एम के मिशन हाई स्कूल भलुवहिंया रामगढ़वा में हर्षोल्लास के साथ मनाई गई महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती

एम के मिशन हाई स्कूल भलुवहिंया रामगढ़वा में हर्षोल्लास के साथ मनाई गई महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती
जेटी न्यूज

डी एन कुशवाहा

रामगढ़वा पूर्वी चंपारण- स्थानीय एम के मिशन हाई स्कूल भलुवहिंया रामगढ़वा में हर्षोल्लास के साथ मनाई गई महात्मा गांधी की 152वीं जयंती एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 118वीं जयंती। इस अवसर पर उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि कर उन्हें नमन किया गया। ज्ञात हो कि गांधी जी के महान योगदान और त्याग के लिए लोग उन्हें महात्मा के नाम से जानते हैं। 1869 में मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे।

मई 1883 में 13 वर्षीय मोहनदास की शादी 14 साल की कस्तूरबाई मखानजी कपाड़िया के साथ हुई। गांधी जी ने दुनिया को सत्य और अहिंसा का जो संदेश उसे दुनिया के करीब करीब सभी देश मानते हैं। 15 जून 2007 को यूनाइटिड नेशनल असेंबली ने 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने का फैसला किया। गांधी जी ने अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही साउथ अफ्रीका में रह रहे 75000 भारतीयों को उनके अधिकार दिलाए। गांधी जी इस बात में बहुत विश्वास करते थे कि हिंसा के रास्ते पर चलकर आप कभी भी अपने अधिकार नहीं पा सकते। उन्होंने विरोध करने के लिए सत्याग्रह का रास्ता अपनाया। सत्याग्रह शब्द संस्कृत के सच और आग्रह शब्द से लिया गया है। दऱअसल गांधी जी की अहिंसा की विचारधारा के कारण ही उन्होंने भारत को आजादी दिलाई।

वही काशी के लाल और देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री आज भी सादगी की मिसाल हैं। जय जवान, जय किसान का नारा देने वाले शास्त्री जी ने प्रधानमंत्री के पद पर मात्र 18 माह के कार्यकाल में ही नैतिक राजनीति को स्थापित किया। संघर्षों से भरा उनका जीवन और उनकी रहस्यमय मृत्यु का राज आज तक भारतवासियों को झकझोरता है। रामनगर में स्थित शास्त्री जी का आवास काशी के लाल की सादगी और सार्वजनिक जीवन की कहानी कहता है।


क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ सुभाष यादव ने बताया कि रामनगर स्थित पूर्व प्रधानमंत्री के आवास पर आने जाने वालों को लाल बहादुर शास्त्री का अक्स आंखों के सामने जरूर नजर आता है। रामनगर स्थित शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय के म्यूजियम में सबसे पहले प्रवेश करते ही उनसे जुड़ी तमाम यादों की फोटो गैलरी सजी हुई हैं।

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