एलएनएम यू में छात्रों का भविष्य राम भरोसे, नामांकन प्रक्रिया का पता नहीं, सत्रांत परीक्षा पर भी लगा ग्रहण
एलएनएम यू में छात्रों का भविष्य राम भरोसे, नामांकन प्रक्रिया का पता
नहीं, सत्रांत परीक्षा पर भी लगा ग्रहण
कार्यालय, जेटी न्यूज
दरभंगा। रोम जल रहा था और नीरो चैन की बंशी बजा रहा था। ये कहावत मात्र हो या हकीकत मगर ललित नारायण मिथिला विश्व विद्यालय यही हालात मौजूंद है। बारहवी का परीक्षा फल आने के बाद लाखो छात्र छात्राएं स्नातक के नामांकन की आस में टकटकी लगाए बैठे हैं, विभिन्न सत्रों के छात्र परीक्षा हेतु आवेदन के तारीख की प्रतीक्षा कर रहे है किन्तु मिथिला विश्व विद्यालय में नामांकन या परीक्षा प्रपत्र को ले कर कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही है। इसे एलएनएमयू के कुलपति की लापरवाही कहें या अकर्मण्यता जहां अन्य विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन नामांकन एवं परीक्षा प्रपत्र लेने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है वहीं ससमय सत्र पूरा करने के लिए पुरस्कृत ललित नारायण मिथिला विश्व विद्यालय में ऑन लाइन की प्रक्रिया पर ही ग्रहण लगा है।
वहीं दूसरी तरफ अन्य विश्वविद्यालयों की अपेक्षा यहां के शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मी जून महीना के वेतन , उनचालिस एवं ग्यारह महीने का वेतन अन्तर की राशि भुगतान को लालायित है। जबकि महीनों पहले वेतनादि भुगतान के लिए राशि विश्वविद्यालय को स्थानांतरित की जा चुकी है। इस बाबत पूछे जाने पर पुर्व एमएलसी बिनोद कुमार चौधरी ने बताया कि यूं तो कोरोना महामारी से बचाव के कारण सबकुछ अस्त व्यस्त है ऊपर से बाढ़ ने सब तहस नहस कर दिया। इस के लिए सीधे सीधे कुलपति ही जिम्मेदार माने जाएंगे। उन्होंने कहा कि कहने को तो विश्वविद्यालय में नामांकन, परीक्षा आदि के लिए अलग अलग विभाग बने हैं किन्तु किसी प्रकार का अंतिम नीतिगत निर्णय कुलपति को ही लेना होता है।
वर्तमान कुलपति डॉ (प्रो) राजेश सिंह का बचाव करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि तीन विश्वविद्यालय के प्रभार में होने के कारण उनकी कुछ तकनीकी मजबूरियां भी हो सकती है । जानकार सूत्रों के हवाले से उन्होंने बताया कि यूजीसी के एक नवंबर 2020 से नवीन सत्रारंभ के निर्णय के आधार पर नामांकन में विलम्ब हुआ नहीं दिख रहा है। उन्होंने आशंका जताई कि क्या नवंबर के पहले नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। वहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि एक सप्ताह के अंदर नये कुलपति की पदभार संभालने की संभावना है। अर्थात तब तक छात्रों का भविष्य राम भरोसे।