राहे में किसान सभा एवं माकपा ने जालियांवाला बाग शहादत दिवस मनाया ।

जालियांवाला बाग गोलीकांड अंग्रेजों का सबसे क्रूर घटना था - सुफल महतो 

राहे में किसान सभा एवं माकपा ने जालियांवाला बाग शहादत दिवस मनाया ।

 

जालियांवाला बाग गोलीकांड अंग्रेजों का सबसे क्रूर घटना था – सुफल महतो

जे टी न्यूज, रांची/झारखंड: झारखंड राज्य किसान सभा एवं माकपा के तत्वावधान में राहे में जालियांवाला बाग शहादत दिवस सम्मान पूर्वक मनाया गया। जालियांवाला बाग शहादत दिवस अमर रहे, जालियांवाला बाग के शहीदों अमर रहे, लोकतंत्र व संविधान की रक्षा के लिए संघर्ष तेज़ करो आदि नारे लग रहे थे। मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए झारखंड राज्य किसान सभा के राज्य अध्यक्ष सुफल महतो ने कहा जालियांवाला बाग की घटना की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा भारत की आजादी के संघर्षों में जालियांवाला बाग गोली कांड अंग्रेजों का सबसे क्रूर घटना था, 13 अप्रेल 1919 को अमृतसर , पंजाब के जालियांवाला बाग में घटित हुई थी उस दिन वैशाखी का त्योहार था और आजादी का सपने लिए हजारों पुरुष – महिलाएं, नौजवान , बच्चों जनसभा में शामिल थे, बिना किसी चेतावनी भीड़ पर जेनरल डायर द्वारा अंधाधुंध गोलियां फायरिंग करने का आदेश दिया गया, अंग्रेजी सैनिकों ने 10 मिनट तक बिना रुके गोलीबारी की,जिसमें 1000 से ज्यादा लोग शहीद हो गए,और सैकड़ों लोग घायल हुए।शहिद कुआं में सैकड़ों लोग छलांग लगा कर शहीद हुए एवं बर्बर गोली कांड़ में शहीद हुए।जालियांवाला बाग नरसंहार की घटना से पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ देश भर में ऊबाल आ गया। जालियांवाला बाग गोलिकांड के पश्चात देश भर में अंग्रेजों के खिलाफ आन्दोलन आग की फ़ैल गया। चश्मदीद उद्धम सिंह खून सनी मिट्टी हाथ में लेकर कसम खाया,जेनरल डायर को मारकरही दम लूंगा। जो बाद में जेनरल डायर को मारकर जालियांवाला बाग गोलिकांड का बदला उद्धम सिंह ने चुकाया। जालियांवाला बाग गोलिकांड की घटना अंग्रेजों को सबसे महंगा साबित हुआ, अंततः भारत में फैली आंदोलन उन्हें भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। इस अवसर पर

 

 

 

किसान नेता बिनोद साव,सुषेण हजाम,सुरजू साव , साजु रक्षित,हांडू हरिजन, इंद्रजीत पातर मुंडा, जनमंजय साव,विशाल मक्षुवा,दिनबनधु महतो आदि उपस्थित थे।

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