एक तरफ शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटा जा रहा तो कई शिक्षकों को आत्महत्या करने को कर रही मजबूर बिहार सरकार,ऐसे में आखिर कैसे हैं ये सुशाशन बाबू?

सम्बद्ध डिग्री महाविद्यालय के शिक्षकों के अनुदान पर सरकार का विधानसभा में ढुलमुल रवैया बरकरार ।

 

एक तरफ शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटा जा रहा तो कई शिक्षकों को आत्महत्या करने को कर रही मजबूर बिहार सरकार,ऐसे में आखिर कैसे हैं ये सुशाशन बाबू?

 

आखिर वेतन देने के नाम पर नीतीश सरकार क्यों साध लेती चुप्पी? आगामी विधानसभा चुनाव में भुगतने होंगे गंभीर नतीजे

 

जेटीन्यूज़

भागलपुर/समस्तीपुर/ पटना : बिहार के विभिन्न जिलों में विभिन्न विश्वविद्यालय के अधीन करीब 228 सम्बद्ध डिग्री महाविद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारीयों को बिहार सरकार नीतीश कुमार के दोहरे चरित्र के कारण 2017 से आजतक कोई वेतन नही मिला रहा है जबकि कितने पर्व आते कितने पर्व जाते सरकार को कोई फर्क नही पड़ता। नीतीश सरकार ने हाल ही में एक महीने तक राज्यभर में प्रगति यात्रा पर निकले थे, और अभी हाल में करीब 5 लाख शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटा गया है । उनको हरेक चीज की जानकारी है या हो भी रही है बावजूद शिक्षकों की अनुदान राशि पर चुप्पी साधे हुए हैं नीतीश कुमार। क्या नीतीश सरकार इस साल भी सावन का पवित्र महीना शुरू होने वाला है ,क्या शिक्षक को भुगतना नहीं करेंगे,ऐसा प्रतीत हो रहा है ।क्योंकि सावन मास शुरू होने में 10 दिन से भी कम का समय शेष है। ज्ञात हो कि अनुदान नहीं मिलने के कारण महाविद्यालय के शिक्षकों एवं शिक्षक कर्मचारियों में भारी आक्रोश व्याप्त है। और हो भी क्यों ना, क्योंकि पैसे के अभाव में सभी बेदम और बदहाल हो रहे हैं । बावजूद शिक्षकों को पैसा नही दिया गया। सूत्रों की माने तो बिहार के लगभग कॉलेज के मालिक सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के नेता , मंत्री होने के कारण तमाम नियमों को धज्जियां बताते हुए आंतरिक स्रोत से बहुत ऐसे कॉलेज हैं जिसके अध्यक्ष सेक्रेटरी प्रिंसिपल एवं अन्य कर्मचारियों को वेतन नहीं देते, देने की बात तो दूर है अच्छा व्यवहार भी नहीं करते शिक्षकों के साथ। किसी किसी संस्था के संस्थापक के संबंधी भी अध्यक्ष सिक्योरिटी और प्राचार्य पर अपना आदेश देते हैं । विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसे महाविद्यालय के विरुद्ध कोई कार्रवाई करने से क्यों कटती है यह एक प्रश्न वाचक चिन्ह है ? सोचने वाली बात है आखिर नीतीश सरकार इसमें क्यों चुप्पी साधे हुए है । जबकि रेगुलर महाविद्यालय से ज्यादा इसमें पढ़ाई होती है बावजूद 2017 से लेकर आजतक जून खत्म लगभग,जुलाई शुरू ( फरवरी 2025) कोई भुगतान नहॉ किया गया । जबकि बीपीएससी शिक्षकों की बहाली की जा रही है लगातार। क्या नीतीश सरकार शिक्षकों को भूखे मारना चाहती है यह एक बड़ा सवाल है?

जब हमने इन मसले को लेकर सम्बद्ध महाविद्यालय के विभिन जिलों के शिक्षकों से उनकी स्थिति जानी तो समझ नहॉ आया कि कैसे कोई सरकार इन्हें मरने के लिए छोड़ सकती। हालात ये हैं कि इनको खाने पर आफत है । कइयों के घर दो वक्त का खाना नही बन रहा,कई शिक्षक अपना इलाज नही करवा पा रहे है। कई पैसे के अभाव के कारण प्रलोक सिधार चुके हैं । अभी हाल ही में विधानसभा में शिक्षा मंत्री का बयान व नीतीश कुमार का उसपर चुप्पी साधे रहना कुलमिलाकर गोलमाल घुमाना ही प्रतीत हो रहा है । आखिर नीतीश सरकार को ये क्यो नहॉ दिख रहा है कि ये मरणासन्न स्थिति में पहुच चुके हैं ,जिसकी जवाबदेही सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार की है । समय रहते अब अगर नीतीश सरकार कुंभकर्णी नींद से नहीं जगती है तो स्थिति और भयावह हो सकती है । नीतीश सरकार को ये नही भूलना चाहिए कि इसी वर्ष अक्टूबर में आगामी विधानसभा चुनाव भी होने है। अगर अब भी सरकार ध्यान नहीं देती तो इसका खामियाजा नीतीश सरकार को 2025 के विधानसभा चुनाव में भुगतना होगा। इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे । नीतीश सरकार के अड़ियल रवैया के कारण सभी शिक्षकों का कोपभाजन का शिकार होना पड़ेगा ऐसा स्थिति देखकर प्रतीत हो रही है।

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