रामगढ़वा में हर्षोल्लास के साथ मनाई गई दीपावली का त्योहार, दीप व बिजली की बत्ती से जगमगाता नजर आया शहर

रामगढ़वा में हर्षोल्लास के साथ मनाई गई दीपावली का त्योहार, दीप व बिजली की बत्ती से जगमगाता नजर आया शहर


जेटी न्यूज

डी एन कुशवाहा

रामगढ़वा पूर्वी चंपारण- प्रखंड क्षेत्र में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया दीपावली का त्योहार। गांव से लेकर शहर तक चारों तरफ दीप बत्ती से जगमगाता नजर आया। वहीं पटाखे की आवाज से पूरा प्रखंड क्षेत्र गुंजायमान हो गया। हिंदुओं के इस महान त्योहार के शुभ अवसर पर अमोदेई पंचायत के पूर्व मुखिया मो. मूसा एवं वर्तमान मुखिया प्रत्याशी हाजी नसीबुल हक चारों तरफ घूम-घूम कर दीपावली की शुभकामनाएं देते नजर आए। वहीं सुरक्षा व्यवस्था का कमान संभाले रामगढ़वा के नव पदस्थापित थानाध्यक्ष इंद्रजीत पासवान अपने निजी गाड़ी से गस्ती करते नजर आए। जबकि पुलिस गाड़ी से थाना के अन्य पदाधिकारी गण चारों तरफ गस्ती करते नजर आए।

अच्छाई पर बुराई का त्योहार दीपावली भारत और दुनिया भर में रहने वाले हिंदुओं के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। ‘दीपावली’ संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप + आवली। ‘दीप’ का अर्थ होता है ‘दीपक’ तथा ‘आवली’ का अर्थ होता है ‘श्रृंखला’, जिसका मतलब हुआ दीपों की श्रृंखला या दीपों की पंक्ति। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार दुनिया भर के लोगों द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि इसे हिंदू त्योहार माना जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग भी पटाखे और आतिशबाजी के जरिए इस उज्ज्वल त्योहार को मनाते हैं।

दीपावली त्योहार की तैयारियां दिवाली से कई दिनों पहले ही आरंभ हो जाती है। और लोग अपने घरों की साफ-सफाई करने में जुट जाते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जो घर साफ-सुथरे होते हैं, उन घरों में दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी विराजमान होती हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करके वहां सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी करती है। दीपावली के नजदीक आते ही लोग अपने घरों को दीपक और तरह-तरह के लाइट से सजाना शुरू कर देते हैं।

दीपावली को “रोशनी का त्योहार” कहा जाता है। लोग मिट्टी के बने दीपक जलाते हैं और अपने घरों को विभिन्न रंगों और आकारों की रोशनी से सजाते हैं, जिसे देखकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो सकता है। बच्चों को पटाखे जलाना और विभिन्न तरह के आतिशबाजी जैसे फुलझड़ियां, रॉकेट, फव्वारे, चक्री आदि बहुत पसंद होते हैं।

दिवाली का इतिहास

हिंदुओं के अनुसार, दीपावली के दिन ही भगवान राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण और उनके उत्साही भक्त हनुमान के साथ अयोध्या लौटे थे, अमावस्या की रात होने के कारण दिवाली के दिन काफी अंधेरा होता है, जिस वजह से उस दिन पुरे अयोध्या को दीपों और फूलों से श्री राम चंद्र के लिए सजाया गया था ताकि भगवान राम के आगमन में कोई परेशानी न हो, तब से लेकर आज तक इसे दीपों का त्योहार और अंधेरे पर प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है।

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