करणी सेना के सुप्रीमों वीर प्रताप सिंह लाव लश्कर के साथ पहुँचे मोहमदपुर नरसंहार में मारे गए लोगो के आश्रितों से भाजपा विधायक बिनोद नारायण झा एवं हरि भूषण ठाकुर के खिलाप मुकदमा किया जाएगा-करणी सेना

जेटी न्यूज मधुबनी

मधुबनी जिले के महमदपुर गांव में होली के दिन हुए नरसंहार मामला लगातार राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है. हर राजनीतिक दल के नेता पीड़ित परिवार वालों से मिलने और उन्हें न्याय दिलाने की बात कह रहे हैं. गुरुवार को करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीर प्रताप सिंह उर्फ वीरू सिंह बेनीपट्टी थाना क्षेत्र के महमदपुर पहुंचे. जहां उन्होंने पीड़ित परिवार वालों से मुलाकात के बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया। परिजनों से की मुलाकात
होली दिन हुए गोली कांड में मृतक के परिजनों से मिलकर सांत्वना दी. उनके साथ उत्तरप्रदेश, झारखंड और बिहार के करनी सेना के सभी जिलाध्यक्ष मौजूद थे. इस दौरान उन्होंने परिजनों से मिलकर सरकार और प्रशासन पर जमकर निशाना साधा। ‘उधर राम मंदिर इधर रावण को पनाह यहां दोहरी मानसिकता की सरकार नहीं चाहिए. मधुबनी के डीएम, एसपी भांग या चरस पीकर सोए रहते हैं. होली के दिन इतनी बड़ी घटना होने के 11 दिन बाद रात को 11 बजे मिलने आते हैं. इस घटना में पुलिस प्रशासन की लापरवाही बरतने का मुख्य कारण है. मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच कराने की मांग की गई है. ऐसे अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाए: वीर प्रताप सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, करणी सेना दोषियों के खिलाफ देंगे आवेदन
वीर प्रताप सिंह ने कहा कि विधायक, डीएम और एसपी के साथ जो भी शामिल हैं. उनके खिलाफ आवेदन देंगे. अगर सरकार विधायक के खिलाफ आवेदन नहीं लेगी तो हम लोग लड़ाई लडेंगे. पहले बड़े भाई को वेवजह हरिजन एक्ट में फंसाया गया. उसके बाद भीषण घटना को अंजाम दिया गया है।

जानें पूरा मामला बता दें कि होली के दिन महमदपुर गांव में 5 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी. मरने वालों में तीन सहोदर भाई और बाकी चचेरे भाई हैं. आरोप है कि आधे घंटे तक अपराधी महमदपुर गांव में तांडव मचाते रहे और पुलिस घटना के 4 घंटे बाद मौके पर पहुंची. बताया जाता है कि पूरा विवाद पोखर और उसमें पल रही मछलियों पर कब्जे को लेकर है. हालांकि, 6 महीने तक मामला शांत रहा, लेकिन होली से एक दिन पहले विवादित पोखर से संजय सिंह के परिवार से जुड़े लोगों ने मछली पकड़ा और फायरिंग भी की थी. बताया जाता है कि प्रवीण झा और उसके अन्य सहयोगी इस घटना को ‘आन’ पर ले लिया, जो होली के दिन ‘रक्त चरित्र’ में बदल गया।

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