समस्तीपुर में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय कृषक मेला में भी हावी रहा भ्रष्टाचार

समस्तीपुर में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय कृषक मेला में भी हावी रहा भ्रष्टाचार

किसान मेला में दूर दराज से आए किसानों को करना पड़ा परेशानी का सामना,सुध लेने वाला भी कोई नहीं, जबकि इस मेले का आयोजन ही किसानों के लिए था

*ज्ञात हो कि विश्विद्यालय के कुलपति पर लगातार लग रहे भ्रस्टाचार के आरोप,राष्ट्रपति सह कुलाधिपति से हुई है जांच की मांग…*

जेटीन्यूज़

पूसा, समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुर जिले के पूसा प्रखंड स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा परिसर में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय कृषक किसान मेला का आयोजन 12 से 14 मार्च तक का आयोजन किया गया. इस आयोजन में भी भ्रष्टाचार की गूंज सुनाई दे रही है। यही कारण है कि बिहार सरकार से लेकर भारत सरकार के कोई भी मंत्री, सांसद इस मेला में आने से परहेज किए हुए है। इस बात की चर्चा विश्वविद्यालय परिसर में जोड़ों पर है । कई वैज्ञानिकों ने नाम नहीं लिखने की शर्त पर बताया कि विश्वविद्यालय में जब से वर्तमान कुलपति और कुलसचिव की नियुक्तियां हुई है तब से लेकर आजतक भ्रष्टाचार होती चली गयी। सूत्रों की बात पर हम यकीन करें तो नियुक्ति के मामला से लेकर विकास कार्य हो या केंद्र सरकार द्वारा दिए गए राशि की तमाम मामले में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है।

इस मेले में प्रशासनिक तौर पर आईसीआर के कई बड़े अधिकारी को आना था जिसमें मात्र एक अधिकारी पंजाब से मक्का सेंटर के डिप्टी डायरेक्टर मेले के उद्घाटन करने के बाद काफी नाराजगी जाहिर किए जाने की भी खबर है। इतने बड़े कार्यक्रम को किसानों को दूर रखे जाने की भी चर्चा जोड़ों पर है। बिहार के कई सेंटरों से बस में भाड़े के किसान के रूप मे ऐसे लोगों को लाया गया है .जिनके पास अपना जमीन तो दूर बटाई में भी जमीन में खेती नहीं करते हैं।


सबसे आश्चर्य की बात यह है कि जब से कुलपति के रूप में योगदान किए जाने के बाद विश्वविद्यालय परिसर के 100 किलोमीटर में अगर किसी किसानों को विश्वविद्यालय से कोई लाभ तकनीकी हुआ हो तो माना जाएगा कि क्षेत्र का विकास कृषि का हुआ है. केवल बड़े वाले चैनल को विश्वविद्यालय की राशि और घपले को बचाने के लिए आमंत्रित कर लोगों को दिग्भ्रमित करने का भी प्रयास किए जाते हैं।

स्थानियों की माने तो कई मीडया जगत के लोगों को मेले में आमंत्रित तक नहीं किया गया,आखिर इसके पीछे विश्विद्यालय की क्या मंशा रही होगी खुद समझा जा सकता है । इस बार के किसान मेले के आयोजन को लेकर किसान भी नाराज दिखे,दूर-दूर से आये किसानों के लिए कुछ भी व्यवस्था नहीं दिखी। कुलमिलाकर कहा जा सकता है कि यह मेला भ्रस्टाचार के भेंट चढ़ गया। अब देखना यह है कि इस मामले में भारत के राष्ट्रपति सह कुलाधिपति क्या संज्ञान लेते हैं। हालांकि सूत्रों की माने तो यदि विश्विद्यालय में जांच होती है तो बड़े घोटाले का पर्दा फ़ास हो सकता है ।*ज्ञात हो कि विश्विद्यालय के कुलपति पर लगातार लग रहे भ्रस्टाचार के आरोप,राष्ट्रपति सह कुलाधिपति से हुई है जांच की मांग…*

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