*शिक्षक हड़ताल के 73 वें दिन नियोजित शिक्षक के निधन से प्रखंड के शिक्षक आक्रोशित…।*

*शिक्षक संघों ने सरकार से पूछा- आखिर कितने बलिदान के बाद आपकी तंद्रा टूटेगी?*

ठाकुर वरुण कुमार/राजेश कुमार रौशन।

समस्तीपुर/बिथानः-बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर सात सूत्री मांगों के समर्थन में 17 फरवरी से जारी हड़ताल के 73वें दिन प्रखंड के बेलसंडी संकुलन्तर्गत मध्य विद्यालय सलहा चिरोटना में कार्यरत नियोजित शिक्षक परमानंद यादव का आर्थिक तंगी के कारण समुचित इलाज नहीं होने से बुधवार की रात्रि निधन हो गया।

वह 45 वर्ष के थे। बताते चलें वह पिछले तीन महिनों से बीमार चल रहे थे। जिनका इलाज आइजीएमएस में चल रहा था। उन्होंने अपने पीछे भरा पूरा परिवार एक पुत्री तथा दो पुत्र छोड़ गए हैं। जैसे ही उनके निधन की सूचना मिली प्रखंड के शिक्षकों में शोक की लहर दौर गयी तथा सरकार के खिलाफ वे आक्रोशित हो उसे।

बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति बिथान के शिक्षक नेता कृष्णदेव कौशल, अशोक कुमार विमल, रंजीत कुमार रमण, विश्वनाथ यादव, गोपाल राय, बीआरपी गुणानंद प्रसाद, सबाना खातुन, बाल विजय कुमार, प्रभात कुमार, फुलेन्द्र कुमार फूल, ब्रजेश कुमार विमल ने उनके सलहा बुजुर्ग स्थित आवास पहूँचकर श्रद्धा सुमन अर्पित कर परिजनों को ढांढस बंधाया तथा सांत्वना दी।

मृतक की पत्नी विभा देवी जैसे ही शिक्षक नेताओं को देखी दहाड़ मारकर रोने लगी।शिक्षकों में सरकार के खिलाफ नाराजगी साफ झलक रही थी।

शिक्षक नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री जी,आखिर कितने बलिदान के बाद आपकी तंद्रा टूटेगी तथा आपका कलेजा पसीजेगा। बिहार के मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों के साथ साथ मुख्य सचिव एवं शिक्षा सचिव को शिक्षकों के मृत्यु पर संज्ञान लेते हुए शिक्षक संघ से अविलंब वार्ता कर समाधान निकालना चाहिए।सरकार की अनदेखी के कारण शिक्षकों की मृत्यु हो रही है।

जब पुरे विश्व में कोरोना महामारी का रूप ले चुका है और बिहार राज्य में भी कोरोना के प्रकोप बढ़ रहे है।ऐसी स्थिति में सरकार शिक्षकों के साथ भेदभावपूर्ण नीति अपना रही है तथा अपने ही शिक्षकों की सुध नहीं ले रही है। जहां एक तरफ मनरेगा मजदूरों को तीन माह की राशि खाते में भेज रही है वहीं शिक्षक भूखमरी के कगार पर है ।

तीन-चार माह से शिक्षकों को वेतन नहीं मिलने से परिवार की माली हालात ख़राब हो गई है।बिहार सरकार के हठधर्मिता के कारण 64 शिक्षको की मृत्यु हो गई है,जो शिक्षक आंदोलन इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी है। सरकार को शिक्षक संघ से वार्ता कर समाधान निकालने की आवश्यकता है।

हड़ताली शिक्षक पहले से ही सरकार के नियोजनवाद के दंश को झेल रहे हैं तथा अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत लोकतांत्रिक तरीके से अपनी वाजिब मांगों को लेकर 17 फरवरी से हड़ताल पर है । मगर अपने को सुशासन की सरकार बताने वाली यह सरकार असंवैधानिक रूप से लगातार अल्प वेतनभोगी हड़ताली शिक्षकों का कार्य अवधि का भी वेतन बंद कर दमनात्मक कार्रवाई करती रही है।

लगातार प्रताड़ना के कारण शिक्षक हार्ट अटैक,ब्रेन हेमरेज तथा पैसे के अभाव में इलाज न कराने के कारण असमय काल के गाल में समाते जा रहें हैं । यदि इन शिक्षकों के परिवार की मृत्यु की संख्या को भी जोड़ी जाए तो यह बहुत बड़ी संख्या होगी।

वर्तमान समय में हड़ताली शिक्षकों के बाल बच्चे और उन पर आश्रित माता-पिता सहित पूरा परिवार सरकार की आर्थिक व मानसिक प्रताड़ना का शिकार हो रहा है जो मानवाधिकार का सर्वथा उल्लंघन है।नेताओं ने कहा कि शिक्षा विभाग अपने ही आदेशों की धज्जियां उड़ा रहा है। सरकार अपने ही आदेशों में पूर्व में स्पष्ट किया है कि किसी भी हालात में शिक्षकों का वेतन नहीं रोका जाए। ये उनके मानवीय अधिकार का हनन होगा।

शिक्षक के निधन पर बीईओ संजय कुमार,समन्वय समिति संयोजक रामनारायण राही,बीआरपी राम शंकर कुमार, वैद्यनाथ कुमार,सिकन्दर बिहारी, राज किशोर राय आदि ने गहरी संवेदना व्यक्त किया।

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