संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण: प्रो मार्क कॉगन

जेटी न्युज
मोतिहारीlपु०च०
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी बिहार के गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग द्वारा ‘यूएन@75 एवं शांति-निर्वहन और शांति-निर्माण का प्रतिच्छेदन : स्थायी शांति के लिए चुनौतियां’ विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें आमंत्रित वक्ता कंसाई गैड़ाई यूनिवर्सिटी ओसाका जापान के शांति और संघर्ष अध्ययन विभाग के प्रो मार्क कॉगन ने विश्व में शांति निर्माण और संपोषणीय विकास लक्ष्यों पर संयुक्त राष्ट्र के कार्यों के विषय में विस्तृत विचार रखे।

कार्यक्रम का आरंभ विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो संजीव कुमार शर्मा के आशीर्वचनों से हुआ। प्रो शर्मा ने संयुक्त राष्ट्र के 75 वर्षों की यात्रा का संक्षिप्त विवरण देते हुए हाल ही में सम्पन्न हुई संयुक्त राष्ट्र की महासभा की बैठक में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों और उनकी चिंताओं दोहराया। प्रो शर्मा ने त्वरित संरचनात्मक सुधारों को न अपनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के भविष्य के प्रति अपनी आशंका प्रकट की।

उन्होंने बताया कि इस संस्था की सबसे महत्वपूर्ण सफलता यह है कि इसने अपनी स्थापना के बाद से किसी भी प्रकार के बड़े युद्ध की सम्भावनाओं को सीमित किया है, लेकिन कई देशों में नरसंहार और नृजातीय संघर्षों को रोक पाने में इसकी विवशता भी स्पष्ट दिखी है। विशिष्ट वक्ता प्रो कॉगन ने रवांडा और कांगो में संयुक्त राष्ट्र के शांति-निर्माण प्रयासों की सफलताओं और विफलताओं के आलोक में अपनी बात रखते हुए शांति निर्माण मिशन में भारत की भूमिका की सराहना की। उन्होंने फंड की कमी और और शांति प्रक्रिया में शामिल देशों, नृजातीयताओं और क्षेत्रीय प्रभावों आदि पर विशेष टिप्पणी की।

उन्होंने मध्यवर्ती शक्ति के रूप में भारत, जापान और दक्षिण अफ़्रीका को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता देने और संयुक्त राष्ट्र संरचना में परिवर्तन किए जाने को समयानुकूल बताया।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे समाज विज्ञान संकाय के डीन प्रो राजीव कुमार ने इस विशिष्ट व्याख्यान को बहुत महत्वपूर्ण और प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि आज जबकि संयुक्त राष्ट्र अपनी स्थापना से 75 साल का हो चुका है ऐसे में इस संस्था की सफलताओं और विफलताओं पर चर्चा किया जाना जरूरी है। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ विजय शर्मा, डॉ कैलाश प्रधान, डॉ सुजीत चौधरी, डॉ जुगल दाधिच, डॉ असलम, डॉ नरेंद्र सिंह, डॉ अनुपम, डॉ अभय विक्रम इत्यादि एवं शोधार्थी, छात्र-छात्राएं और देशभर से लगभग सौ से अधिक प्रतिभागी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ अम्बिकेश कुमार त्रिपाठी ने और धन्यवाद ज्ञापन प्रो सुनील महावर ने किया।

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