अल्प मानदेय में दिन में 8:00 से 3:00 बजे तक सरकार के द्वारा काम कराने को लेकर शिक्षा सेवकों में आक्रोश

 


जेटी न्यूज़:-

नावकोठी (बेगूसराय):-

बिहार सरकार द्वारा संचालित किए जा रहे महादलित,दलित,अल्पसंख्यक,अति पिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना में कार्यरत तालीमी मरकज और टोला सेवक को एक बार फिर बिहार सरकार के द्वारा फिर पूर्व के दी गई सुविधाओं को एक बार पुनः अनुशंसा कर देने के बाद और संगठन के मांगों को अनदेखा किये जाने के कारण कार्यरत कर्मी अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रही है। सरकार के इस तरह की फैसले से पूरे बिहार के तालिमी मरकज शिक्षा सेवक और टोला सेवक कर्मियों में मायूसी है। तालिमी मरकज शिक्षा सेवक और टोला सेवक की मुख्य मांगे निम्न है।

1.सम्मान जनक मानदेय।
2- स्कूल में समायोजन।
3, डी.एल.एड़. या ओ डी एल प्रशिक्षण।
4. अनुकंपा की लाभ।
5-नवसाक्षर महिला से छुटकारा आदी।
लेकिन सरकार महिला शिक्षा सेवियो को 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश और पुरुष शिक्षा सेवकों को 15 दिन का पितृत्व अवकाश, और 1 साल में 16 दिन का आकाशमिक अवकाश सहित अधिकतम 60 अवकाश अर्जित देय किया गया है। जो विभाग ने इससे पहले ही यह सभी सुविधा सहित उनके लिए सेवा शर्तें भी निर्धारित कर दी थी। इस संबंध में तालिमी मरकज शिक्षा सेवक जमील अहमद ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा कि नीतीश सरकार जो दलित,महादलित,अल्पसंख्यक,अति पिछड़ों के विकास के लिए ढिंढोरा पिटती है,महादलित,अल्पसंख्यक,अतिपिछड़ा प्रेम का बखान करती है। तो क्या शिक्षा सेवकों को इस प्रेम में नहीं लाया जा सकता है,और अगर कम से कम 25000 वेतन निर्धारित किया जाता है तो इससे महादलित, अल्पसंख्यक अति पिछड़ा शिक्षा सेवकों को इस महंगाई के दौर में लड़ने की शक्ति मिलेगी,और हम सबों को एक आशा का किरण दिखाई देगी।

सरकार का जो एजेंडा है कि दबे,कुचले लोगों को विकास हर संभव होना चाहिए जो शिक्षा सेवक हैं वे सबसे निचले पायदान से हैं उनका विकास जरूरी है यह तभी संभव है जब इन्हें पारिवारिक पोषण और शैक्षणिक विकास के लिए इनका वेतन 25000 किया जाता है। हमारी मांगे जायज है इसलिए कि हम तमाम शिक्षा सेवक पिछले 11 वर्षों से सरकार के द्वारा किए जाने वाले हर काम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं इसलिए कि हमारा बिहार मैं विकास की विकास हो और बिहार वासियों को इससे फायदा मिले।

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