भारत रत्न कर्पूरी का गहन आकलन करती एक अनूठी पुस्तक बिहार में चले समाजवादी आंदोलन का सच्चा दस्तावेज भी है पुस्तक
भारत रत्न कर्पूरी का गहन आकलन करती एक अनूठी पुस्तक
बिहार में चले समाजवादी आंदोलन का सच्चा दस्तावेज भी है पुस्तक
हेमलता म्हस्के

पटना। पिछले साल जन्म शती वर्ष पर भारत रत्न से अलंकृत किए गए कर्पूरी ठाकुर के जीवन और उनके कार्यों का आकलन करती पुस्तक इन दिनों चर्चा में है। गत 16 फरवरी को पटना स्थित जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना की ओर से ‘लोकतंत्र के कबीर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर’ पुस्तक के लोकार्पण किया गया। लोकार्पण के दौरान उक्त पुस्तक पर गहन चर्चा भी हुई। परिचर्चा के प्रारंभ में जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना के निदेशक नरेंद्र पाठक ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर पर इस पुस्तक की में कई शोधार्थियों, बुद्धिजीवियों, समाजवादियों और लेखकों के विचारों को समाहित किया गया है। इस पुस्तक में शामिल किए गए आलेख कर्पूरी जी की कृतियों और उनके मूल्यों को स्थापित करने में मिल का पत्थर साबित होगी। 360 पृष्ठों की यह पुस्तक चार खंडों में है और आखिरी अध्याय बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार लिखित है।

पुस्तक के संपादक का कहना है कि नीतीश कुमार कर्पूरी ठाकुर की वैचारिकी के जीवंत बायोपिक है। इस खंड में डॉ लोहिया लिखित *जब देश में पागल पैदा होते हैं,तभी क्रांति होती है* लेख बहुत महत्वपूर्ण है। इसी के साथ पुस्तक में मनीराम बागड़ी लिखित *कर्पूरी, तुम देश में कब निकलोगे* जैसे दुर्लभ लेख भी हैं। पहले खंड में 37 आलेख हैं जिसकी शुरुआत प्रो राम वचन राय और विजय कुमार चौधरी के आलेखों से हुई है। इनके अलावा मनीष वर्मा,ऋतुराज सिन्हा, डा कुमार परवेज,डॉ प्रमोद शर्मा,रामकुमार निराला,प्रो वीरेंद्र झा, सुरेंद्र किशोर, आलोक मेहता, प्रो आनंद कुमार, हेमंत, ज्योतिष जोशी,अशोक मोती और प्रसून लतांत आदि के भी आलेख हैं।
इस पुस्तक के प्रकाशन का उद्देश्य बताते हुए कहा गया है कि इन आलेखों द्वारा नई पीढ़ी को अपने पुरखों के बारे में जानने का अवसर मिलेगा ताकि आज भी कोई कर्पूरी ठाकुर हमारा प्रतिमान बन सके । पुस्तक के एक खंड में कर्पूरी ठाकुर के 15 संसदीय विमर्शों को भी संकलित किया गया है।
लोकार्पण समारोह में
पूर्व विधायक एवं लोक नायक जय प्रकाश नारायण द्वारा स्थापित अवार्ड संस्था, नई दिल्ली के महासचिव दुर्गा प्रसाद सिंह ने कहा कि मैं इस कार्यक्रम का हिस्सा बन पाया। आगे उन्होंने कहा कि कर्पूरी जी सामान्य जीवन जीने वाले असाधारण व्यक्ति थे। हमने कभी सुना था झोपड़ी के लाल जब कर्पूरी जी के घर पहुंचा तो देखकर दंग रह गया। वे झोपड़ी में ही रहा करते थे। उनकी एक बात और मुझे याद है कि जब भी उनके आवास पर लोग मिलने के लिए जाते थे, जो सबसे पीछे बैठे होते थे, वे उस आदमी को पहले बुलाकर उनकी बातों को सुना करते थे। इस मौके
जनता दल (यू) के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा ने कहा कि ‘लोकतंत्र के कबीर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर’ के द्वारा जनमानस के लिए जो सार्थक कदम उठाए गए वास्तव में वे आज भी प्रासंगिक है। कर्पूरी ठाकुर एक व्यक्ति नहीं विचार हैं। उनका जीवन ही एक संदेश है। उन्होंने समाजवाद की धारा पकड़कर खुद को समाज के लिए सौंप दिया। समाज में बदलाव की बुनियाद रखने वाले कर्पूरी ठाकुर हमेशा समाज के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ संजय पासवान ने कहा कि शोध है तो बोध है और बोध है तो प्रतिरोध दूर होता है। नॉलेज क्रियेशन पर काम किए जाने की जरूरत है। बिहार नॉलेज की इंडस्ट्री है।
पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कर्पूरी संग्रहालय को शोध संस्थान की तरह संचालित करने की मांग की और कहा कि समाज में जो वैचारिक भेद है उन्हें दूर किया जाना चाहिए।
लोकार्पण-सह-परिचर्चा कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बिहार विधान सभा के उप सभापति प्रो. रामवचन राय ने कहा कि इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए मैं इतना ही कहूंगा कि ‘लोकतंत्र क
नई पीढ़ी के लिए उत्कृष्ट साबित होगी।

इसे हर किसी को पढ़ना चाहिए। हर इंसान के जीवन में पुस्तक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती है।
इस कार्यक्रम में शोधार्थी डॉ. कुमार परवेज, राम कुमार निराला, संतोष यादव, प्रो. वीरेन्द्र झा, किशोरी दास, पर्यावरणविद् गोपाल कृष्ण, साहित्यकार सुनील पाठक ने भी अपने विचार रखे।
मंच का संचालन लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने करते हुए कर्पूरी ठाकुर जी की कृतियों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में डॉ. मधुबाला, सलाहकार समिति जदयू बिहार के पूर्व सदस्य दीपक निषाद, इंदिरा रमण उपाध्याय, अरुण नारायण, धीरज सिंह, भैरव लाल दास, डॉ. दिलीप पाल, ललन भगत, प्रो. शशिकार प्रसाद, चन्द्रशेखर, विजय कुमार चौधरी सहित कई बुद्धिजीवी, साहित्यकार एवं पत्रकार उपस्थित रहे।
