रमजान , मौसम-ए-बहार व नेकियों का महीना —- राकेश

जे.टी.न्यूज़,

समस्तीपुर रमजान का पाक महीना शुरू हो चुका है l इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने में रमजान मनाया जाता है l इसे मौसम-ए-बहार या नेकियों का महीना नाम से भी जाना जाता है l रोजे को अरबी में सोम कहते हैं। जिसका मतलब है रोकना।

रोजा यानि तमाम बुराइयों से परहेज करना। रमजान के महीने को तीन भागों में बांटा जाता है। दस दिन के पहले भाग को रहमतों का दौर बताया गया है। साथ ही दस दिन के दूसरे भाग को माफी का दौर कहा जाता है। इसके अलावा दस दिन के तीसरे भाग को जहन्नुम से बचाने का दौर पुकारा जाता है।

मान्यता के अनुसार, यह कहा जाता है कि रमजान के महीने में रोजा रखने का अर्थ केवल रोजेदार को उपवास रखकर, भूखे-प्यासे रहना नहीं है। बल्कि इसका सच्चा अर्थ है अपने ईमान को बनाए रखना। मन में आ रहे बुरे विचारों का त्याग करना। रोजे का अर्थ है अपने गुनाहों से तौबा करना।

रमजान को लेकर एक और मान्यता है कि इस पाक महीने में जन्नत के दरवाजे रोजेदारों के लिए खुल जाते हैं, जो लोग रोजा रखते हैं। अल्लाह उन्हें जन्नत भेजते है। इबादतों से भरपूर रमजान का महीना ऐसे वक्त है जब देश और पूरी दुनिया कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रही है l

रमजान के पवित्र महीने के दौरान लोग लॉकडाउन एवं सामाजिक दूरी बनाए रखने का पूरी तरह पालन करें और अपने घरों में ही इबादत व इफ्तार करें। ——- राकेश कुमार ठाकुर , राजद नेता, समस्तीपुर l

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