वोट का सौदागर” आ गए मेरी वोट का सौदा करके! क्या कीमत अदा किए हैं हमारी ईमान का? कितनी रकम में हमारी बोली लगाया है उन लोगों ने?

अचानक रेशमा झल्ला पड़ी उसकी करवी वाणी सुनते ही मैं जड़ा रुक गया यह आवाज रेशमा आंटी की थी वो हाल ही में पंचायत समिति सदस्य का चुनाव जीती है लोगों का आना जाना लगा रहता है क्योंकि प्रखंड प्रमुख का चुनाव होना है। अचानक रेशमा आंटी की आवाज को सुनकर ठिठक गया तभी गिरधारी चाचा की आवाज आई!

अबे चुप कर आजकल बहुत जबान चलने लगा है तेरी ऐसे नहीं चुनाव जीती है चुनाव में रुपए खर्च हुए हैं चुपचाप कल वर्मा साहब को वोट दे देना उनकी ऊपर तक बहुत बड़ी पहुंच है अगर वोट नहीं दिए तो कुछ भी करवा देंगे हमारे साथ पैसे और बुलेट गारी सुबह तक घर पर पहुंच जाएंगे।

अरे आप क्या समझेंगे वोट की कीमत? आपको क्या पता वोट का महत्व? अरे वोट कि कीमत हमारे पूर्वजों ने जान देकर चुकी है।

तभी पुनः गिरधारी चाचा की कड़क आवाज आई ज्यादा बक बक मत कर हमने उनको जबान दे दी है वोट उन्हीं को देना नहीं तो तेरी खैर नहीं। रेशमा रोते हुए कमरे बन्द कर लेती है और सुबह सुबह तैयार होकर वर्मा साहब को वोट देने प्रखंड कार्यालय पर चली जाती है। मैं भी घर पर लौट आया सारा मामला समझ में आ गया।

प्रिय साथियों,

आज भी हमारे समाज में कुछ वोट के ठेकेदार(दलाल) घूमते हैं। जिन्हें अपनी वोट का अंदाजा नहीं है कि किसे देंगे लेकिन दूसरे लोगों की वोट का ठेका लेकर घूमते रहते हैं। अभी कुछ लोग बोलते हुए नजर आएंगे की पांच सौ एस.सी वोट का वोट हमारी जेब में है तो दूसरी जेब में एक हजार वोट ओ.बी.सी का है। कुछ लोग बोलेंगे की हमारे हाथ में दो तीन सौ मुस्लिम का वोट है। अब सोचना यह है कि वोट कोई सामान तो है नहीं जो किसी की जेब में रहेगी वह तो मन में होता है कि किसे दें या किसी नहीं फिर कोई किसी के मन का ठेका कैसे ले सकता है? एक बात और सिर्फ एस.सी, एस.टी,ओ.बी.सी तथा अल्पसंख्यक वोट का ही ठेका लेते हैं ठेकेदार दलाल लोग। सामान्य वोटर का ठेका लेने की औकात किसी में नहीं होती।

हे नव मतदाता मालिक आपको वोट कि कीमत के बारे में जरा भी ज्ञान नहीं है आप अपने पूर्वजों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए कि वोट की कीमत क्या होती थी। होता था उस समय में भी वोटों का सौदा होता था लेकिन तरीका अलग होता था । पहले लोगों को ये बात समझाया जाता था कि अरे फलनामा वोट गिरा कर क्या होगा? जाओ खेत में काम करो तुम्हारे बदले में वोट डाल देंगे। लोग भी सोचते थे चलो मालिक वोट गिरा देंगे हम लोगों को इससे क्या होनेवाला है! जो लोग वोट डालने की जिद्द करते थे तो उसके बदले में उन्हें मौत मिलती थी। धीरे धीरे जब लोगों को वोट के अधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई तब जाकर लोग वोट डालने के लिए संघर्ष करने लगे। जब लोग और जागरूक होने लगे तो फिर वो लोग बूथ लूटने लगे। वोट की छपाई करने लगे।

मित्रों वोट की कीमत हजार पांच सौ रुपए की नोट नहीं है बल्कि वोट कि कीमत मौत होती थी। आज आपके वोटों के सौदागर वोटों का सौदा करते हैं वोट कि कीमत लेते हैं और तब आपको वोट डालने के लिए बोलते हैं। जब तक आप अपनी वोट की कीमत को नहीं पहचानेंगे आप उसी तरह जैसे रेशमा आंटी एक जनप्रतिनिधि होते हुए भी कुछ नहीं कर पाई आप लोग भी कुछ नहीं कर पाओगे। रेशमा(काल्पनिक नाम) आंटी तो महज एक उदाहरण है ऐसी कई माता बहनें पंचायती राज व्यवस्था में चुनाव जीत कर आयी लेकिन सिर्फ चूल्हे फूंकने के अलावा कुछ भी नहीं जानती है सभी पुरुष प्रधान समाज के शिकार हैं। सभी वोटों का सौदा करते रहते हैं और हमारी लोकतंत्र का मजाक उड़ाते रहते हैं। हम लोग भी उसी समाज में मूकदर्शक बने रहते हैं।

मत करो अपने वोटों का सौदा। कुछ लोग हैं जो अपने पद को अपने हिसाब से चलाते हैं महिला होते हुए भी हम उन्हें दिल से धन्यवाद ज्ञापित करते हैं।

नोट:- यह हमारी मन की दास्तान है इसे कोई भी लोग अपने दिल पर ना लें।

“धन्यवाद”

संजीव कुमार इन्कलाबी,

उर्फ “भाई जी”

पंचायत समिति सदस्य,

प्रा.नी. क्षे. सं-28,

सरायरंजन,समस्तीपुर,बिहार

 

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