अतिथि शिक्षक तेरा दर्द ना जाने कोई
अतिथि शिक्षक तेरा दर्द ना जाने कोई
जे टी न्यूज, पटना :
बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों ने अपनी सेवा को नियमित करने के लिए बिहार सरकार से शीघ्र कदम उठाने की मांग की है। शिक्षा विभाग, बिहार सरकार के संकल्प संख्या 1594 दिनांक 20.08.2014 के तहत, राज्य के विश्वविद्यालयों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। हालांकि, इन शिक्षकों को स्थायी नियुक्ति नहीं मिल पाई है, जिसके चलते उनका भविष्य अनिश्चित बना हुआ है।
इन अतिथि शिक्षकों ने न केवल शिक्षण कार्य किया है, बल्कि विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के प्रशासनिक कार्यों, गतिविधियों और अन्य जिम्मेदारियों को भी निभाया है। कई अतिथि शिक्षकों ने 5 से अधिक वर्षों तक अपने दायित्वों का बेहतरीन तरीके से पालन किया है। इसके बावजूद, जब स्थायी सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति होती है, तो उनकी सेवाएं स्वतः समाप्त हो जाती हैं। बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति में कार्यरत अतिथि शिक्षकों के लिए कोई विशेष प्रावधान या वेटेज नहीं दिया गया है, जिससे उनकी चिंता और असंतोष बढ़ गया है।
अन्य राज्यों की पहल
अतिथि शिक्षकों की नियमितीकरण की दिशा में अन्य राज्य सरकारों ने ठोस कदम उठाए हैं। जैसे कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारों ने वहां के विश्वविद्यालयों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों की सेवा नियमित कर दी है। बिहार में भी 1976, 1980 और 1982 में अस्थाई सहायक प्राध्यापकों की सेवा नियमित की जा चुकी है। अतिथि शिक्षक संघ ने बिहार सरकार से अपील की है कि इस दिशा में बिहार में भी जल्द कदम उठाए जाएं।
स्थिति का अवलोकन
राज्य के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में लंबे समय से शिक्षक पदों का सृजन नहीं हुआ है। 1970 के दशक में शिक्षक पदों का सृजन हुआ था, लेकिन उस समय के छात्रों की संख्या की तुलना में आज छात्रों की संख्या कई गुना बढ़ चुकी है। अब छात्र-शिक्षक अनुपात में असंतुलन है, और इस स्थिति में शिक्षक पदों का सृजन आवश्यक हो गया है।
इस संदर्भ में अतिथि शिक्षकों ने मुख्यमंत्री , कुलाधिपति एवं विभिन्न जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया है कि उनकी सेवाओं को नियमित करने के लिए शीघ्र निर्णय लिया जाए। अतिथि शिक्षक संघ का कहना है कि यदि बिहार सरकार नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करती है, तो न केवल उनके भविष्य को सुरक्षित किया जा सकेगा, बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
अतिथि शिक्षकों ने यह भी कहा, “हमने पांच वर्षों से अधिक समय तक निष्ठापूर्वक अपनी सेवाएं दी हैं। हमें उम्मीद है कि बिहार सरकार हमारे हित में शीघ्र कदम उठाएगी, जैसा कि अन्य राज्यों ने किया है।”
अतिथि शिक्षकों का मानना है कि इस कदम से बिहार में शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा और योग्य शिक्षकों को स्थायित्व मिलेगा।



