रोजगार समस्या का खतराः कोविड के सेकेंड वेव की वजह से हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में दोबारा शुरू हो सकती है छंटनी
भारत में कोरोनावायरस के दोबारा शुरू हुए खतरे की वजह से हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में फिर से छंटनी शुरू हो सकती है. कोरोनावायरस के बढ़ते खतरे की वजह से देश के कई हिस्सों में वीकेंड लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू का दौर शुरू हो गया है.
रेस्टोरेंट्स चेन, बार, होटल, सलून और मल्टीप्लेक्स में काम करने वाले एग्जीक्यूटिव का कहना है कि कामकाज पटरी पर लौटने की अनिश्चितताओं के बीच उन पर स्टाफ को कम करने का दबाव है. इसके साथ ही वेतन घटाने और स्टाफ को लीव विदाउट पे पर भेजने का भी दबाव बढ़ रहा है.
दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में डाइनिंग, टूरिज्म और मल्टीप्लेक्स का कल्चर अधिक है. इन राज्यों ने पिछले 5-7 दिनों में सख्त लॉकडाउन और वीकेंड कर्फ्यू की घोषणा की है. इसकी वजह इन राज्यों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले हैं. इस वजह से कारोबार में रुकावट आ गई है और मार्च मध्य तक कंपनियां जिस तरह का ट्रेंड दिखा रही थी, अब उसका उल्टा देखा जा रहा है.
नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट अनुराग कटियार ने कहा, “हम फिर से उसी मोड़ पर आकर खड़े हो गए हैं. उभरता हुआ कारोबार एक बार फिर अनजाने डिलीवरी ऑपरेटर का शिकार हो रहा है. उद्योग जगत के सामने अब कुछ लोगों को निकालने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है.”
सिएल एचआर सर्विसेज के संस्थापक आदित्य मिश्रा ने कहा, “देश में कोरोना का संकट बढ़ने के साथ ही हाउसकीपिंग, मेंटेनेंस, फूड एंड बेवरेजेस और सेल्स जैसे रोल पर दबाव बढ़ने वाला है. उनके पास अब बहुत अधिक विकल्प नहीं बचे हैं.”
अप्रैल-सितंबर 2020 में संगठित क्षेत्र की कंपनियों में 1,00,000 से अधिक लोगों की छंटनी हुई थी. इस साल जनवरी-मार्च की अवधि में करीब 10000 जॉब की रिकवरी देखी गई थी. मिश्रा ने कहा कि संगठित क्षेत्र की कंपनियां अब होटल और एयरपोर्ट जैसे कारोबार में 60 फ़ीसदी कैजुअल वर्कर की छंटनी कर सकती हैं.
(सौजन्यः इकोनोमिक टाईम्स)
संपादिकृतः ठाकुर वरूण कुमार