100 दिन कोविड से लड़ी लड़ाई, आखिरकार जीते अश्विनी

100 दिन कोविड से लड़ी लड़ाई, आखिरकार जीते अश्विनी
   
–  रक्सौल कस्तूरवा प्लस टू विद्यालय के प्रभारी हैं डॉ अश्विनी कुमार ओझा

 

जेटी न्युज

मोतिहारी।पु.च
कहां गलती हुई पता नहीं पर मेरी रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आयी। लक्षण पहले साधारण ही थे, पर जब मुझे सांस लेने में कठिनाई हुई तो एम्स में भर्ती हुआ। वहां का एक -एक दिन ऐसे गुजरता था जैसे मृत्यु अब मुझे खींच ले जाए। मगर मैंने अपने अंदर हौसला रखा। हमेशा जिंदगी जीने के बारे में सोचा। नतीजा देर से ही सही पर सुखद आया और अब मैं बिल्कुल संक्रमणमुक्त हूं। ये बातें रामगढ़वा प्रखंड के भलुवहिंया गांव निवासी व रक्सौल कस्तूरवा प्लस टू विद्यालय के प्रभारी डॉ अश्विनी कुमार ओझा ने बतायी। वह 30 जुलाई को ही एम्स से 100वें दिन ठीक होकर लौटे हैं।

अश्विन ने कहा कि घर में उनसे पहले उनके दोनों छोटे भाइयों को कोरोना का संक्रमण हुआ। दोनों घर में ही आइसोलेट हुए। उसी दौरान मुझसे कहीं चूक हुई जिसका खामियाजा मैंने 100 दिन अस्पताल में रह कर गुजारे। अपने अनुभव के आधार पर मैं लोगों को कहना चाहता हूं कि घर हो या बाहर सभी जगह एक जैसे ही कोविड नियमों का पालन करें। संक्रमण के बाद लोग घरों में तो आइसोलेट हो जाते हैं पर उनके लिए सारे चीजों की व्यवस्था अलग होनी चाहिए। इसके अलावा कोई एक व्यक्ति ही उन्हें खाना भी पहुंचाए। उनके काम करने वाले व्यक्ति को भी हमेशा हाथ साफ करने चाहिए। सैनिटाइजर को विकल्प और साबुन से हाथ धोने को प्राथमिक तौर पर इस्तेमाल में लाना चाहिए। 

अश्विनी ने बताया कि वह कोविड-19 का टीका जरूर   लेंगे। अपने देश में बनी कोविड -19 वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित और कारगर है। फिलहाल कोविड संक्रमण से बचाव के लिए यही सबसे कारगर भी है। उन्होंने कहा कि लोगों के बीच गलतफहमी है कि एक बार कोरोना हो गया तो फिर कोविड का संक्रमण नहीं होगा। वहीं टीकाकृत हो जाने से इस बार ऐसी विकट परिस्थिति नहीं आएगी। कोविड का दोनों टीका लेने के बाद भी कोरोना के प्रोटोकाल का पालन करते रहना है।

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