संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 8 दिसंबर को देश के सभी गांवों में बीज विधेयक / बिजली विधेयक 2025 की प्रतियां जलाई जाएगी
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 8 दिसंबर को देश के सभी गांवों में बीज विधेयक / बिजली विधेयक 2025 की प्रतियां जलाई जाएगी
बिजली एक सार्वजनिक अधिकार है बाजार की वस्तु नहीं*
जे टी न्यूज, बेतिया:

बिहार राज्य किसान सभा के उपाध्यक्ष प्रभुराज नारायण राव ने कहा है कि ऐतिहासिक किसान संघर्ष की पांचवीं वर्षगांठ 26 नवंबर को एम एस पी को कानूनी दर्जा देने और 4 श्रम संहिताओं को लागू करने के खिलाफ देशव्यापी आक्रोश मार्च सफलता के बाद 8 दिसंबर 2025 को भारत भर के गांवों में बीज विधेयक 2025 और बिजली विधेयक 2025 दोनों की प्रतियों को जलाने के लिए संघर्ष को तेज करने का निर्णय लिया गया है।
बीज विधेयक छोटे किसानों को बेदखल करने और भारत की बीज संप्रभुता को मुट्ठी भर बहुराष्ट्रीय और घरेलू एकाधिकारों को सौंपने के लिए आरएसएस-भाजपा की बड़ी राजनीतिक परियोजना का हिस्सा है। विधेयक में किसानों के अधिकारों और राज्य सरकारों के अधिकारों को नष्ट करके एकाधिकार द्वारा बीजों के हिंसक मूल्य निर्धारण की सुविधा प्रदान करके किसानों को कुचलने और लूटने में तेजी लाने के लिए एक साजिशपूर्ण योजना केंद्र सरकार ने बनाई है।
बीज विधेयक 2025 का मसौदा बीजों पर भारत के नियामक ढांचे को पादप किस्मों और किसानों के अधिकार का संरक्षण अधिनियम 2001 के प्रावधानों और जैविक विविधता पर सम्मेलन के तहत भारत की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं से काफी दूर करता है ।साथ ही सक्रिय रूप से बीज क्षेत्र में संतुलन को बड़े कॉर्पोरेट खिलाड़ियों के पक्ष में स्थानांतरित करता है।
उसी तरह बिजली विधेयक 2025 का मसौदा बड़े पैमाने पर निजीकरण, व्यवसायीकरण और भारतीय बिजली प्रणाली के केंद्रीयकरण के लिए तैयार किया गया है। यदि इसे लागू किया जाता है तो यह दशकों से निर्मित एकीकृत और सामाजिक रूप से संचालित बिजली ढांचे को ध्वस्त कर देगा और बिजली वितरण और उत्पादन के सबसे अधिक लाभदायक क्षेत्रों को निजी निगमों को सौंप देगा।जिससे सार्वजनिक क्षेत्र को नुकसान भारी नुकसान होगा।
क्रॉस-सब्सिडी को हटाने से गरीब और ग्रामीण परिवारों के लिए बिजली की दरें बढ़ेंगी, असमानता बढ़ेगी और किसान और अधिक संकट में पड़ जाएंगे। कॉरपोरेट हितों से प्रेरित यह कदम जनविरोधी, किसान विरोधी और श्रमिक विरोधी है।
संयुक्त किसान मोर्चा विद्युत विधेयक के मसौदे को निरस्त किए जाने तक सीधी कार्रवाई करने का निर्णय लेने के लिए विद्युत श्रमिकों के संघों के साथ समन्वय स्थापित कर बैठकें करेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने नोट किया है कि आरएसएस-भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार इन अत्यधिक कॉर्पोरेट समर्थक विधेयकों को ऐसे समय में आगे बढ़ा रही है जब भारत में कृषि संकट गहरा रहा है। कई वैज्ञानिक अध्ययनों ने यह स्थापित किया है कि कृषि पर बढ़ते कॉर्पोरेट नियंत्रण से कृषि संकट और कृषि आत्महत्याएं तेज होगी।
ऐसी विषम परिस्थिति में मोदी सरकार के इस फैसले पर आक्रोश ब्यक्त करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा इसे वापस लेने की मांग करता है।


