संस्कृति का आधार संस्कार होता है – राज्यपाल आरिफ मोहम्मद
संस्कृति का आधार संस्कार होता है – राज्यपाल आरिफ मोहम्मद 
जे टी न्यूज, पटना: चैंबर ऑफ कॉमर्स के हॉल में गुरुवार को एक भव्य समारोह के बीच बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बच्चों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई पुस्तक ‘सचित्र रामकथा’ का विमोचन किया। यह पुस्तक रामकथा की सांस्कृतिक परंपरा को बाल मन की सरलता और रंगों की कल्पना से जोड़ने वाली एक अनूठी कृति है।पुस्तक के संपादक गणेश खेतड़ीवाल की वर्षों की साधना और रचनात्मकता का यह परिणाम 105 प्रेरक प्रसंगों का संग्रह है, जिसे अत्यंत सरल भाषा और मनोहारी चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का भावनात्मक प्रयास किया गया है।
राज्यपाल ने इस खास अवसर पर कहा कि रामकथा भारतीय आत्मा का स्वर है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारे मूल्यों, मर्यादाओं और आदर्शों का संवाहक रही है। जब बच्चे राम को जानेंगे, तभी वे सत्य, करुणा और धर्म के मार्ग पर चलना सीखेंगे।
माननीय श्री नंदकिशोर यादव, अध्यक्ष, बिहार विधानसभा ने कहा कि आज जब दुनिया तकनीक के शोर में मूल्यों से भटक रही है तब बच्चों को राम जैसे आदर्श चरित्र से जोड़ना समय की आवश्यकता है। यह पुस्तक निश्चित रूप से संस्कार निर्माण की दिशा में एक सशक्त प्रयास है। कार्यक्रम में बिहार सरकार के पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि रामकथा केवल कथा नहीं, भारतीय संस्कृति की जीवंत परंपरा है। इसे बालमन की संवेदना के अनुसार प्रस्तुत करना कठिन कार्य है, जिसे इस पुस्तक ने बखूबी निभाया है। विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि रामकथा नई पीढ़ी के संस्कारों की वह धारा है, जो उन्हें आदर्श नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित करती है। सचित्र रामकथा के रूप में यह प्रयास एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण है।
शस्त्रोपासक आचार्य डॉ. चंद्र भूषण मिश्र ने अपने आशीर्वचनों में कहा कि रामकथा केवल कथा नहीं, वह भारतीय आत्मा की धड़कन है। यह केवल बालक नहीं भावी राष्ट्र की आत्मा गढ़ने का कार्य करती है। जब बालक श्रीराम को जानता है तो वह केवल एक चरित्र नहीं सीखता, बल्कि अपने भीतर मर्यादा, त्याग और धर्म का बीज रोपता है। यह पुस्तक बच्चों के कोमल मन में संस्कारों की ऐसी खेती करेगी, जो जीवन भर उनके आचरण को सुवासित करती रहेगी। उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्र कहते हैं कि ‘चरैवेति चरैवेति’। रामकथा उसी पथ का आलोक है, जो जीवन के हर मोड़ पर मर्यादा का दीपक बनकर साथ चलती है।
सचित्र रामकथा का यह प्रयास नवभारत की उस पीढ़ी के लिए है, जो अपने अतीत से जु़ड़कर भविष्य का निर्माण करेगी।
पद्मश्री विमल कुमार जैन, साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी, पीके अग्रवाल, चंद्र भूषण मिश्र समेत अन्य वक्ताओं ने भी पुस्तक की सराहना करते हुए इसे समाज के लिए मूल्यवान योगदान बताया। गणेश खेतड़ीवाल ने कहा कि यह कृति केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि बच्चों के भीतर संस्कारों का बीजारोपण करने वाला भावनात्मक सेतु है। डॉ. नीरज अग्रवाल के संचालन और स्वाति के सांगीतिक संयोजन ने आयोजन को एक भावपूर्ण वातावरण प्रदान किया। समारोह में कथ्य, चित्र और संवेदना के त्रिवेणी-संगम से सजी ‘सचित्र रामकथा’ को न केवल पठनीय बल्कि संग्रहणीय कृति के रूप में सभी ने सराहा। एम पी जैन ने बताया कि कार्यक्रम में लेखक भगवती प्रसाद द्विवेदी, अमर अग्रवाल, मुकेश जैन, महावीर अग्रवाल, रमेश गुप्ता, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक राजीव रंजन, रामलाल खेतान, विजय किशोरपुरिया, जे पी तोदी, संजय भलोदिया, राकेश कुमार, सुबोध जैन, प्रकाश अग्रवाल, राजकुमार सुल्तानिया, पी के अग्रवाल, राय गिरिराज कृष्ण, नवीन गुप्ता, राजकुमार अग्रवाल, सुनील अग्रवाल, डॉ शशि मोहनका, पराग जैन, संतोष अग्रवाल, वाई के अग्रवाल, बिनोद तोदी, डॉ गीता जैन, नीरजा कृष्ण, अरुणा खेतड़ीवाल, पायल, स्वाति, ममता अग्रवाल सहित सैकड़ों की संख्या में गणमान्य उपस्थित थे।

