बंगीय साहित्य परिषद ने शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की जयंती मनाई

 


जेटीन्यूज़

गौतम सुमन गर्जना

*भागलपुर :* बंगीय साहित्य परिषद, भागलपुर शाखा कार्यालय में मंगलवार को अमर कथा शिल्पी शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर परिषद के संपादक अंजन भट्टाचार्य द्वारा परिसर में स्थापित शरतचन्द्र की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया तथा उपस्थित जनों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित की गई। इसके बाद परिषद के सभाकक्ष में आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ सदस्य रघुनाथ घोष ने शरतचन्द्र के चित्र पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर बोलते हुए अंजन भट्टाचार्य ने कहा कि कथाकार शरतचंद्र उनके परिवार जैसे हैं क्योंकि उनका बचपन किशोरावस्था से लेकर युवावस्था तक का महत्वपूर्ण समय भागलपुर में ही व्यतीत हुआ था तथा उनकी लेखनी पर इसका गहरा प्रभाव स्पष्ट है।

उन्होंने कहा कि शरतचंद्र की कृतियों में दर्ज उच्चतम मानवीय मूल्यों व आदर्शों का समाज व व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व है,इसलिए यह आवश्यक है कि उनकी “बिन्दुर छेले”, “रामेर सुमति” तथा “निष्कृति” आदि कालजयी कृतियों को स्कूल, कॉलेज तथा विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए ताकि विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने राज्य सरकार से मांग किया कि इस दिशा में समुचित प्रयास कर इस प्रस्ताव को अमली जामा पहनाया जाए। इस अवसर पर सुजय सर्वाधिकारी, प्रोज्जवल सान्याल, गौतम सरकार, प्रशांत दास, स्नेहेश बागची, परिमल बनिक, जयंत मुखर्जी, प्रदीप चौधुरी, शुभंकर बागची, सोमनाथ सरकार, जयिशा सर्वाधिकारी आदि उपस्थित थे।
वहीं इस संदर्भ में दूरभाष पर राजीव बनर्जी ने बताया कि भागलपुर की धरती, गलियों और गंगा के किनारों ने ही लेखक शरतचंद्र को गढ़ा है। यद्यपि यह शहर बहुत बदल गया है पर उनकी कृतियों में उस समय के भागलपुर की सौंधी खुशबू आज भी ताजा है।

हमारा सौभाग्य है कि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से हमें उस महान रचनाकार से अपने आत्मीय संबंधों को रेखांकित करने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि शरतचंद्र के किशोरावस्था का बेपरवाह अल्हड़पन हममें से कईयों को अपना बचपन याद दिलाता है। उनके उदात्त मावतावाद तथा उनके द्वारा सृजित नारी चरित्रों की महानता के पीछे बेशक उनकी मां के अनन्य प्रेम और त्याग का योगदान है।

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