नये कृषि कानून किसानों के लिए पूर्णरूप से खिलाफ तो है ही साथ ही भारत के 90% जनता के भी खिलाफ है- राम सुदिष्ट यादव

 

 

जेटी न्यूज़, ठाकुर वरुण कुमार।

 

पटना::- किसान नेता राम सुदिष्ट यादव ने ब्यान देते हुए कहा है कि नये कृषि कानून किसानों के लिए पूर्णरूप से खिलाफ तो है ही साथ ही भारत के 90% जनता के भी खिलाफ है-

 

1–पहला कानून> कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020 — यह कानून पूंजीपतियों को सरकार मंडियां की जगह निजी मंडियों खड़ी करने और देश में कहीं भी किसी से भी फसल खरीदने की छूट देता है। कानून के अनुसार सरकार इस काम में उनकी भरपूर मदद करेगी। इसके लिए हजारों करोड़ रुपए की व्यवस्था भी सरकार ने कर दी है।

 

बेशक सरकारी मंडियां खत्म करने की बात कानून में नहीं लिखी है, लेकिन हम सरकारी स्कूल और अस्पताल की जगह निजी स्कूल और अस्पताल खड़े करने का नतीजा देख चुके हैं। सरकारी स्कूल और अस्पताल तबाह हो गए हैं। सरकारी मंडियों का भी यही हाल होगा। निजी मंडियों में एमएसपी पर खरीद की बंदी से सरकार कंपनियों को छूट दे चुकी है। वैसी स्थिति में एमएसपी खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा और वह मनमाफिक दाम पर किसानों की फसल खरीदेगी।

 

इसका नमूना हमें इस साल की धान कपास मक्का की फसलें में देखने को मिल गया है जो एमएसपी के लगभग आधे दाम पर बिक्री और किसानों को 100 करोड़ से ज्यादा का घाटा हुआ।

 

2-दुसरा कानून > ठेका कानून हैं जो कम्पनियों को किसानों से ठेके पर खेती करवाने की छूट देती है। कम्पनियो को किसान से सीधे करार करने की छूट देती है। साथ ही इस में सरकार और न्यायपालिका को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। ऐसी करार में किसान केवल फसल तैयार करने वाला मजदूर होगा।

 

फसल के लिए खाद, बीज, कीटनाशक जैसी लागतें और फसल का दाम गुणवत्ता और बाकी शर्तें कंपनीयां ही तय करेगी। इसके अलावा कंपनियों को जुवानी करार करने की भी छूट दी गई है।

 

अगर कंपनी किसी भी कारण से किसान की फसल खरीदने से इंकार कर दे या करार से संबंधित कोई दुसरा विवाद हो तो उसका निपटारा एसडीएम या डीएम करेंगे।

 

जब खराब गुणवत्ता के नाम पर किसान का अन्न औने-पौने दाम पर बिकेगी या बिकेगी ही नहीं तो कंपनी से ली गई लागत पूंजी अदा करने के लिए किसानों के पास जमीन बेचने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा। कानून की धारा-9 में कंपनियों को किसान की जमीन लेने की आजादी है।

 

एक तो अभी भी खेती में बेतहाशा बढ़ती लागतें, समाप्त हो चुकी सब्सीडी और एमएसपी पर खरीद नहीं होने से कुल किसानों का 86% छोटे और मझोले किसान कर्ज के जाल में फंसकर आत्महत्या करने पर मजबूर हैं।

 

3– तीसरा कानून> “आवश्यक बस्तु संशोधन अधिनियम 2020”– कंपनियों को गेहूं, चावल, दलहन, तिलहन जैसी जरुरी फसलों की जमाखोरी करने की छूट देती है। यानि सरकार खाद्य सामग्री गेहूं, चावल, दाल, आलू, प्याज सहित 23 बस्तुओं को आवश्यक बस्तु 7 इसी की सूची से बाहर कर दिया है।

 

अब कोई भी कंपनी या व्यापारी अपनी जरूरत के मुताबिक इसकी जमाखोरी करके और निर्यात या नकली कमी पैदा कर के इन्हें मनमाने दामों पर बेच सकता है।

 

इन तीनों नई कृषि कानून को एक साथ जोड़ कर देखने से ही पता चलता है कि भविष्य में किसानों पर क्या कुछ गुजरने वाला है।

Website Editor :- Neha Kumari

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