मुरादाबाद की घटना ने पूरे सभ्य समाज को किया कलंकित, मुट्ठी भर जाहिल लोगों ने दिया इस घटना को अंजाम।
आर.के. रॉय /संजीव मिश्रा
नई दिल्ली:
शुक्रवार को मुरादाबाद में घटित घटना ने पूरे समाज को कलंकित कर दिया है ।
मामला यूपी के मुरादाबाद शहर का है ।
एक कोरोना संक्रमित को अस्पताल ले जाने पहुँची चिकित्साकर्मियों और पुलिस की टीम पर स्थानीय लोगों ने पथराव किया।शर्मनाक तो ये कि उन हमलावरों में महिलाएं भी शामिल थीं, जो छत पर से ईंट,पत्थर फेंक रही थीं।उनके इस हमले में एक चिकित्सक समेत तीन चिकित्साकर्मी गम्भीर रूप से घायल हो गए हैं।जबकि उससे पहले उस परिवार के एक सदस्य की कोरोना से मौत हो चुकी है। और एक की तबियत काफी खराब है।ऐसी ही घटना कुछ दिन पूर्व इंदौर की एक मुस्लिम बस्ती में हुई थी,जब वहाँ कोरोना संदिग्धों की जाँच करने चिकित्सा कर्मियों का दल पहुंचा था।
बरेली, सहारनपुर,भोपाल,मधुबनी,मुंगेर सहित और भी कुछ स्थानों पर ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।हम देख रहे हैं कि मौलाना साद और उसके मरकज में शामिल जमातियों की गैर जिम्मेदाराना हरकत की सजा आज पूरा देश भुगत रहा है और देश को एक और लॉक डाउन की जरूरत आ गई।अब मौलाना साद के कुछ परिजनों के भी कोरोना संक्रमित होने की जानकारी मिल रही है।चंद जाहिल जो खुद को सबसे अधिक अक्लमंद समझते हैं,ने अपने परिवार,अपने समाज और पूरे राष्ट्र को संकट में डाल दिया है।
ये समझ से परे है कि इस संकट की घड़ी में जब चिकित्साकर्मी और पुलिसकर्मी दिन रात हमारी रक्षा के लिए अपना घर परिवार छोड़ अपनी जान पर खेलकर हमारी सेवा में लगे हैं उनपर क्यूँ हमले हो रहे हैं।आखिर इसके पीछे की मानसिकता क्या है।आखिर क्या सोंचकर हमलावरों ने चिकित्साकर्मियों और पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला किया।क्या उन्हें इतनी भी समझ नहीं कि जो लोग उनके पास गए थे वो उनके और उनके परिजनों की सुरक्षा के लिए गए थे, उनकी जान बचाने गए थे।कोई और होता तो ऐसे लोगों को उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ देता परन्तु हमारे चिकित्साकर्मियों और पुलिसकर्मियों ने मानवता की अद्भुत मिसाल पेश की और मार खाकर भी लोगों के पास जा रहे हैं और उनके प्राणों की रक्षा कर रहे हैं।
हमलावर ये क्यों नहीं सोंचते कि यदि चिकित्साकर्मियों और पुलिस कर्मियों ने ऐसी हरकत करने वाले मुहल्ले में जाना छोड़ दिया,ऐसे लोगों और उनके परिजनों का इलाज करना बंद कर दिया तो क्या होगा।क्या सिर्फ चिकित्साकर्मियों और पुलिसकर्मियों ने ही मानवता का ठेका ले रखा है ?लोग ये क्यूँ नहीं समझ रहे कि सरकार ने ये सारी व्यवस्था उनके भले के लिए की है।कल्पना करें यदि सरकार ने सख्ती दिखाते हुए ऐसे मुहल्लों को सील कर उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया तो फिर उनका क्या होगा ?क्या वो लोग अखबार नहीं पढ़ते,क्या वो टेलीविजन पर समाचार नहीं देखते, क्या उन्हें नहीं दिख रहा कि कोरोना ने पूरी दुनियाँ को अपनी चपेट में ले लिया है।क्या वो नहीं देख रहे कि सोशल डिस्टेसिंग ही कोरोना से बचाव का एक मात्र तरीका है।क्या वो नहीं देख रहे कि एक संक्रमित के सम्पर्क में आने से कई लोग संक्रमित हो रहे हैं।फिल्म अभिनेता सलमान खान ने ठीक ही तो कहा है कि चंद जोकरों की वजह से ये बीमारी फैल रही है।उन्होंने कहा कि चंद लोगों की वजह से जिनके दिमाग में चल रहा है कि उन्हें कुछ नहीं होगा,उनकी वजह से कई लोगों की जानें जाएगी। मुरादाबाद की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है । हैरत की बात है कि अब महिलाएं भी पत्थर बाजी में निकल पड़ी है वो भी सेवा करने आये चिकित्सक, पुलिस पर जो उनकी जान बचाने को आगे आये हैं। प्रदेश की सरकार को इसपर कड़ा एक्शन लेना होगा ताकि आगे से कोई ऐसा हिमाकत ना कड़े।