बाल विकास परियोजना का हाल बेहाल

बाल विकास परियोजना का हाल बेहाल

जेटी न्यूज

मधुबनी: बिहार में सुशासन की सरकार विकास के नाम पर चाहे जितना ढोल पीट लें परंतु जमीन पर लूट खसोट एंव भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में विफल रही है ।जिसका जीता जागता मिसाल है लदनिया प्रखंड में संचालित बाल विकास परियोजना का आंगनबाड़ी केंद्र ।जिसमें बच्चों कों पौष्टिक आहार ,गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली होम टेक राशन, एवं कुपोषण के शिकार बच्चों कों मिलने वाला राशन कालाबाजार में बेच दिया जाता है।अभिश्रब जमा कर पास करने के नाम पर बाल विकास परियोजना कार्यालय द्वारा तय राशि 2200 से 2300रूपये जमा करना होता है ।एक ओर सरकार उक्त योजना के सफल संचालन हेतु 15500रूपये का आवंटन देना सुनिश्चित कर रखा है ।जबकि सरकार द्वारा 12माह में सिर्फ चार से पांच माह का आवंटन ही दिया जाता हैं ,जिसका 20 प्रतिशत राशि अधिकारी और कर्मचारी के कमीशन पर खर्च होता है तो 30 प्रतिशत राशि महंगाई के समायोजन पर तो कुछ राशि गठित समिति व यात्रा किराया पर खर्च होता है ।ऐसे हालात में सरकार के उद्देश्य को जरूरत मंदो तक पहुंचाना कल्पना मात्र है ।

लदनिया प्रखंड में इस परियोजना के तहत कुल 137 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है ।भ्रष्टाचार एवं कमीशनखोड़ी की सत्यता तब बलबती हो गया जब बाल विकास परियोजना के सहायक ने स्वयं लेन देन की बात कों स्वीकार करते हुए अंनुमंडल पदाधिकारी जयनगर एंव जिला बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को लिखित शिकायति आवेदन देकर जांच का आग्रह कर दिया ।जिसके आलोक में अंनुमंडल पदाधिकारी ने स्वयं लदनिया बाल विकास परियोजना कार्यालय का जांच किया ।जांच प्रतिवेदन सार्वजनिक नहीं हो पाया है । यहां बता दें कि सरकार चाहे जो भी वेहतर सुविधा उपलब्ध कराने की बात आमजनों से कर गुमराह कर लें। परंतु जमीनी स्तर पर सरकारी मुलाजिम अवैध कमाई के लालच में सरकार के द्वारा आमजनों को दिया जाने वाला योजना का लाभ निचे से ऊपर तक हजम करने के दिशा में ही काम किया है। अगर यह कथन या शिकायत गलत है तो आज तक कितने गलत लोगों पर कार्रवाई हुआ है। अगर नहीं तो क्यों नहीं किया गया।

 

लोगों के शिकायत आवेदन पर आज तक कितना जांच हुआ। जांच प्रतिवेदन सार्वजनिक क्यों नहीं हुआ। आंगनबाड़ी केंद्र के हालात में सुधार क्यों नहीं हुआ। सभी पंचायत के कुछ वार्ड के आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण कागज पर ही सही हो गया है, तो सरकार फीर उस वार्ड में अवस्थित आंगनबाड़ी केंद्र का भाड़ा क्यों वहन कर रही है। अगर निर्माण कार्य अधुरा है तो विगत छः वर्ष में निर्माण कार्य पूर्ण नहीं करने वाले एजेंसी पर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत कर काली सूची में क्यों नहीं डाला गया।
पूर्व पंचायत समिति सदस्य राम कुमार यादव ने सरकार एवं सरकार के उक्त विभाग के उच्च अधिकारियों से इस योजना का उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

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