दिनकर केवल कवि नहीं थे, बल्कि युगद्रष्टा थे : प्रो रामजी सिंह
दिनकर केवल कवि नहीं थे, बल्कि युगद्रष्टा थे : प्रो रामजी सिंह
जे टी न्यूज, पटना:
गांधीवादी विचारक एवं पूर्व सांसद प्रो. रामजी सिंह ने कहा कि दिनकर केवल कवि नहीं थे, बल्कि वे एक युगद्रष्टा थे। उनका साहित्य आज भी समाज को जागरूक करने और अन्याय के विरुद्ध खड़े होने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि दिनकर की कविताएँ आज के युवाओं में राष्ट्रभक्ति, सामाजिक चेतना और संघर्षशीलता की भावना को पुनः जागृत करने में सक्षम हैं। शहर के बापू सभागार में गुरूवार को आयोजित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 51 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये प्रो रामजी सिंह ने यह कहा। कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पहली चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित और दीप प्रज्वलित कर किया गया। संगोष्ठी में वर्तमान समय में दिनकर साहित्य की प्रासंगिकता विषय पर विद्वानों, साहित्यकारों, विचारकों और राजनेताओं द्वारा दिनकर जी के साहित्यिक योगदान पर अपना विचार साझा किया गया। इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने दिनकर को लोक चेतना के कवि की संज्ञा देते हुए कहा कि उनके काव्य में जो ओज, शौर्य और आत्मबल है। वह आज की पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक है। उन्होंने ‘रश्मिरथी’ और ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ जैसी रचनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन काव्य ग्रंथों में जो विचारधारा है। वह आज के सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने सिमरिया घाट के पास गंगा नदी पर बना रहे पुल का नाम दिनकर सेतु रखना का आग्रह सरकार से किया है उनके द्वारा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को भारत रत्न सम्मान देने पर भी जोड़ दिया गया है। अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो सुनैना सिंह ने दिनकर के साहित्य को समकालीन समाज के लिए एक दर्पण बताया। उन्होंने कहा कि दिनकर ने अन्याय, शोषण और दमन के विरुद्ध अपनी लेखनी को हथियार बनाया। उनकी कविता आमजन की आवाज बनी। आज जब समाज विभिन्न प्रकार की विघटनकारी ताकतों से जूझ रहा है, तब दिनकर का साहित्य हमें एकजुट होने और सच्चाई के पक्ष में खड़े होने का संदेश देता है। कार्यक्रम में दिनकर की प्रसिद्ध कविताओं का पाठ भी किया गया। उनके जीवन से जुड़े प्रसंगों का स्मरण किया गया। वक्ताओं ने यह भी कहा कि विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में दिनकर साहित्य को पुनः पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उनके विचारों से प्रेरणा ले सकें। वक्ताओं ने कहा कि दिनकर का साहित्य केवल अतीत की धरोहर नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए प्रकाशस्तंभ है। उनका ओज, आदर्श और चेतना आज भी भारतीय समाज को दिशा देने में सक्षम है। इस अवसर पर राजस्थान के प्रसिद्ध साहित्यकार बलबीर सिंह करुण की पुस्तक सचल हिमालय दिनकर और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के पुत्र केदारनाथ सिंह की पुस्तक थोड़ा थोड़ा पुन्न, थोड़ा थोड़ा पाप का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर राजस्थान के कवि बलवीर सिंह करुण, प्रो कमलनाथ मिश्र, रमाकांत शर्मा, डॉ अजय कुमार, विश्व भारती शांति निकेतन के प्रो सुभाष चंद्र राय, मंत्री अशोक चौधरी, डॉ संजय कुमार, डॉ संजय पंकज, ऋत्विक उदयन एवं अन्य प्रमुख लोगों के द्वारा विचार व्यक्त किया गया। राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार ने आगत अतिथियों का स्वागत किया और धन्यवाद विज्ञापन डॉ श्री कृष्णा सिंह फाउंडेशन के अध्यक्ष संतोष कुमार द्वारा किया गया।
इस अवसर पर पद में विभूषण पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान पद्मश्री आचार्य किशोर कुणाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री पद्मश्री डॉ सीपी ठाकुर, पद्मविभूषण डॉ बिंदेश्वर पाठक, बलवीर सिंह करुण, फिल्म निर्माता इम्तियाज अली और खान ग्लोबल स्टडी के संस्थापक खान सर को राष्ट्रकवि दिनकर सम्मान से सम्मानित किया गया है।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में मुंबई के लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स एग्जांपल वाइड रिकॉर्ड्स के प्रख्यात रंगकर्मी मुजीब खान के निर्देशन में रश्मिरथी का नाट्य मंचन किया गया। दर्शकों ने नाटक का खूब आनंद लिया और सराहा।



