अनुसूचित जाति में शामिल करने के प्रस्ताव को मोदी सरकार ने खारिज कर मल्लाह समाज पर बरपाया है कहर – अमित सहनी

जेटी न्यूज। संवाददाता।

दरभंगा: अमर शहीद जुब्बा सहनी का शहादत दिवस के मौके पर गुरुवार को राजद नेताओं ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके क्रांतिकारी इतिहास को सबों ने अपने वक्तव्य के माध्यम से स्पष्ट किया। शहर के राजकुमारगंज स्थित आयोजित सहादत दिवस कार्यक्रम में जिला राजद प्रवक्ता अमित सहनी ने कहा कि देश की आजादी के लिए शहीद होने वाले जुब्बा सहनी आज गुमनामी में खो गए हैं। हमें उनकी कुर्बानी, त्याग और शहादत से लोगों को अवगत कराना कराने की जुर्रत है। ताकि देश के युवा पीढ़ी को उनके जीवन से प्रेरणा मिल सकें।

जिला राजद प्रवक्ता श्री सहनी ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में वीर योद्धा जुब्बा सहनी एक महान योद्धा थे। स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी के कारण ही आज लोग उन्हें याद करते हैं। शहीद जुब्बा सहनी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने जिस तरह से अंग्रेजों से लोहा लिया वह विस्मरणीय है। अमर शहीद जुब्बा सहनी का जन्म 1906 में मुजफ्फरपुर जिला के मीनापुर थाने के चैनपुर गांव में एक निर्धन मल्लाह परिवार में हुआ था। अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में 15 अगस्त 1942 को क्रांतिकारियों के द्वारा मीनापुर थाने पर विशाल प्रदर्शन किया।

राज्य सरकार ने आजादी के लंबे समय बाद 2009 में भागलपुर सेंट्रल जेल का नाम बदलकर जुब्बा साहनी सेंट्रल जेल के नाम से कर दिया। केंद्र सरकार ने उनके नाम पर डाक टिकट जारी किया है। श्री सहनी ने कहा कि एक तड़फ अंग्रेजो से लोहा लेने वाले जुब्बा सहनी जैसे- जैसे रणबांकुरों ने मल्लाह समाज में जन्म लेकर देश व दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ देश के लिए स्वयं को कुर्बान कर दिया।वहीं दूसरी तड़फ देश मे काबिज मोदी सरकार का मल्लाह निषाद समाज के प्रति इतनी घृणात्मक रवैया कि उन्होंने निषाद समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के प्रस्ताव को ही खारिज कर दिया।

सवालिया है कि निषाद समाज के ऐसे दर्जनो नेता जो चुनाव के समय मल्लाह समाज को गुमराह कर के भाजपा को वोट देने की अपील करते है। वहीं समाज के तथाकथित ठीकेदार जो सत्ता रसूख के आड़ में मल्लाह समाज के हकूकों को गिरवी रख चुप्पी साध बैठे है। ऐसे बहरूपिये से सावधान रहने को कमर कस लेने की जरूरत मल्लाह निषाद समाज को है। इस मौके पर आकाश राम, कृष्णा यादव, मो साजिद, आशीष सहनी, राहुल यादव, मो तौकीर, विवेक सहनी, अनिल सहनी, रंजीत राम, सहित दर्जनों लोगों ने अपने अपने विचार प्रकट किए।

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