जलेसं का तीसरा राज्य सम्मेलन संपन्न : लोकतंत्र की रक्षा के लिए संस्कृतिकर्मियों से एकजुट होने का आह्वान, परदेशीराम वर्मा अध्यक्ष, पी सी रथ सचिव निर्वाचित

जलेसं का तीसरा राज्य सम्मेलन संपन्न : लोकतंत्र की रक्षा के लिए संस्कृतिकर्मियों से एकजुट होने का आह्वान, परदेशीराम वर्मा अध्यक्ष, पी सी रथ सचिव निर्वाचित

जे टी न्यूज, रायपुर:आम जनता के अधिकारों पर बढ़ते फासीवादी हमलों के दौर में लोकतंत्र, संविधान और आजादी के संघर्ष में विकसित भाईचारे, सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता जैसे मूल्यों की रक्षा के लिए संस्कृतिकर्मियों से एकजुट होने के आह्वान के साथ जनवादी लेखक संघ का तीसरा राज्य सम्मेलन 15 अक्टूबर को बिलासपुर में संपन्न हुआ। सम्मेलन में पूरे प्रदेश से लगभग 100 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।सांगठनिक सत्र में परदेशीराम वर्मा अध्यक्ष तथा पी सी रथ सचिव निर्वाचित किए गए।

दो दिनी सम्मेलन के पहले दिन जलेसं, बिलासपुर के तत्वावधान में कवि-आलोचक शाकिर अली की स्मृति पर केंद्रित विचार गोष्ठी ‘आलोचना का लोकधर्म’ का आयोजन किया गया। सम्मेलन के दूसरे दिन ‘भारतीय जनतंत्र और साहित्य : संकट और चुनौतियां’ विषय पर जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव संजीव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामप्रकाश त्रिपाठी, जलेसं के राज्य अध्यक्ष कपूर वासनिक के व्याख्यान हुए। इस सत्र का संचालन पी सी रथ ने किया। सभी वक्ताओं ने भारतीय जनतंत्र पर मंडरा रहे फासीवादी खतरे से लेखक समुदाय को आगाह किया तथा कहा कि रचनाओं के सृजन का काम जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना, जिसके बिना रचनात्मक सृजन संभव नहीं। उन्होंने बौद्धिक समुदाय का आह्वान किया कि लोकतंत्र और संविधान बचाने के लिए अब सड़कों पर उतरें और जनपक्षधर ताकतों के साथ अपनी आवाज बुलंद करें।

जलेसं महासचिव संजीव ने कहा कि भारतीय समाज का संकट बहुत गहरा है, क्योंकि हमारे समाज ने आजादी के 75 सालों बाद भी अंधविश्वास, जातिगत व लैंगिक भेदभाव और शोषण तथा सांप्रदायिक नफरत जैसे सामंती विचार-मूल्यों से नाता नहीं तोड़ा है। पूंजीवादी पार्टियों ने सत्ता में बने रहने के लिए इन्हीं सामंती मूल्यों को बढ़ावा दिया है। नतीजन आज देश सांप्रदायिक नफरत की आग में जल रहा है और संघी गिरोह खुले-आम देश को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने की बात कह रहा है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक-धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण और उदात्त मानवीय मूल्यों के बिना कोई समाज प्रगति नहीं कर सकता और जो ताकतें भारतीय समाज को एक बर्बर समाज में ढालने की कोशिश कर रही है, उसका वैचारिक रूप से सड़कों पर मुकाबला करना होगा।

इस व्याख्यानमाला के बाद युवा कवि मुदित के संयोजन में कवि सम्मेलन भी आयोजित किया गया, जिसमें प्रदेश भर से आए कवियों ने अपनी रचनाएं पेश की और वाहवाही बटोरी।

जलेसं के इस राज्य सम्मेलन में प्रगतिशील लेखक संघ के रफीक खान, अरुण दाभड़कर, इप्टा के मो. रफीक, जन संस्कृति मंच के सुरेश वाहने तथा राजकुमार सोनी भी उपस्थित थे, जिन्होंने अपने संगठन की ओर से सम्मेलन को शुभकामनाएं प्रेषित की।

सम्मेलन के सांगठनिक सत्र में राज्य कार्यकारिणी का भी चुनाव हुआ। निर्वाचित कार्यकारिणी की घोषणा राष्ट्रीय महासचिव संजीव ने की, जो इस प्रकार है :
संरक्षक — कपूर वासनिक, नंद कुमार कश्यप
अध्यक्ष — परदेशी राम वर्मा
उपाध्यक्ष — नासिर अहमद सिकंदर, विजय सिंह
सचिव — पी सी रथ
संयुक्त सचिव — अजय चंद्रवंशी, भास्कर चौधुरी, रजत कृष्ण
सह सचिव — सतीश सिंह, राकेश बंबारडे, सी के खांडे
कोषाध्यक्ष — डॉ. सुखनंदन सिंह धुर्वे नंदन
कार्यकारिणी सदस्य — रमेश शर्मा, अशोक आकाश, दिनेश गौतम, समयलाल विवेक, लक्ष्मी नारायण कुंभकार, चोवाराम बादल, शिज्जू शकूर.

नंदकुमार कश्यप के आभार प्रदर्शन के साथ सम्मेलन के समापन की घोषणा की गई।

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