रेल भवन पर टिकट दलालो का कब्जा, मंत्री व सांसद की सिफारिश पर भी नहीं मिलता जरुरतमंद को इमरजेंसी कोटे से आरक्षित सीट

रेल भवन पर टिकट दलालो का कब्जा, मंत्री व सांसद की सिफारिश पर भी नहीं मिलता जरुरतमंद को इमरजेंसी कोटे से आरक्षित सीट


आखिर इंडियन रेलवे में मोदी मंत्रिमंडल के कैबिनेट मंत्रियों का क्या कोई वजूद नहीं ?एक रेल टिकट भी उनके कोटे से कन्फर्म ना होना कहीं ना कहीं मोदी सरकार के तानाशाही को ही दर्शाता है।

जेटीन्यूज़/सुभाष यादव
नई दिल्ली:: टिकट दलालों की पकड़ रेल भवन तख है या रेल भवन पर ही टिकट दलालों व माफियाओं का कब्जा है यह सीधे कहना थोड़ा कठिन है मगर हालात कुछ इसी तरफ इशारा करते हैं। हालात ये हैं कि मंत्री की सिफारिश पर भी जरूरतमंद को रेल के आपात कोटे से उनको आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है। रेल के विभिन्न मंडलों पर अधिकारियों द्वारा आपात कोटे का टिकट दलालों के हाथ बेचने के सनसनीखेज आरोप लगते रहे हैं। मगर रेल मुख्यालय में भी हालात कुछ अलग नहीं है।


इस बाबत मिली जानकारी के मुताबिक सांसद या कैबिनेट मंत्री स्तर के मंत्रियों द्वारा अपने अतिथियों या क्षेत्र की जरूरतमंद जनता के लिए आपात कोटे से सीट आरक्षित करने हेतु सिफारिश भेजे जाते हैं। मगर मौजूदा सरकार में सांसद तो छोड़िये मंत्री के पत्र को भी कोई महत्व नहीं दिया जाता है। वहीं हमारे सुत्रों की मानें तो रेल भवन में बैठे अधिकारी स्टेशनों के दलालों के माध्यम से या आईआरसीटीसी के काउंटर पर बैठे दलालों के माध्यम से 500 से 1000 रुपए में टिकट कंफर्म करने के गोरखधंधा में लिप्त हैं। इस मामला का खुलासा तब हुआ जब समस्तीपुर से प्रकाशित झंझट टाइम्स के संपादक आरके राय ने दिल्ली एम्स से छुट्टी पाने के बाद रामविलास पासवान के पुत्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री चिराग पासवान के पत्र के आधार पर आरक्षित सीट की मांग की। मगर लोजपा नेता के( EQ) पत्र की अनदेखी कर दी गयी। इतना ही नहीं राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर, उपेन्द्र कुशवाहा का सिफारिश पत्र भी लगा कर कोटे से आरक्षित सीट की मांग नई दिल्ली से समस्तीपुर के लिए बिहार संपर्क और वैशाली में मांगा था। मगर किसी पत्र का कोई असर नहीं हुआ।

इस पर तल्ख टिप्पणी करते हुए श्री राय ने कहा कि इससे इतना तो स्पष्ट है कि बिहार के किसी भी सांसद या मंत्री का भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरकार में मान सम्मान नहीं के बराबर है। जननायक के पुत्र रामनाथ ठाकुर का भी पत्र दिए जाने पर टिकट कंफर्मेशन दिल्ली से होना असंभव है, लोजपा संस्थापक पीएम के हनुमान कहे जाने वाले चिराग पासवान, रालोमो सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा आदि के पत्र का भी महत्व नहीं दिया जाना, कहीं ना कहीं बिहार के सांसदों और मंत्रियों का अपमान है। एम्स आदि विभिन्न अस्पतालों में इलाज के लिए आने या घर वापसी केलिए रोगियों को सांसद या मंत्री कोटे का टिकट कंफर्म होना जुमला ही साबित हो रहा है। सांसद और मंत्री के ओएसडी क्षेत्र की जनता का नाम लिखकर सिफारिशी पत्र मेल कर विश्वास के साथ उन्हें भेज दिया करते हैं। ताकी इनकी जवाबदेही समाप्त हो जाए और कहें कि मैं तो प्रयास किया, अब नहीं होता है तो मैं क्या करूं। जबकि नाम नहीं छापने की शर्त पर एक रेल कर्मी ने बताया कि स्टैशन पर टिकट कंफर्मेशन के लिए दलाल सक्रिय हैं।

 

नो रूम होने पर भी हजार रूपए में सीट कन्फर्म करा देते हैं। हालांकि ये एक जांच का विषय है। आखिर किस स्थिति में मोदी मंत्रिमंडल के मंत्री का टिकट रेल भवन द्वारा कंफर्म नहॉ किया गया ।

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