15–18 हजार की नौकरी और बाहर पलायन: रोजगार मेला या मजदूर सप्लाई मॉडल
15–18 हजार की नौकरी और बाहर पलायन: रोजगार मेला या मजदूर सप्लाई मॉडल

जे टी न्यूज, समस्तीपुर: बिहार में बीते दो दशकों से राज्य और केंद्र में एक ही राजनीतिक गठबंधन की सरकार होने के बावजूद प्रदेश के युवाओं को स्थायी और सम्मानजनक रोजगार अब भी नसीब नहीं हो पा रहा है। ताजा मामला श्रम संसाधन विभाग, बिहार सरकार के तहत जिला नियोजनालय, समस्तीपुर द्वारा 30 दिसंबर 2025 को आयोजित एक दिवसीय जॉब कैंप से जुड़ा है।
जिला नियोजनालय द्वारा जारी सूचना के अनुसार, इस रोजगार मेले में Elite Foods Private Limited के लिए प्रोडक्शन हेल्पर और पैकिंग हेल्पर पदों पर भर्ती की जाएगी। वेतन 15,000 से 18,000 रुपये बताया गया है, जबकि कार्यस्थल बेंगलुरु, तमिलनाडु, केरल जैसे राज्य हैं। चयन प्रक्रिया केवल साक्षात्कार आधारित है।
बिहार में मजदूरों की कमी, फिर बाहर क्यों भेजे जा रहे युवा?
यह सवाल इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि खुद सरकारी आंकड़े और उद्योग जगत बार-बार यह स्वीकार करता रहा है कि बिहार में कृषि, निर्माण और लघु उद्योगों में मजदूरों की कमी बनी हुई है। ऐसे में रोजगार मेला लगाकर युवाओं को राज्य से बाहर भेजने की नीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और युवा संगठनों का कहना है कि
“यह रोजगार नहीं, बल्कि संगठित तरीके से सस्ती श्रम शक्ति की आपूर्ति का मॉडल है।”
कौशल विकास पर करोड़ों खर्च, नतीजा शून्य?
राज्य और केंद्र सरकार द्वारा कौशल विकास योजनाओं पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि रोजगार मेलों में आज भी 8वीं–10वीं पास योग्यता पर ही युवाओं को बाहर के राज्यों में भेजा जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कौशल विकास योजनाएं प्रभावी होतीं, तो बिहार में ही उद्योगों को बढ़ावा देकर रोजगार सृजन किया जा सकता था।
कंपनी देगी रहना-खाना, लेकिन शर्तें अस्पष्ट
नियोजनालय के पत्र में यह जरूर उल्लेख है कि चयनित अभ्यर्थियों के लिए रहने और खाने की व्यवस्था कंपनी द्वारा की जाएगी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि
आवास की स्थिति कैसी होगी
कार्य के घंटे कितने होंगे
सामाजिक सुरक्षा (ESI, PF) मिलेगी या नहीं
युवाओं को ‘रोजगार’ या ‘भ्रम’?
आलोचकों का कहना है कि
“15–18 हजार की नौकरी दिखाकर युवाओं को बिहार से बाहर भेजना बेरोजगारी की समस्या का समाधान नहीं, बल्कि उसे छिपाने की कोशिश है।”
यह जॉब कैंप ऐसे समय में आयोजित किया गया है जब बिहार के लाखों युवा प्रतियोगी परीक्षाओं, स्थायी नौकरियों और स्थानीय रोजगार की मांग को लेकर सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं।
नीतिगत सवाल बरकरार
सबसे बड़ा सवाल यही है कि
क्या बिहार सरकार की प्राथमिकता अपने राज्य में रोजगार सृजन है?
या फिर बिहार को मजदूर सप्लाई करने वाला राज्य बनाकर रखा जाएगा?
यह रोजगार मेला सिर्फ एक भर्ती प्रक्रिया नहीं, बल्कि बिहार की रोजगार नीति पर गंभीर सवाल खड़े करता है।


