अनुकंपा आश्रित मिथिलेश कुमार नियुक्ति को लेकर डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के समक्ष करेंगे चरणबद्ध आंदोलन

14 जुलाई के बाद कभी भी कर सकते मिथलेश कुमार आंदोलन, विश्विद्यालय के कुलपति मीडिया के फ़ोन को देखकर उठाने के बजाय फ़ोन काटने पर करते हैं यकीन।

अनुकंपा आश्रित मिथिलेश कुमार नियुक्ति को लेकर डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के समक्ष करेंगे चरणबद्ध आंदोलन

 

14 जुलाई के बाद कभी भी कर सकते मिथलेश कुमार आंदोलन, विश्विद्यालय के कुलपति मीडिया के फ़ोन को देखकर उठाने के बजाय फ़ोन काटने पर करते हैं यकीन।

 

जेटीन्यूज़

आर० के० राय

पूसा /समस्तीपुर: इन दिनों किसी ना किसी कारण डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के कुलपति डॉ० पी एस०पांडेय चर्चा में रह रहे हैं। लगता विवादों से उनका पुराना संबंध है। ताजा मामला है अनुकंपा आश्रित का जोरदार आरोप।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में अनुकंपा आश्रित अभ्यर्थी मिथिलेश कुमार ने जेटीन्यूज़ को आवेदन देकर बताया कि 2020 के विधानसभा चुनाव कराने के दौरान उनके पिता स्व० विनोद कुमार राय जो ईख अनुसंधान संस्थान पूसा कृषि विश्वविद्यालय में तकनीशीयन पद पर थे जो 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में बतौर पीठासीन पदाधिकारी कार्यरत थे। कार्य के दौरान ही उनकी मौत हो गई। पिछले 5 साल से विश्विद्यालय का चक्कर लगा रहा हूं, बावजूद मुझे दोराया जा रहा, मिल रहा तो केवल तारीख के बदले तारीख। बार-बार आश्वासन के बावजूद हताश होकर 14 जुलाई के बाद विश्वविद्यालय परिसर में ही चरणबद्ध आंदोलन पर बैठने का निर्णय लिया। उन्होंने आगे कहा कि कुछ ही दिनों में फिर बिहार विधानसभा चुनाव होने वाला है लेकिन अभी तक नियुक्ति नहीं हुआ, परेशान होकर शहीद विनोद राय के पत्नी चिंता देवी व अभ्यर्थी मिथिलेश कुमार विश्वविद्यालय कुलपति, महामहिम राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चुनाव आयोग, केंद्रीय कृषि मंत्री, जिलाधिकारी सहित संबंधित सभी मंत्रालय व पदाधिकारियों को स्मार-पत्र भेजा है। आगे उन्होंने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरा नहीं किया गया तो विश्वविद्यालय परिसर में 14 जुलाई के बाद चरणबद्ध आंदोलन में जनप्रतिनिधि एवं राजनीतिक दल को सहयोग देने से अपील किया। सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसी क्या स्थिति बन गयी कि अनुकंपा आश्रित को नौकरी देने में 5 साल लग गए बावजूद हाथ खाली। क्या विश्विद्यालय में कुलपति जाने- अनजाने रिश्वत की इच्छा रखते है?या फिर मोटी रकम लेना चाहते हैं। हैरत की बात तो ये है कि इनके बाद जिनका होना था उनका कबका अनुकंपा पर हो गया जबकि इन्हें अटका दिया गया है।

वहीं इस मामले में जब कुलपति महोदय को फ़ोन किया जाता है तो वो बात करने के बजाय फ़ोन काट देना जरूरी समझते हैं, ऐसा उन्होंने दो बार किया। क्या समझा जाए कि वो मीडिया के सवालों का जवाब देना नही चाहते या उनके पास इसका कोई जवाब ही नही है। यह भी एक गंभीर आरोप है कि पीड़ित से कुलपति मिलना तक नही चाहते जबकि पीड़ित मिथलेश कई बार मिलने का प्रयास कर चुके हैं। कुलपति पर पूर्व से कई आरोप लगते रहे हैं। बरहाल देखना यह है कि पीड़ित मिथलेश को न्याय मिलता है या कुलपति अपने आदतों से एक पीड़ित को परेशान करते रहते हैं। यह भी देखना लाजमी होगा की कुलाधिपति महोदय इस हरकत के लिए कुलपति पर कोई कारवाई करते हैं या केवल खाना पूर्ति ही होता है।

Related Articles

Back to top button