डॉ. वीणा मिश्रा अपने कार्य के प्रति समर्पित और विषय की विदूषी रहीं” — (डॉ.) गुलरेज रौशन रहमान
“डॉ. वीणा मिश्रा अपने कार्य के प्रति समर्पित और विषय की विदूषी रहीं” — (डॉ.) गुलरेज रौशन रहमान
जे टी न्यूज, सहरसा:
राजेन्द्र मिश्र महाविद्यालय, सहरसा के राजनीतिशास्त्र विभाग की अतिथि सहायक प्राध्यापक डॉ. वीणा मिश्रा की सेवानिवृत्ति के अवसर पर शनिवार को महाविद्यालय परिसर में भव्य बिदाई एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में शिक्षकों, विद्यार्थियों और पूर्व पदाधिकारियों ने उनकी शैक्षणिक यात्रा को भावनाओं के साथ याद किया।
*प्राचार्य रहमान ने कहा — “डॉ. वीणा मिश्रा शिक्षा की सेवा भावना की मिसाल हैं”*
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. (डॉ.) गुलरेज रौशन रहमान ने पाग, ऊनी शॉल और पुष्पगुच्छ भेंट कर डॉ. मिश्रा को सम्मानित किया।
उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा —“डॉ. वीणा मिश्रा अपने कार्य के प्रति अत्यंत समर्पित, कक्षा कार्य में नियमित और विषय की गहरी समझ रखने वाली शिक्षिका रहीं। उन्होंने शिक्षण के साथ सह-शैक्षणिक कार्यों में भी अपनी उल्लेखनीय भूमिका निभाई। उनके समर्पण को पहचानते हुए मैंने 15 अगस्त के झंडोत्तोलन समारोह के मंच से ही उन्हें सम्मानित करने का निर्णय लिया था।”
*पूर्व प्राचार्य डॉ. ललित नारायण मिश्र हुए भावुक*
पूर्व प्राचार्य डॉ. ललित नारायण मिश्र ने कहा — “बी.आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर में जब हम सहपाठी थे, तभी से मैं उन्हें अध्ययनशील और प्रतिभाशाली छात्रा के रूप में जानता हूं। इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. भवानंद झा से उनके परिणय के बाद हमारा पारिवारिक संबंध और मजबूत हुआ। उन्होंने सदैव अपने सहकर्मियों के सुख-दुःख में भागीदारी निभाई।”
*मातृत्व और सादगी की प्रतिमूर्ति — डॉ. वीणा मिश्रा*
डॉ. राजीव कुमार झा ने कहा —“वे छात्रों में मातृत्व भाव जगाने वाली शिक्षिका थीं। उनकी विनम्रता और सौम्यता सभी के दिलों को छूती थी।”
डॉ. अरूण कुमार झा ने कहा — “तीज-त्योहारों पर घर के बने पकवान लाकर सबके साथ साझा करना उनकी आत्मीय परंपरा थी। वे सदैव विद्यार्थियों की पढ़ाई और परिणाम को लेकर चिंतित रहती थीं।”
*ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों मंचों पर रही अग्रणी*
डॉ. अक्षय कुमार चौधरी और डॉ. आलोक कुमार झा ने संयुक्त रूप से कहा — “डॉ. वीणा मिश्रा शिक्षा के बदलते स्वरूप को स्वीकारने में सदैव अग्रणी रहीं। उन्होंने ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन माध्यमों के जरिए भी छात्रों को जोड़े रखा।”
डॉ. सुमंत राव ने भावुक होकर कहा — “मेरी मां का देहावसान और मेरी विभागाध्यक्ष डॉ. वीणा की सेवानिवृत्ति — दोनों मेरे लिए अत्यंत भावनात्मक क्षण हैं।”
इसी बीच डॉ. कमलाकांत झा ने मैथिली भजन प्रस्तुत कर माहौल को भावनात्मक बना दिया।
*“महाविद्यालय मेरा दूसरा घर रहेगा” — डॉ. वीणा मिश्रा का वक्तव्य*
अपने संबोधन में डॉ. मिश्रा ने कहा — “राजेन्द्र मिश्र महाविद्यालय में बिताए छह वर्ष मेरे जीवन की अमूल्य स्मृतियाँ हैं। मुझे यहां के सहयोगी प्राध्यापकों और विद्यार्थियों से असीम स्नेह मिला।
प्राचार्य डॉ. गुलरेज रौशन रहमान एक ऊर्जावान प्रशासक और सरल हृदय व्यक्ति हैं — उनके नेतृत्व में यह संस्थान नई ऊंचाइयों को छुएगा।”
उन्होंने डॉ. ललित नारायण मिश्र, डॉ. राजीव कुमार झा, डॉ. उर्मिला अड़ोरा, डॉ. अरूण कुमार झा, डॉ. आशुतोष झा, डॉ. इन्द्रकांत झा सहित सभी वरीय प्राध्यापकों और अतिथि शिक्षकों का आभार व्यक्त किया।
*संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन*
कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. अक्षय कुमार चौधरी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आलोक कुमार झा ने प्रस्तुत किया।
डॉ. मिश्रा के सुपुत्र अनुराग मिश्रा एवं पुत्रवधू पूजा मिश्रा भी समारोह में उपस्थित रहे।
*कार्यक्रम में उपस्थित रहे सभी शिक्षकगण:*
डा.सुशील कुमार झा, डॉ. शुभ्रा पांडेय, डॉ. प्रतीभा कपाही, डॉ. अरूण कुमार, डॉ. राम अवधेश, डॉ. संजय कुमार, डॉ. लक्ष्मी कुमार कर्ण, डॉ. आरती रानी, डॉ. मनोज, डॉ. विनय, डॉ. गोपाल, डॉ. भगवती, डॉ. किरण, डॉ. पूजा, डॉ. रमानंद रमण, डॉ. अरूप, डॉ. गौरी, डॉ. सुप्रिया कश्यप, डॉ. निक्की कुमारी, डॉ. रमा किरण, डॉ. वंदना, डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र, डॉ. सुदीप कुमार झा, डॉ. कमलाकांत झा, डॉ. हनी, डॉ. प्रशांत कुमार मनोज, डॉ. रूद्र किंकर वर्मा, डॉ. नवीउल, डॉ. पंकज यादव, डॉ. कृष्ण कुमार, डॉ. संजय परमार, डॉ. प्रियादर्शनी, डॉ. प्रीति, डॉ. रूपक, डॉ. रूची, डॉ. नितेश, कॉलेज के प्रशाखा पदाधिकारी सह प्रधान लिपिक नंद किशोर झा,आलोक कुमार, आशुतोष कुमार, रणधीर मिश्र, सुमित कुमार मिश्र, सोहराब, शिवम्, सुधाकांत झा, हैदर आदि शिक्षकगण एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति ने समारोह को अविस्मरणीय बना दिया।
डॉ. वीणा मिश्रा की विदाई केवल एक शिक्षिका की सेवानिवृत्ति नहीं, बल्कि उस अध्याय का समापन है जिसने शिक्षा को सेवा, सादगी और संवेदना से जोड़ा।
प्राचार्य रहमान के शब्दों में — “डॉ. वीणा ने शिक्षण को कर्म नहीं, बल्कि करुणा और कर्तव्य का संगम बनाया।”