अध्यात्म ज्योतिष सेवा केंद्र वृंदावन के संस्थापक : आचार्य प्रभाकर शुक्ल ने किया छात्रों का उत्साहवर्धन !

अध्यात्म ज्योतिष सेवा केंद्र वृंदावन के संस्थापक : आचार्य प्रभाकर शुक्ल ने किया छात्रों का उत्साहवर्धन !

एम के मिशन आवासीय विद्यालय रामगढ़वा बिहार में आयोजीत सम्मान – समारोह अन्तर्गत विद्यालय के छात्र हुए उत्साहित !
जेटी न्यूज

डी एन कुशवाह

रामगढ़वा पूर्वी चंपारण- समाज के आधार पर समाज की रीढ का किरदार निभा रहे शिक्षकों का आदर करें ! मैं यहां जो बोल रहा हूं व न केवल मेरे शब्द हैं बल्कि मैं मानता हूं कि सभी छात्र अपने जीवन में शिक्षक व गुरुओं की भूमिका का ऐसे ही सम्मान करेंगे । उक्त बातें अध्यात्म ज्योतिष सेवा केंद्र वृंदावन के संस्थापक आचार्य पं प्रभाकर शुक्ल ‘गुरूजी’ ने एम के मिशन आवासीय विद्यालय भलुवहिंया रामगढ़वा के बच्चों, शिक्षकों एवं अभिभावकों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हमें अपने शिक्षकों के प्रति हमेशा सम्मान का भाव रखना चाहिए। जिस प्रकार एक घर को बनाने में एक मजबूत नींव की अहम भूमिका रहती है। ठीक उसी प्रकार छात्रों के जीवन के आधार को मजबूत बनाने में शिक्षकों का अहम योगदान रहता है। जीवन में लक्ष्य की प्राप्ति व लक्ष्य प्राप्ति हेतु दिशा व दशा देने का काम शिक्षक ही करते हैं। श्री शुक्ल ने कहा कि जिस तरह से दीपक स्वयं जलकर अंधेरे को प्रकाशमय करती है, ठीक उसी तरह शिक्षक स्वयं ठंडी गर्मी बरसात एवं चिलचिलाती धूप में जल कर बच्चे को तराश कर कोहिनूर व उज्जवल बनाते हैं। ‘गुरूजी ‘ ने कहा कि हमारा भविष्य उज्जवल हो इसके लिए हमारे गुरुओं का आशीर्वाद और उनका मार्गदर्शन होना अनिवार्य है। अध्यापन न केवल एक नेक पेशा है बल्कि मानव जाति को मिले बड़े योगदानों में से एक है।

 

हम अक्सर यह सुनते हैं कि शिक्षकों का कद माता- पिता से बड़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि माता-पिता तो हमें जन्म देते हैं, लेकिन हमारे जीवन को आकार और हर शख्स को अच्छा इंसान बनाने में शिक्षक का अहम योगदान रहता है। वे हमें महान व सर्वश्रेष्ठ बनाने में अपनी जान झोंक देते हैं। जीवन में अगर किसी को कुछ देना ही है तो इसमें ज्ञान सबसे अव्वल है। हमारे शिक्षक प्रतिदिन हमें ज्ञान देते हैं। वे हमारे जीवन को आकार देते हैं, हमें दयालु और सफल भी बनाते हैं। वे हमारी असफलताओं पर हमारे साथ होते हैं और हमेशा हमारा मार्गदर्शन करते हैं। जिस प्रकार अर्जुन को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी बनाने में गुरु द्रोणाचार्य का हाथ था, इसी प्रकार हर छात्र जो जीवन में सफलता की ऊंचाईयों को छूता है उसके पीछे किसी शिक्षक या गुरु का ही हाथ होता है । हमारे गुरु हमारी असफलताओं को अपनी सफलता मानकर हमारा साहस बढ़ाते हैं। बुरे वक्त में हमें समझाने व सिखाने का काम करते हैं। दुनिया में हमारे सामने कितनी ही बड़ी मुश्किलें क्यों न हों, हमारे शिक्षकों के पास कोई न कोई समाधान जरूर होता है। उन्होंने कहा कि आप अपने आत्मविश्वास को कमजोर न होने दें ! हौसले को पंख दें, उड़ान दें , एवं हिम्मत से मेहनत करें, तो सफलता आपकी कदम अवश्य चूमेगी। आप प्रार्थना करें कि ईश्वर आपको एक मन की शक्ति दें । मन की शक्ति देना प्रभु ! हम कभी विचलित न हो, कभी, डगमगाए नहीं, हमारा हौसला थमे नहीं –
जीवन में अगर सफलता कभी मिली या जीवन में कुछ भी अच्छा या बेहतर कर पाया तो यकीनन इसके पीछे मेरे गुरुओं का हाथ सबसे बड़ा होगा। श्री शुक्ल ने कहा कि यह सोच रखने व अपने जीवन में आत्मसात करने वाला छात्र ही भारत का भविष्य लिखेगा। अतः आप सभी अपने गुरूजनों का आदर करें! सन्मान करें। आप भारत के स्वर्णिम भविष्य को लिखेंगे आप सभी के लिए मङ्गल कामना ! ज्योतिषाचार्य श्री शुक्ल ने कहा कि आप आप अपने आत्मविश्वास को कमजोर न होने दें ! हौसले को पंख दें, उड़ान दें , एवं हिम्मत से मेहनत करें , तो सफलता आपकी कदम अवश्य चूमेगी। आप प्रार्थना करें कि ईश्वर आपको एक मन की शक्ति दें । मन की शक्ति देना प्रभु ! हम कभी विचलित न हो, कभी, डगमगाए नहीं, हमारा हौसला थमे नहीं – आपके निर्णय क्षणों में ही आपकी नियति आकार लेती है। आप अपने निर्णय को, आकार दीजिए: आप एक छात्र नहीं, आप एक भारत हैं । आप एक राष्ट्र के नायक हैं । उठिए!, जागिये! और मंजिल को प्राप्त करिए । अन्त में उन्होंने कहा कि आइये मेरे साथ गुनगुनाइए –
प्रार्थना है यही हम न हारें कभी हौसला ये हमारा बना ही रहें ……. मुश्किलें तो यकीनन कई आयेंगी डगमगाते हुए राह मिल जाएगी …………….!

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