सुपौल सहरसा मधेपुरा का गजेटियर तैयार किया जा रहा
सुपौल सहरसा मधेपुरा का गजेटियर तैयार किया जा रहा
जे टी न्यूज, सुपौल: सुपौल सहरसा मधेपुरा का गजेटियर तैयार किया जा रहा है। सरकार ने यह जिम्मेदारी ICSSR नयी दिल्ली से सम्बद्ध इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट संस्था को दी है। कोसी के साथ सीमांचल (पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार) का भी गजेटियर लिखा जाएगा। सबसे पहले अंग्रेजों ने गजेटियर लिखने की शुरुआत की थी। आज भी हमारी जानकारी के लिए वही गजेटियर प्रामाणिक स्रोत बने हुए हैं।
सहरसा 1अप्रैल 1954 को जिला बन गया था। इसलिए सहरसा जिला गजेटियर का प्रकाशन पहली बार 1965 ई. में हुआ पी.सी. राय चौधरी द्वारा हो गया था। इससे पूर्व यह पूरा इलाका भागलपुर गजेटियर में शामिल था। मधेपुरा 9 मई 1981 को तथा सुपौल 14 मार्च 1991 ईस्वी में जिला बना। इसलिए अब जाकर पहली बार मधेपुरा और सुपौल जिले के गजेटियर का प्रकाशन होना है।
दिल्ली से आई टीम के ब्रजकिशोर नारायण सिंह और दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधार्थी रमेश कुमार इस पूरे इलाके का सर्वेक्षण कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि नयी चीजों के साथ 1965 ईस्वी में जो चीजें छूट गई उनको भी इस गजेटियर में शामिल किया जाए। साथ ही जिन जिलों का गजेटियर पहली बार लिखा जा रहा है उनके हरेक पहलुओं को कवर किया जाए।
अगर आपको भी लगता है कि सहरसा,मधेपुरा और सुपौल को लेकर आपके पास कोई जानकारी है जो गजेटियर के लिए उपयोगी है तो हमें बताएँ।
1.पुरातात्विक स्रोत
2.साहित्यिक स्रोत
3.अभिलेखीय स्रोत- औपनिवेशिक कालीन दस्तावेज, स्वतंत्रता सेनानी और महान विभूतियों से संबंधित संग्रह, पत्राचार, अखबार कटिंग, आर्टिकल, फोटोग्राफ्स, राष्ट्रीय आंदोलन से संबंधित पुस्तक और अभिलेखीय संग्रह, ऑफिशियल वेबसाइट, विभिन्न पुस्तकालय(जहां संग्रह मिलने की संभावना हो)
4. विदेशी वृत्तांत
5. विविध स्रोत ओरल narratives, ऑडियो, पर्चा, पोस्टर इत्यादि1870में पहली बार बना सुपौल सबडिविजन का गजेटियर अब होने जा रहा है तैयार
जिला बनने के तीन दशक दशक बाद सुपौल जिले का गजेटियर बनने का सपना अब साकार होता नजर आ रहा है।राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की अगुवाई में इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट, दिल्ली द्वारा इसको लेकर पहल शुरू करते हुए जरूरी सामग्रियों का संकलन शुरू कर दिया गया है। बी के एन सिंह और दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधार्थी रमेश कुमार लगातार सामग्री संकलन हेतु अलग अलग स्तरों से प्रयास कर रहे हैं जिसके अंतर्गत बुद्धिजीवियों से मुलाकात,चर्चा,ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण,स्थानीय लोगों से चर्चा आदि शामिल है।
सात जिलों के गजेटियर प्रकाशन में डेढ़ दर्जन अध्याय पर जारी है टीम ने बताया कि उनके द्वारा सुपौल,पूर्णिया,कटिहार,अररिया,किशनगंज,सहरसा, मधेपुरा के गजेटियर प्रकाशन पर भी काम चल रहा है जिसके अंतर्गत लगभग डेढ़ दर्जन अध्याय के दर्जनों बिंदुओं पर काम शुरू हो चुका है।
गजेटियर किसी भी जिला का आईना और उसको जानने का सर्वाधिक प्रमाणित दस्तावेज होता है जिसके सहारे सरकार को भी उस जिले के लिए विकास का प्रारूप तैयार करने में वृहद स्तर पर सुविधा व मार्गदर्शन मिलता है। नए गजेटियर से
सरकार को वित्तीय वर्ष में फैसले लेने में जहां बहुत मदद मिलेगी वहीं भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में गजेटियर प्रकाशित होने पर स्थानीय स्तर के विषयों पर शोध को भी बड़ा प्रमाणिक आधार मिलेगा।

