बिहार सरकार के अर्यल रवैये के कारण सम्बद्ध महाविद्यालय के शिक्षकों को 2017 से आजतक कोई अनुदान नहीं मिला।
बिहार सरकार के अर्यल रवैये के कारण सम्बद्ध महाविद्यालय के शिक्षकों को 2017 से आजतक कोई अनुदान नहीं मिला।
हालात तो यह है कई शिक्षकों को दो वक्त की रोटी तक नहीं जुट रही, तो कई शिक्षक अपने बेटी का विवाह नहीं कर पा रहे तो कई अपना इलाज नहीं करवा पा रहे,आखिर जिम्मेदार कौन?

जेटीन्यूज़
पटना: एक तरफ आज जहां केंद्र में मोदी सरकार तीसरी बार शपथ ग्रहण कर रही , वहीं सरकार में बिहार से जदयू भी शामिल हो रही है । अब हम बात करते हैं बिहार के विभिन्न जिलों में विभिन्न विश्वविद्यालय के अधीन 225 के लगभग डिग्री महाविद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारीयों के बारे में । ज्ञात हो कि 2017 से (करीब 7वर्ष) आजतक अनुदान की भुगतान नहीं की गई है । अनुदान नहीं मिलने के कारण महाविद्यालय के शिक्षकों एवं शिक्षक कर्मचारियों में भारी आक्रोश व्याप्त है। और हो भी क्यों ना, क्योंकि पैसे के अभाव में सभी बेदम हो रहे हैं । सूत्रों की माने तो बिहार के लगभग कॉलेज के मालिक सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के नेता होने के कारण तमाम नियमों को धज्जियां बताते हुए आंतरिक स्रोत से बहुत ऐसे कॉलेज हैं जिसके अध्यक्ष सेक्रेटरी प्रिंसिपल एवं अन्य कर्मचारियों को वेतन नहीं देते, देने की बात तो दूर है अच्छा व्यवहार भी नहीं करते शिक्षकों के साथ। किसी किसी संस्था के संस्थापक के संबंधी भी अध्यक्ष सिक्योरिटी और प्रचार पर अपना आदेश होते हैं । विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसे महाविद्यालय के विरुद्ध कोई कार्रवाई करने से क्यों कटती है या एक प्रश्न वाचक चिन्ह है ? सोचने वाली बात है आखिर बिहार की नीतीश सरकार इसमें क्यों चुप्पी साधे हुए है । जबकि रेगुलर महाविद्यालय से ज्यादा इसमें पढ़ाई होती है बावजूद 2017 क्व बाद आजतक कोई भुगतान नहॉ किया गया । क्या नीतीश सरकार शिक्षकों को भूखे मारना चाहती है बड़ा सवाल है?
जब हमने इन मसले को लेकर सम्बद्ध महाविद्यालय के विभिन जिलों के शिक्षकों से उनकी स्थिति जानी तो समझ नहॉ आया कि कैसे कोई सरकार इन्हें मरने के लिए छोड़ सकती। हालात ये थे कि इनको खाने पर आफत है ।

कइयों के घर दो वक्त का खाना नही बन रहा, कई पैसे के अभाव के कारण अपनी बेटी का शादी नही कर पा रहे,कई शिक्षक अपना इलाज नही करवा पा रहे है। कई पैसे के अभाव के कारण भगवान को प्यारे हो चुके हैं । बहुत ऐसे कर्मचारी हैं जिन्हें बिजली बिल, बच्चों का फीस तक नहीं भर पा रहे हैं। आखिर नीतीश सरकार को ये क्यो नहॉ दिख रहा है कि ये मरणासन्न स्थिति में पहुच चुके हैं ,जिसकी जवाबदेही सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार की है । समय रहते अब अगर नीतीश सरकार कुंभकर्णी नींद से नहीं जगती है तो स्थिति और भयावह हो सकती है ।


