया है।
रोजगार में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है, यह 2017-18 के 44.1 प्रतिशत से बढ़ कर 2023-24 में 46.1 प्रतिशत हो गई है।
मनरेगा के लिए बजट आवंटन पर की तरह सिर्फ 86,000 करोड़ रुपये रखा गया है। ग्रामीण इलाकों में रोजगार सृजन पर कोई जोर नहीं दिया गया है। सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान के लिए सभी फंड रोक रही है और इसके लिए बजट आवंटन कुछ भी नहीं है।यह ग्रामीण विकास और ग्रामीण गरीबों के प्रति भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की उदासीनता को भी दर्शाता है।
खाद सब्सिडी के लिए किया गया आवंटन भी 2024-25 से कम है। कल्याणकारी योजनाओं के तहत राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेशों को दालों के वितरण के लिए आवंटन शून्य है, जबकि पिछले बजट में इस के लिए 300 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। बहु प्रचारित, 12 लाख रुपये तक आयकर में छूट का उद्देश्य त्वरित चुनावी लाभ प्राप्त करना है। बढ़ती कीमतें, बढ़े हुए अप्रत्यक्ष करो और लगातार होती खाद्य, स्वास्थ्य, शिक्षा, यात्रा व्यय में वृद्धि, के कारण इस छूट के कोई मायने नहीं है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए आवंटन में 15,864 करोड़ रुपये से घटा कर 12,242.27 करोड़ रुपये की भारी कटौती की गई है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लिए आवंटन में कोई वृद्धि नहीं हुई है । खाद सब्सिडी को 171298.50 करोड़ रुपये से घटाकर 167887.20 करोड़ रुपये कर दिया गया है, यानी 3,411.30 करोड़ रुपये की कटौती की गई है। 

इस तरह यह स्पष्ट हो गया है कि 2025 का केन्द्रीय बजट कॉरपोरेट के मुनाफे के लिए तथा किसानों ,गरीबों का कमर तोड़ने के लिए बनाया गया है ।बेतिया समाहरणालय पर बजट की प्रतियां जलाई गई।सभा को एटक के वरिष्ठ नेता ओमप्रकाश क्रांति,बिहार राज्य किसान सभा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य चाँदसी प्रसाद यादव, जिला सचिव हरेंद्र प्रसाद, अध्यक्ष रामा यादव,बिहार प्रांतीय खेतिहर मजदूर यूनियन के जिला सचिव प्रभुनाथ गुप्ता, म. हनीफ,मनोज कुशवाहा,सीटू के जिला सचिव शंकर कुमार राव,बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ के जिला सचिव म. वहीद,बिहार राज्य किसान सभा के सचिव राधामोहन यादव, अध्यक्ष अशोक मिश्र ,खेत मजदूर यूनियन के सुबोध मुखिया,किसान मजदूर संघ के मानती राम,किसान मजदूर सभा के सुरेंद्र प्रसाद,राजू बैठा, म.सहीम,मुस्तकीम साईं,अंजारुल,संजय सिंह ने संबोधित किया।


