भैया दूज को बहन का श्राप भाईयों के लिए होता है आशीर्वाद 

 

प्रमोद कुमार

मोतिहारी।पु0च0

सोमवार को द्वितीया तिथि प्रातः काल 09 बजकर 11 मिनट पर आ रही है। अतः भ्रातृ द्वितीया (भैया दूज) का पर्व एवं चित्रगुप्त पूजा (कलम दवात पूजा) का मान 16 नवम्बर सोमवार को होगा और इसी दिन प्रातःकाल 09:11 बजे के बाद बहनें श्रापन की परंपरा का निर्वहन भी करेंगी। कार्तिक शुक्लपक्ष द्वितीया तिथि को यम द्वितीया व भ्रातृ द्वितीया (भैया दूज) के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर भोजन कराया था तथा इस अवसर पर यमलोक में उत्सव भी हुआ था। इस दिन बहन के घर जाकर उनके हाथ का बना हुआ भोजन करने व उन्हें यथाशक्ति दान देने से कर्मपाश में बँधे हुए नारकीय पापियों को भी यमराज छोड़ देते हैं।उक्त जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने दी।उन्होंने बताया कि इस तिथि में बहन के द्वारा अपने भाइयों को श्रापने की परंपरा है,और पुनः बहनें अपने जिह्वा पर रेंगनी के काँटों को चुभाती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बहन का श्राप भाईयों के लिए आशीर्वाद होता है। बहनें इस दिन व्रत रखकर भाई के माथे पर तिलक लगाकर भाई के दीर्घ जीवन की कामना करतीं हैं। प्राचार्य पाण्डेय ने बताया कि आज के दिन अपने घर भोजन नहीं कर बहन के घर जाकर उनके हाथ का बना हुआ भोजन करना चाहिए। इससे बल,पुष्टि,धन,यश,आयु,धर्म,अर्थ और अपरिमित सुखों की प्राप्ति होती है।

Website Editor :- Neha Kumari

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